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मून ने दिखाई भावी रिश्ते की दिशा- अमेरिका, जापान जैसा मजबूत रिश्ता चाहते हैं भारत के साथ

राष्ट्रपति मून ने कहा कि भारत के साथ द्विपक्षीय कारोबार को लेकर एक विशेष समझौता किये जाने की बेहद जरुरत है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 09 Jul 2018 10:06 PM (IST)Updated: Tue, 10 Jul 2018 12:07 AM (IST)
मून ने दिखाई भावी रिश्ते की दिशा- अमेरिका, जापान जैसा मजबूत रिश्ता चाहते हैं भारत के साथ
मून ने दिखाई भावी रिश्ते की दिशा- अमेरिका, जापान जैसा मजबूत रिश्ता चाहते हैं भारत के साथ

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत की चार दिवसीय यात्रा पर आये दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जेई-इन ने जता दिया है कि उनके देश के लिए भारत के साथ द्विपक्षीय रिश्ते कितने अहम है। यात्रा के दूसरे दिन सोमवार को जहां उन्होंने पीएम मोदी के साथ काफी समय गुजारा वहीं उन्होंने यह जताने में कोई कोताही नहीं की कि दक्षिण कोरिया भारत के साथ वैसा ही रिश्ता चाहता है जैसा चीन, जापान, रूस और अमेरिका के साथ है।

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पीएम मोदी के साथ मंगलवार को होने वाली द्विपक्षीय वार्ता में होगी चर्चा

माना जाता है कि दक्षिण कोरिया की कूटनीति में इन चार देशों को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है। राष्ट्रपति मून मंगलवार को जब पीएम नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता के लिए आमने-सामने होंगे तो इन बातों का खास तौर पर महत्व होगा।

यहां भारत कोरिया बिजनेस काउंसिल की बैठक को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मून ने कहा कि दक्षिण कोरिया भारत के साथ वैसा ही रिश्ता चाहता है जैसा कि उसके कोरियाई पेनिन्सुला के आसपास की अन्य शक्तियों के साथ है। उनके कहने का मतलब यह है कि दक्षिण कोरिया जिस तरह से अभी चीन, अमेरिका, रूस और जापान के साथ अपने रिश्ते को महत्व देता है वैसा ही वह भारत के साथ अपने द्विपक्षीय रिश्ते को भी देता है।

हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस रिश्ते में कूटनीति के साथ ही आर्थिक रिश्तों की खास अहमियत होगी। राष्ट्रपति मून ने कहा कि भारत के साथ द्विपक्षीय कारोबार को लेकर एक विशेष समझौता किये जाने की बेहद जरुरत है। इस संबंध में दोनो देशों के बीच पहले से चल रही वार्ता का उन्होंने जल्दी से संपन्न करने का आह्वान किया। उधर भारत व दक्षिण कोरिया के वाणिज्य व उद्योग मंत्रालयों के बीच व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) और क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक समझौते (आरसीईए) पर विचार विमर्श हुआ।

मून ने कहा कि दक्षिण कोरियाई कंपनियां भारत में निवेश करने को तैयार है और हमारी सरकार भी उन्हें पूरा प्रोत्साहन दे रही है। अभी भारत दुनिया की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है जबकि दक्षिण कोरिया 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। हालांकि दोनो देशों के बीच सिर्फ 20 अरब डॉलर का सालाना कारोबार होता है। इसे बढ़ाने की काफी संभावनाएं हैं।

उन्होंने कहा कि भारत और दक्षिण कोरिया एक साथ मिल जाए तो दुनिया में चौथे चरण की आर्थिक क्रांति का आगाज कर सकते हैं। इस बारे में मंगलवार को दोनो देशों के बीच एक समझौता भी होने के आसार है। दक्षिण कोरियाई कंपनियां भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर में भी बड़े पैमाने पर निवेश करने को तैयार है।

वाणिज्य व उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति का इस समय भारत आना बताता है कि वह इस रिश्ते को कितना महत्व देते हैं। दक्षिण कोरिया की कंपनियों को भारत में निवेश करने के मौका को गंवाना नहीं चाहिए क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था में आने वाले दिनों में और तेजी से वृद्धि होनी तय है।


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