MP Political Crisis मध्य प्रदेश स्पीकर का 22 बागी विधायकों को नोटिस, कहीं दबाव में नहीं दिया इस्तीफा
प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने इस्तीफा देने वाले सभी विधायकों को नोटिस जारी कर उनके सामने पेश होने के लिए कहा है।
भोपाल, जेएनएन। मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा के खेमे में जाने और 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद अब मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। इस बीच प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने इस्तीफा देने वाले सभी विधायकों को नोटिस जारी कर उनके सामने पेश होने के लिए कहा है। बताया जा रहा है कि विधानसभा अध्यक्ष ने बेंगलुरु में मौजूद कांग्रेस के 11 विधायकों को नोटिस दिए हैं। सबसे पहले छह मंत्रियों को नोटिस दिए गए । सभी को 13 तारीख तक जवाब देना है। आज 7 विधायकों को और नोटिस दिए गए। विधानसभा सचिवालय की ओर से विधायकों को अपना पक्ष रखने के लिए उपस्थित होने का नोटिस दिया गया है। संबंधित विधायकों के स्थाई अस्थाई निवास पते के अलावा मेल और एसएमएस के जरिए सूचना भी भेजी गई है।
विधानसभा अध्यक्ष ने मांगा स्पष्टीकरण
विधानसभा अध्यक्ष ने विधायकों को शुक्रवार तक का समय दिया है। नोटिस में कहा गया है कि इस्तीफा देने वाले सभी 22 विधायक शुक्रवार तक स्पीकर से सामने उपस्थित होकर यह स्पष्टीकरण दें कि उन्होंने त्यागपत्र स्वैच्छिक रूप से दिया है और बिना किसी के दबाव में आए उन्होंने यह फैसला लिया है। इस बीच भाजपा ने कहा है कि वह आगामी 16 मार्च को सदन में फ्लोर टेस्ट की मांग करेगी जबकि कांग्रेस का कहना है कि वह सभी 22 विधायकों के इस्तीफे पर फैसले के बाद ही किसी भी तरह के टेस्ट के लिए तैयार होगी।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने बताया कि स्पीकर प्रजापति ने 22 विधायकों को नोटिस जारी किया है। इनमें 6 मंत्री हैं, जिन्होंने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है। सिंह ने यह सवाल भी उठाया है कि विधायकी छोड़ने वाले विधायक अपना इस्तीफा सौंपने के लिए स्पीकर से मुलाकात क्यों नहीं कर रहे हैं।
जानें- अब क्या होगा
विधायकों के इस्तीफा देने के बाद अब गेंद स्पीकर प्रजापति के पाले में है। नियमों के मुताबिक अगर किसी सदस्य ने इस्तीफा दिया है तो उससे विधानसभा अध्यक्ष का संतुष्ट होना जरूरी है। यदि वह संतुष्ट हैं तो इस्तीफा स्वीकार कर सकते हैं। यदि स्पीकर को लगता है कि दबाव डालकर विधायकों से इस्तीफा दिलवाया गया है तो वह सदस्य से बात कर सकते हैं। साथ ही उस सदस्य को अपने समक्ष उपस्थित होने को कह सकते हैं।
स्पीकर के संतुष्ट होने पर ही इस्तीफे को अगले कार्रवाई के लिए आगे बढ़ाया जा सकता है। कर्नाटक में स्पीकर ऐसा कर चुके हैं। मौजूदा हालात को देखते हुए लगता नहीं कि स्पीकर इतनी आसानी से इस्तीफा स्वीकार करेंगे।