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MP Political Crisis: बुआ यशोधरा ने कहा- राजमाता के रक्त ने लिया राष्ट्रहित में फैसला

शिवपुरी से भाजपा विधायक यशोधरा राजे ने सिंधिया के इस्तीफे पर ट्वीट किया कि राजमाता के रक्त ने लिया राष्ट्रहित में फैसला। साथ चलेंगे नया देश गढ़ेंगे।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 10 Mar 2020 06:46 PM (IST)Updated: Tue, 10 Mar 2020 06:46 PM (IST)
MP Political Crisis: बुआ यशोधरा ने कहा- राजमाता के रक्त ने लिया राष्ट्रहित में फैसला
MP Political Crisis: बुआ यशोधरा ने कहा- राजमाता के रक्त ने लिया राष्ट्रहित में फैसला

नई दिल्ली, प्रेट्र। ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस से इस्तीफे के बाद अब सिंधिया परिवार में खुशी की लहर है। भाजपा नेता और ज्योतिरादित्य की बुआ और शिवराज सरकार में मंत्री रह चुकीं यशोधरा राजे ने इसे साहसिक कदम बताया है। शिवपुरी से भाजपा विधायक यशोधरा राजे ने सिंधिया के इस्तीफे पर ट्वीट किया कि राजमाता के रक्त ने लिया राष्ट्रहित में फैसला। साथ चलेंगे, नया देश गढ़ेंगे, अब मिट गया हर फासला। (ज्योतिरादित्य) सिंधिया द्वारा कांग्रेस छोड़ने के साहसिक कदम का मैं आत्मीय स्वागत करती हूं।’

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वहीं राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी ज्योतिरादित्य की बुआ हैं। वसुंधरा, यशोधरा और माधवराव सिंधिया की मां राजमाता विजयाराजे सिंधिया जनसंघ की नेता थीं। मध्य प्रदेश में जनसंघ और भाजपा को स्थापित करने में विजयाराजे सिंधिया का अहम योगदान रहा है। माधवराव सिंधिया की जयंती पर मंगलवार को यशोधरा राजे ने ट्वीट किया कि बड़े भाई श्रीमंत माधवराव सिंधिया की जयंती पर नमन। दादा जनसेवा के पथ पर निस्वार्थ भाव से आगे बढ़ने की प्रेरणा हमेशा आपसे मिली है। मैं जानती हूं आपका स्नेह-आशीर्वाद आज भी मुझे इस कठिन सेवा मार्ग पर आगे बढ़ा रहा है।’

सिंधिया परिवार के चलते दोहरा रहा इतिहास

मध्य प्रदेश में 53 साल बाद इतिहास एक बार फिर अपने आपको दोहरा रहा है। आज से 53 साल पहले 1967 में राजमाता विजयाराजे सिंधिया की वजह से कांग्रेस सत्ता से बेदखल हुई थी। अब उनके पोते ज्योतिरादित्य सिंधिया की वजह से कमलनाथ सरकार सत्ता से बेदखल हो रही है। 1967 में विजयाराजे ने कांग्रेस को अलविदा कहकर लोकसभा चुनाव स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर लड़ा और जीत दर्ज की। अब ज्योतिरदित्य बीजेपी से राज्यसभा में जा सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि 1967 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुमत हासिल हुआ था और डी.पी. मिश्रा मुख्यमंत्री बने थे। लेकिन बाद में कांग्रेस के 36 विधायकों ने विजयाराजे के प्रति अपनी निष्ठा जाहिर की और विपक्ष से जा मिले। डी.पी. मिश्रा को इस्तीफा देना पड़ा था। अब एक बार फिर वही पटकथा लिखी गई है। ज्योतिरादित्य खेमे के 22 कांग्रेसी विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है।


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