पीएसी के अधिकतर सदस्य एजी, कैग को बुलाने के पक्ष में नहीं
पीएसी के अध्यक्ष और कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कैग की रिपोर्ट पर जानकारी के लिए इन्हें बुलाने का प्रस्ताव किया है, लेकिन समिति के ज्यादातर सदस्य इसके पक्ष में नहीं हैं।
नई दिल्ली, प्रेट्र : संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) राफेल सौदे पर पूछताछ के लिए अटार्नी जनरल और कैग को नहीं भी बुला सकती है। पीएसी के अध्यक्ष और कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कैग की रिपोर्ट पर जानकारी के लिए इन्हें बुलाने का प्रस्ताव किया है, लेकिन समिति के ज्यादातर सदस्य इसके पक्ष में नहीं हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा था कि राफेल सौदे पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट का जिक्र किया था, जिसे पीएसी में जमा किया गया है। लेकिन, उन्होंने कहा कि खड़गे की अध्यक्षता वाले पैनल को इस तरह की कोई रिपोर्ट सौंपी ही नहीं गई है।
खड़गे ने भी शनिवार को कहा था कि वह यह जानने के लिए कि कैग की रिपोर्ट कब संसद में रखी गई थी, समिति के सभी सदस्यों से कैग और एजी को बुलाने का अनुरोध करेंगे।
खड़गे के बयान पर बीजद के वरिष्ठ सांसद भतर्ृहरि महताब ने कहा कि समिति के अध्यक्ष निजी हैसियत से कैग और एजी को बुला सकते हैं, लेकिन पूरी समिति के सामने नहीं, क्योंकि 2018-19 के लिए उसके एजेंडे में राफेल सौदा है ही नहीं। इसके अलावा, राफेल सौदे पर कैग की रिपोर्ट अभी समिति के सामने रखी भी नहीं गई है।
वहीं, तेदेपा सांसद सीएम रमेश ने भी ऐसी ही बात कही है। उन्होंने कहा कि अगर सदस्य एजी और कैग को बुलाना चाहते हैं तो बुला सकते हैं, लेकिन संसद में रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद। वहीं, समिति में शामिल राजग के सदस्यों ने इसका कड़ा विरोध किया है। उनका कहना है कि ऐसा करना सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाना है।
भाजपा सांसद अनुरोध ठाकुर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने राफेल सौदे पर सरकार का क्लीन चिट दी है, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस और खड़गे जैसा वरिष्ठ नेता राष्ट्रीय सुरक्षा के इस संवेदनशील मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे हैं। वहीं, राजग की घटक शिरोमणि अकाली दल के सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा कि समिति के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पूछताछ शुरू करना ठीक नहीं होगा।
आपको बता दें कि 22 सदस्यीय पीएसी में भाजपा के सबसे ज्यादा 12 सांसद हैं। वहीं, उसके सहयोगी अकाली दल और शिवसेना के एक-एक सांसद हैं। जबकि, कांग्रेस के तीन, तृकां के दो और तेदेपा, बीजद और अन्नाद्रमुक के एक-एक सांसद सदस्य हैं।