MP By Elections 2020: भाजपा नेता मंच पर एकजुट, मगर चुनावी मैदान में जुदा दिख रही राहें
बुधवार को भी भाजपा ने दिग्गजों को मालाएं पहनाई स्वागत-सत्कार कर गिले-शिकवे दूर करने की कोशिश की गई। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इससे पहले उमा भारती को लोधी बहुल्य इलाकों में मंच पर लाकर चुनाव प्रचार का आग्रह भी कर चुके हैं।
धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में मतदान के लिए कुछ ही हफ्ते बाकी हैं, लेकिन भाजपा की अंदरूनी चुनौतियां जस की तस बनी हुई हैं। समझाने और बंद कमरों में बैठकों के दौर के बाद भी एकजुटता की बात नहीं दिख रही है। नाराज दिग्गजों के कदम चुनावी रण से दूर सिर्फ मंच तक ही बढ़ सके हैं। मंच से उतरते ही उनकी राहें जुदा हो रही हैं। पार्टी उनके रुख से परेशान है तो कार्यकर्ताओं में नकारात्मक संदेश जा रहा है।
मध्य प्रदेश में पार्टी की अंदरूनी चुनौतियां जस की तस बनी हुई हैं
पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, पूर्व मंत्री लाल सिंह आaर्य, केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते सहित तमाम दिग्गज हैं, जो भाजपा के चुनावी मंच पर तो दिखाई दिए, लेकिन चुनाव क्षेत्रों में सक्रिय नहीं हैं। जहां उपचुनाव हो रहे हैं, वहां भाजपा के पुराने और नए (सिंधिया समर्थक) कार्यकर्ताओं के बीच लकीर स्पष्ट दिख रही है। पार्टी के ही कई नेता मानते हैं कि दिग्गजों के करीब आए बिना समर्थकों से एकजुटता की उम्मीद नहीं कर सकते।
जमीनी हकीकत देख कार्यकर्ताओं तक जा रहा नकारात्मक संदेश
बुधवार को भी भाजपा ने दिग्गजों को मालाएं पहनाई, स्वागत-सत्कार कर गिले-शिकवे दूर करने की कोशिश की गई। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इससे पहले उमा भारती को लोधी बहुल्य इलाकों में मंच पर लाकर चुनाव प्रचार का आग्रह भी कर चुके हैं। उमा भारती ने मंच से तो पार्टी प्रत्याशियों को जिताने का वादा किया, लेकिन चुनाव मैदान के बजाय बद्रीधाम के लिए निकल पड़ीं। उधर, केंद्रीय मंत्रीद्वय प्रहलाद पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते की स्थिति भी अलग नहीं है।
ग्वालियर-चंबल अंचल में जाटव वोट सर्वाधिक हैं। पार्टी में जाटव वर्ग का सबसे बड़ा चेहरा लालसिंह आर्य हैं। मंत्री रहे आर्य 2018 में विधानसभा चुनाव में हार गए थे। राज्यसभा चुनाव में उनका नाम संभावित प्रत्याशियों की सूची में था, लेकिन बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी में आते ही सारे समीकरण बदल गए। बीते दिनों आर्य को भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर साधने की कोशिश हुई है।
हालांकि, इसका प्रभाव क्या रहा, ये कुछ दिनों बाद सामने आएगा। सिंधिया के खास तुलसीराम सिलावट के सांवेर विधानसभा क्षेत्र का भी यही हाल है। यहां कैलाश विजयवर्गीय का खासा प्रभाव है, लेकिन उनके समर्थक सिलावट से दूर ही हैं। सिंधिया समर्थक बाकी मंत्रियों को भी ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। ग्वालियर में प्रद्युम्न सिंह तोमर को भी पवैया का साथ नहीं मिल पा रहा है।
मप्र भाजपा के मुख्य प्रवक्ता डॉ. दीपक विजयवर्गीय ने कहा कि भाजपा एकजुट है। सभी स्तरों पर समन्वय है। जिस मंच पर जो नेता अपेक्षित है, वहां वह जरूर आता है। अलग-अलग अंचलों में सभी वरिष्ठ नेता चुनाव अभियान को आगे बढ़ा रहे हैं। वे अपने क्षेत्र में पार्टी की जीत सुनिश्चित कर रहे हैं।