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राहुल गांधी के सवाल के बाद कांग्रेस में शुरू हुई इस्तीफों की बौछार

महासचिव दीपक बाबरिया समेत राज्यों व एआईसीसी के करीब 150 पदाधिकारियों ने दिया इस्तीफा। दूसरी पंक्ति के नेताओं के इस्तीफों ने वरिष्ठों पर बनाया दबाव। माना हार की जिम्मेदारी सबकी।

By Nitin AroraEdited By: Published: Fri, 28 Jun 2019 06:28 PM (IST)Updated: Fri, 28 Jun 2019 11:20 PM (IST)
राहुल गांधी के सवाल के बाद कांग्रेस में शुरू हुई इस्तीफों की बौछार
राहुल गांधी के सवाल के बाद कांग्रेस में शुरू हुई इस्तीफों की बौछार

नई दिल्ली, संजय मिश्र। लोकसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेने से कतरा रहे वरिष्ठ पार्टी नेताओं के रुख पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बयान के बाद पार्टी में इस्तीफों की बौछार शुरू हो गई है। पार्टी महासचिव दीपक बाबरिया समेत एआईसीसी के साथ राज्यों के करीब 150 कांग्रेस नेताओं ने शुक्रवार को अपना इस्तीफा भेज दिया। राहुल के बयान के बाद दूसरी पंक्ति के नेताओं के इस्तीफों की पेशकश ने पार्टी के दिग्गजों पर भी पद छोड़ने का दबाव बना दिया है।

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पार्टी में बदलाव का रास्ता बनाने के लिए नेताओं की शुरू की गई इस पहल के बीच कांग्रेस ने एक बार फिर दोहराया कि पार्टी का अब भी मानना है कि राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष बने रहना चाहिए।

लोकसभा चुनाव की बड़ी हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ने के अपने फैसले पर अडिग होने के बार-बार संदेश दे चुके राहुल गांधी ने पार्टी की कमान छोड़ने से पहले संगठन में आमूल-चूल बदलाव का रास्ता खोलने का भी साफ संकेत दे दिया।

पार्टी में इस्तीफों की हुई शुरूआत के बीच छत्तीसगढ में नये प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रुप में नये चेहरे मोहन मरकाम की नियुक्ति कर इसका संकेत दे दिया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को इसके साथ ही राहुल ने प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया।

राहुल गांधी के इस्तीफे की पेशकश के बाद पार्टी नेता उनसे पद नहीं छोड़ने और आमूल-चूल बदलाव करने का आग्रह करते रहे थे मगर संगठन का अपना पद छोड़ने से हिचक रहे थे। मगर हरियाणा प्रदेश के नेताओं के साथ गुरूवार को हुई बैठक में राहुल ने दिग्गजों के हार की जिम्मेदारी लेते हुए पद छोड़ने के लिए आगे नहीं आने की बात उठा कांग्रेस में अंदरूनी खलबली मचा दी है।

इसी के बाद मध्यप्रदेश के प्रभारी कांग्रेस महासचिव दीपक बाबरिया ने यह कहते हुए इस्तीफे की पेशकश कर दी कि हार के लिए अकेले राहुल गांधी जिम्मेदार नहीं है बल्कि सभी इसके लिए जवाबदेह हैं। राहुल के बाद बाबरिया पार्टी के संगठन का पद छोड़ने की पेशकश करने वाले सबसे बड़े पदाधिकारी हैं और उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष का करीबी भी माना जाता है।

बाबरिया से पहले कांग्रेस की कई राज्य इकाईयों के अध्यक्ष, कार्यकारी अध्यक्षों, पार्टी के राष्ट्रीय सचिवों के अलावा युवा और महिला इकाई के करीब 150 पदाधिकारियों ने शुक्रवार को सामूहिक तौर पर अपने इस्तीफे पार्टी अध्यक्ष को भेज दिया।

इन सभी नेताओं के अनुसार लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार की जिम्मेदारी सबकी है। इसलिए वे इस्तीफा दे रहे हैं ताकि संगठन में आमूल-चूल बदलाव को पार्टी नेतृत्व अमलीजामा पहना सके। पार्टी की दूसरी पंक्ति के नेताओं की इस पहल ने साफ तौर दशकों से कांग्रेस की रीति-नीति संचालित करने वाले वरिष्ठ दिग्गजों पर पद छोड़ने का दबाव बना दिया है।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ की चुनाव नतीजे के तत्काल बाद इस्तीफे की पेशकश नेतृत्व से करने की टिप्पणी दिग्गजों पर बढ़े दबाव की ओर ही इशारा करती है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि अब पार्टी के कुछ वरिष्ठ दिग्गजों के इस्तीफों का विकेट गिरने का सिलसिला शुरू हो सकता है।

वैसे शुक्रवार को इस्तीफे की पेशकश करने वाले एआईसीसी के सचिवों में ज्यादातर नये हैं जिनमें अनिल चौधरी, राजेश धनानी, वीरेंद्र राठौर और प्रकाश जोशी जैसे नाम हैं। इसी तरह दिल्ली प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश लिलोठिया से लेकर तेलंगाना के कार्यकारी अध्यक्ष पोनम प्रभाकर भी सामूहिक इस्तीफा भेजने वालों की सूची में शामिल हैं।

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