MP Political Crisis: मध्य प्रदेश में टूट रही कांग्रेस की सियासी उम्मीदें, सत्ता बचने नहीं दिख रही कोई राह
मध्यप्रदेश सरकार को बचाने की कोशिशों में जुटे पार्टी के रणनीतिकारों ने भी कांग्रेस हाईकमान को सियासी समाधान निकालने की संभावना खत्म होने का साफ संदेश दे दिया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मध्यप्रदेश में अपने विधायकों की बगावत से संकट में फंसी कमलनाथ सरकार को बचाने की कसरत में जुटी कांग्रेस की उम्मीदें अब कमजोर पड़ने लगी है। कानूनी दांव-पेच की लड़ाई में पार्टी को सत्ता बचने की दूसरी कोई राह नहीं दिख रही है।
मध्यप्रदेश सरकार को बचाने की कोशिशों में जुटे पार्टी के रणनीतिकारों ने भी कांग्रेस हाईकमान को सियासी समाधान निकालने की संभावना खत्म होने का साफ संदेश दे दिया है। पार्टी सूत्रों ने कहा कि इसके मद्देनजर ही कांग्रेस की ओर से भी मंगलवार को जवाबी कानूनी लड़ाई का दांव चला गया। बहुमत परीक्षण कराने के भाजपा के कानूनी दांव में पेच फंसाने की आखिरी कोशिश के तहत मध्यप्रदेश कांग्रेस की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाल बागी विधायकों से संपर्क और संवाद का रास्ता खोलने की मांग की गई है।
कानून की पिच पर कांग्रेस का यह दांव कितना कारगर होगा यह तो बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान साफ हो सकता है। हालांकि कानूनी पेशबंदी में अपना पक्ष मजबूत करने की कोशिश के तहत कांग्रेस ने अपने दिग्गज वकीलों कपिल सिब्बल से लेकर अभिषेक मनु सिंघवी तक को लगा दिया है।
सियासी उम्मीद छोड़ चुके कांग्रेस रणनीतिकारों ने अनौपचारिक चर्चा में कहा कि कानूनी रास्ते के जरिये विधायकों से संवाद का रास्ता खुलेगा, तभी बागियों की घर वापसी की कोई सूरत बनेगी। वर्तमान हकीकत तो यही है कि 16 विधायक कर्नाटक में पूरी तरह भाजपा की किलेबंदी में हैं और उन तक पहुंचने की कांग्रेस की हर कोशिश नाकाम साबित हुई है। पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि कमलनाथ और दिग्विजय सिंह जैसे दिग्गजों के सहारे बाजी पलटने की शुरुआती उम्मीद तो थी मगर अब इनकी ओर से भी कोई सकारात्मक संकेत नहीं मिल रहे हैं।