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Monsoon Session Of Parliament: कई बार हंगामे की भेंट चढ़ा है प्रश्नकाल जानिए कितना हुआ नुकसान

Monsoon Session Of Parliament आइए आंकड़ों के जरिये जानते हैं कि विभिन्न संसद सत्रों के दौरान प्रश्नकाल का कितना समय बर्बाद हुआ और कितना कामकाज हुआ।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 05 Sep 2020 09:24 AM (IST)Updated: Sat, 05 Sep 2020 09:26 AM (IST)
Monsoon Session Of Parliament: कई बार हंगामे की भेंट चढ़ा है प्रश्नकाल जानिए कितना हुआ नुकसान
Monsoon Session Of Parliament: कई बार हंगामे की भेंट चढ़ा है प्रश्नकाल जानिए कितना हुआ नुकसान

नई दिल्‍ली, जेएनएन। Monsoon Session Of Parliament, कोरोना के कारण संसद के मानसून सत्र के दौरान प्रश्नकाल को स्थगित रखा गया है। जिसके बाद विपक्षी दलों के नेताओं ने इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। हालांकि संसद में प्रश्नकाल कई बार विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ चुका है। आइए आंकड़ों के जरिये जानते हैं कि विभिन्न संसद सत्रों के दौरान प्रश्नकाल का कितना समय बर्बाद हुआ और कितना कामकाज हुआ। पेश है एक नजर:

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ऐसे मौके जब हुआ कम काम

संसद में कई बार ऐसे मौके आए हैं, जब प्रश्नकाल के दौरान बहुत कम काम हुआ। लोकसभा में 2018 के शीतकालीन सत्र में प्रश्नकाल के दौरान महज 27 फीसद कामकाज हुआ। वहीं 2018 के बजट सत्र में 11 फीसद काम हुआ था। वहीं 2013 के शीतकालीन सत्र में 2 फीसद और 2012 के मानसून सत्र में महज 6 फीसद काम हुआ।

[पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के अनुसार] 

राज्यसभा में कई बार जीरो फीसद काम

संसद सत्रों के दौरान कई बार ऐसी स्थिति भी आई है, जब राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान जीरो फीसद काम हुआ। फरवरी 2019 में संसद के बजट सत्र के दौरान प्रश्नकाल में जीरो फीसद कामकाज हुआ। वहीं 2016 के शीतकालीन सत्र में भी प्रश्नकाल के दौरान कोई काम नहीं हुआ। 2015 के मानसून सत्र और 2018 के बजट सत्र के दौरान राज्यसभा में क्रमश: 1 और 3 फीसद काम हुआ। बता दें कि शून्यकाल के दौरान सांसद किसी महत्वपूर्ण मामले को दस दिनों की अग्रिम सूचना के बिना सदन में उठा सकते हैं, जबकि प्रश्नकाल सिटिंग सेशन का पहला घंटा है जिसमें संसद सदस्य मंत्रियों से प्रश्न पूछते हैं।

संसद सत्र को लेकर नौ पेज के दिशानिर्देश जारी

कोरोना काल में आयोजित हो रहे संसद सत्र को लेकर नौ पेज के दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। इसके तहत सांसदों को अपनी, अपने परिवार के सदस्यों और नजदीकी संपर्क वाले व्यक्तियों की कोरोना निगेटिव रिपोर्ट लानी होगी। नजदीकी संपर्क वाले व्यक्तियों में सांसदों के निजी सहायक, निजी सचिव, चालक और घरेलू सहायक या सहायिका शामिल हैं। सांसदों को कोरोना टेस्ट मानसून सत्र शुरू होने से 72 घंटे पहले कराना होगा। कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर सांसद को आइसोलेशन में जाना होगा या अस्पताल में भर्ती होना होगा। अगर सांसद का कोई परिजन या निजी सहायक या निजी सचिव या घरेलू सहायक/सहायिका पॉजिटिव पाई जाते हैं तो सांसद को हाई रिस्क जोन में माना जाएगा और उन्हें 14 दिन के क्वारंटाइन में जाना होगा।

 

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