मोरारी बापू ने कहा, सब मिलकर बनाएं अयोध्या में राम मंदिर Gorakhpur News
मोरारी बापू ने कहा कि इस देश के मुसलमान हों या हिंदू सिख हों या ईसाई सभी भारतीय हैं। सभी को मिलकर अयोध्या में राम मंदिर बनाना चाहिए।
गोरखपुर, जेएनएन। प्रख्यात कथावाचक मोरारी बापू ने कहा कि इस देश के मुसलमान हों या हिंदू, सिख हों या ईसाई, सभी भारतीय हैं। इस देश के सभी धर्म के लोगों को प्राथमिकता से सोचना चाहिए कि आध्यात्मिक स्थलों की गरिमा बनी रहे। सभी को मिलकर अयोध्या में राम मंदिर बनाना चाहिए।
भारत अखंड होकर रहेगा
बापू कुसम्हीं स्थित अपनी कुटिया में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने दो दिन पहले कहा था कि अखंड भारत होकर रहेगा। यह पूछने पर कि आपकी परिकल्पना में अखंड भारत की सीमा क्या होगी? बापू ने कहा कि बहुत पहले तो आर्यावर्त था। लेकिन दो-तीन सौ साल पहले तक जो भारत की सीमा थी, वह अखंड भारत की सीमा होनी चाहिए, कैलाश मानसरोवर भी अखंड भारत में मिल जाए, मेरी दृष्टि से यह न्यायोचित है।
पूरी दुनिया में जा रहा धर्म व विज्ञान का संदेश
उन्होंने कहा कि मैं नहीं मानता अध्यात्म विफल होता जा रहा है। अध्यात्म के क्षेत्र में युवा बहुत आए हैं, इसे प्रमुखता से लोगों के बीच में पहुंचाने की जरूरत है। धर्म व विज्ञान का संयुक्त संदेश पूरी दुनिया में जा रहा है। यह श्रद्धा का देश है, कुछ लोगों को वेश की वजह से भी सम्मान मिल जाता है, लेकिन सभी संत नहीं होते।
युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं
बापू ने कहा कि किसी समस्या का समाधान युद्ध नहीं होता, किसी एक आदमी का दिमाग खराब हो जाए, वह हिटलर हो या कोई और तो लाखों लोग मारे जाते हैं। इससे बचने की जरूरत है। यदि शस्त्र उठे भी तो शास्त्र की छाया में। हम प्रेम राज्य की ओर लोगों को लेकर चल रहे हैं। राम सिर्फ व्यक्ति नहीं, विचार, विवेक, वृत्ति व आदर्श हैं। राम को किसी एक फ्रेम में मढ़ा नहीं जा सकता। सत्य, प्रेम, करुणा सभी समस्याओं का समाधान है। मैं गंगा को लेकर खुद चिंतित हूं लेकिन काम चल रहा है।
बुजुर्गों की सेवा परमात्मा की सच्ची शरणागति : मोरारी बापू
इसके पूर्व श्रद्धालुओं को कज्ञा सुनाते हुए मोरारी बापू ने श्रद्धालुओं को सदाचार की शिक्षा दी। व्यास पीठ से उन्होंने लोगों के दिल में बुजुर्गों के प्रति सम्मान भरने की कोशिश की और इसे परमात्मा की कृपा से जोड़ते हुए बुजुर्गों, पड़ोसियों की सेवा को परमात्मा की सच्ची शरणागति बतायी और कहा कि इसी से जीवन में पंचशील आएगा। मां-बाप को वृद्धाश्रम में मत भेजो, उनके चरणों में है शील। मंदिरों में करोड़ों रुपये खर्च दिए और घर के नौकरों के लिए कुछ न किया तो शील नहीं आएगा। जीवन में शील नहीं उतरा तो न रामकथा उतरेगी और न ही राम। वंचित हो जाओगे महासुख से। इसलिए बुजुर्गों के चरण में जाओ, वहीं पर परमात्मा की शरणागति का द्वार मिलेगा। उन्होंने सुमति, सुशील, रसित, दासत्व व रघुनाथ से प्रेम को पंचशील का अंग बताया।
श्रद्धालुओं के प्रश्न व बापू के जवाब
गरीब व दरिद्र में क्या अंतर है?
बहुत फर्क है, दोनों दो छोर हैं। दरिद्रता कुछ चीजों का अभाव है जबकि गरीबी रंक स्वभाव है। गरीबी दुख नहीं है, दरिद्रता दुख है। गोस्वामी जी ने कहा है- नङ्क्षह दरिद्र सम दुख जग माही।
जब भी पढऩे जाता हूं, परमात्मा की याद आने लगती है, क्या करूं?
अच्छी बात है। एक बार फेल होना जाना लेकिन परमात्मा की याद को न हटाना। मोरारी बापू भी मैट्रिक में तीन साल फेल हुआ है।
हम साधारण लोगों को परमात्मा की प्राप्ति कैसे हो?
ज्यादा चिंतन करोगे तो परमात्मा दूर चला जाएगा, वह कर्म साध्य नहीं, कृपा साध्य है।
आत्मा-परमात्मा के बीच कनेक्शन कैसा होना चाहिए?
जैसा भी होना चाहिए, नाचने से हो जाता है।
गुरु मंत्र लिए बिना माला जप किया जा सकता है। कितनी माला करनी चाहिए?
गुरु मंत्र तो सार्थक है लेकिन ऐसा कोई गुरु न हो तो राम नाम ले ही सकते हो। संत गुरु से मंत्र मिल जाए तो बात ही और है।
मैं पुरोहित और ज्योतिषी हूं, क्या इस कार्य से भी परमात्मा की प्राप्ति हो सकती है?
घबराना मत, मानस में लिखा है कि पुरोहित कार्य अच्छा है। ज्योतिष भी बहुत महत्व की विद्या है, कोई भी विद्या हो वह राम के गर्भ गृह तक ले जा सकती है।
सिखों ने किया बापू को सम्मानित
कथा में सिख समुदाय के लोग भी पहुंचे और मोरारी बापू को शॉल व बुके भेंट कर उन्हें सम्मानित किया। बापू ने भी सिखों को प्रसाद स्वरूप रामनामी प्रदान की। बापू ने कहा कि नानक के 550वें वर्ष के उपलक्ष्य में मैं श्रीराम कथा करना चाहता हूं, लेकिन कथा कब और कहां करूंगा, यह मेरी स्वतंत्रता है। कोई पंचशील वाला आयोजक मिल गया तो समय दे दूंगा। इस अवसर पर पंजाबी अकादमी के सदस्य जगनैन सिंह नीटू, जसपाल सिंह, हरप्रीत सिंह साहनी, चरनप्रीत सिंह मोंटू, मंजीत सिंह भाटिया, कुलदीप सिंह नीलू, मनोज आनंद आदि उपस्थित थे।