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'शांति के टापू' पर बेतुकी बातें, क्या गरबा आयोजनों में मुसलमानों का प्रवेश रोक देने से लव जिहाद पर रोक लग जाएगी?

लव जिहाद आपराधिक कृत्य है जिसे नियंत्रित करने के लिए मध्य प्रदेश में कड़ा कानून लागू है। इसके बावजूद बाकी अपराधों की तरह लव जिहाद की घटनाएं भी जारी हैं। जिन्हें यह अपराध करना है उनके लिए गरबा पंडालों के बाहर भी विस्तृत संसार है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 15 Sep 2022 01:14 PM (IST)Updated: Thu, 15 Sep 2022 01:14 PM (IST)
'शांति के टापू' पर बेतुकी बातें, क्या गरबा आयोजनों में मुसलमानों का प्रवेश रोक देने से लव जिहाद पर रोक लग जाएगी?
लव जिहाद जैसे अपराध सामाजिक चेतना के आधार पर ही नियंत्रित होंगे, गरबा पंडालों में किसी के प्रवेश पर पाबंदी लगाने से नहीं। फाइल

भोपाल, सद्गुरु शरण। मध्य प्रदेश में 14 महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं तो राजनीति का तरह-तरह के रंग दिखाना लाजिमी है। राज्य की संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने घोषणा की है कि नवरात्र में होने वाले गरबा आयोजन लव जिहाद का जरिया बनते हैं, इसलिए इस नवरात्र इन आयोजनों में आधार कार्ड देखकर प्रवेश मिलेगा। उनका यह भी कहना है कि गरबा देवी आराधना के आयोजन हैं, इसलिए इस्लाम में मूर्ति पूजा वर्जित होने के कारण मुसलमानों को वैसे भी इनमें नहीं आना चाहिए।

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बहरहाल इसी के साथ उनका यह भी कहना है कि यदि कोई मुसलमान आधार कार्ड दिखाकर प्रवेश चाहता है तो उसके साथ उसके घर की कोई महिला भी होनी चाहिए। संस्कृति मंत्री के इस फरमान पर मध्य प्रदेश सरकार के किसी अन्य वरिष्ठ मंत्री या भाजपा नेता ने कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की। इसके बावजूद उषा ठाकुर लगभग रोज अपनी बातें दोहरा रही हैं। संभव है, भाजपा नेतृत्व का मौन रणनीतिक हो और मंत्री जी के इस बयान पर कुछ लोग खुश भी हो रहे हों, यद्यपि किसी संवेदनशील व्यक्ति को शायद ही उनकी बात रास आई होगी।

राज्य की संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर

दरअसल अधिकतर लोग समझ रहे हैं कि ऐसी बातें अगले साल प्रस्तावित विधानसभा चुनाव से पहले सामाजिक ध्रुवीकरण करने के लिए की जा रही हैं, अन्यथा गरबा और लव जिहाद का आपस में क्या संबंध? क्या गरबा आयोजनों में मुसलमानों का प्रवेश रोक देने से लव जिहाद पर रोक लग जाएगी? लव जिहाद आपराधिक कृत्य है जिसे नियंत्रित करने के लिए मध्य प्रदेश में कड़ा कानून लागू है। इसके बावजूद बाकी अपराधों की तरह लव जिहाद की घटनाएं भी जारी हैं। जिन्हें यह अपराध करना है, उनके लिए गरबा पंडालों के बाहर भी विस्तृत संसार है। इसके अलावा सिर्फ कानून के भय से यह अपराध रोका नहीं जा सकता। इसके लिए शिक्षा और संस्कार संभालने होंगे। माता-पिता और शिक्षकों को यह जिम्मेदारी निभानी होगी कि बच्चे इस खतरे के प्रति सजग रहें। राजनेताओं को भी इसकी संवेदनशीलता समझनी चाहिए। इसे लेकर राजनीति करना आत्मघाती है।

सरकार को ऐसा माहौल बनाना चाहिए, ताकि लव जिहाद के आरोपितों को शीघ्र एवं कठोर सजा मिले। गरबा पंडालों में प्रवेश रोकने से कुछ नहीं होने वाला। यह सिर्फ राजनीति है, और कुछ नहीं। अक्सर देखने को मिल रहा कि मध्य प्रदेश में भाजपा और उसकी सरकार वही राह पकड़ने की कोशिश कर रही, जिस पर चलकर कथित रूप से उत्तर प्रदेश में भाजपा को सफलता मिली। मध्य प्रदेश भाजपा को यह गलतफहमी महंगी पड़ सकती है। दोनों राज्यों की सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियां नितांत भिन्न हैं।

उत्तर प्रदेश के चुनाव में कम से कम त्रिकोणीय मुकाबले होते हैं, जबकि मध्य प्रदेश में सिर्फ भाजपा और कांग्रेस हैं। उत्तर प्रदेश में भाजपा से नाराज मतदाता सपा और बसपा के अलावा कांग्रेस समेत कई अन्य छोटी पार्टियों के बीच विभाजित होते हैं, इसलिए खास प्रभाव पैदा नहीं कर पाते। इसके विपरीत मध्य प्रदेश में भाजपा विरोधी लगभग सारे मत कांग्रेस को मिलते हैं, जिसका प्रभाव 2018 विधानसभा चुनाव में देखा जा चुका है। भाजपा नेतृत्व को यह फर्क समझना चाहिए।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अक्सर कहते हैं कि मध्य प्रदेश शांति का टापू है। यह महत्वपूर्ण बात है और किसी हद तक सही भी। मध्य प्रदेश ने अपना सामाजिक सद्भाव कई अन्य प्रदेशों के मुकाबले अब भी सहेज रखा है। दोनों राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी है कि इस धरोहर को सहेजकर रखें। सरकारें आती-जाती रहेंगी, पर सामाजिक सद्भाव नष्ट हुआ तो प्रदेश का भारी नुकसान होगा। शिवराज सरकार ने पिछले ढाई साल में बहुत काम किया है। खुद मुख्यमंत्री ने परिश्रम की पराकाष्ठा बरतकर पूरे प्रदेश की खाक छानी और सबसे मिले-जुले।

भाजपा को अपनी सरकार की उपलब्धियों पर भरोसा करना चाहिए। पार्टी या मुख्यमंत्री को लगता है कि कोई कसर रह गई तो उनके पास अब भी करीब 14 महीने का समय है जिसमें बहुत कुछ किया जा सकता है। लव जिहाद जैसे अपराध सामाजिक और पारिवारिक चेतना के आधार पर ही नियंत्रित होंगे, गरबा पंडालों में किसी के प्रवेश पर पाबंदी लगाने से नहीं। प्रवेश के वक्त आधार कार्ड देखने में कोई हर्ज नहीं, पर किसी वर्ग विशेष को लक्ष्य करके अपमानजनक बयान देना किसी मंत्री के लिए उचित नहीं। यदि मध्य प्रदेश भाजपा उत्तर प्रदेश के चुनाव को अपने लिए माडल मानती है तो उसे वहां के चुनाव नतीजों की गहराई से मीमांसा करनी चाहिए। मरीचिका के पीछे भागने का हश्र कभी सुखद नहीं होता।

[संपादक, नईदुनिया, मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़]


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