विपक्ष के भारी हंगामे के चलते संसद का मानसून सत्र समय से पहले खत्म, संसद चर्चा के लिए, गतिरोध के लिए नहीं
संसद के मानसून सत्र में सरकार ने संविधान संशोधन विधेयक सहित अपने सभी जरूरी कामकाज निपटा लिए। सत्र के दौरान कुल 20 विधेयक पारित कराए गए लेकिन कामकाज के लिहाज से स्थिति गंभीर रही। लोकसभा में 22 फीसद और राज्यसभा में 28 फीसद ही कामकाज हो पाया।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विपक्ष के भारी हंगामे के चलते आखिरकार संसद का मानसून सत्र बुधवार को तय समय से दो दिन पहले ही समाप्त कर दिया गया। यह 13 अगस्त तक प्रस्तावित था। इस बीच सरकार ने संविधान संशोधन विधेयक सहित अपने सभी जरूरी कामकाज निपटा लिए। सत्र के दौरान कुल 20 विधेयक पारित कराए गए, लेकिन कामकाज के लिहाज से स्थिति गंभीर रही। लोकसभा में 22 फीसद और राज्यसभा में 28 फीसद ही कामकाज हो पाया।
राज्यसभा में विपक्ष के हंगामे के कारण सभापति के इर्दगिर्द 50 मार्शलों ने बनाया सुरक्षा घेरा
'प्रेट्र' के मुताबिक, राज्यसभा में सत्र के आखिरी दिन अभूतपूर्व नजारा दिखाई दिया जब बीमा संशोधन विधेयक पेश किया गया तो विपक्षी सदस्यों ने सभापति के आसन के समीप आकर हंगामा शुरू कर दिया और नारेबाजी करने लगे। इस दौरान करीब 50 मार्शलों ने सभापति के इर्दगिर्द सुरक्षा घेरा बना लिया। विपक्षी सदस्यों ने कुछ कागज फाड़े और सभापति व सदन के अधिकारियों की ओर उछाल दिए, उन्होंने मार्शलों के साथ धक्का-मुक्की भी की।
ओम बिरला ने कहा- सदन में लोक महत्व के मुद्दों पर चर्चा नहीं होने से दुखी हूं
लोकसभा में हुए कामकाज का ब्योरा पेश करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सदन में पैदा किए गए गतिरोध के कारण वह बहुत दुखी हैं। लोगों की पीड़ा को समझते हैं क्योंकि इस बार भी लोक महत्व के मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं हो पाई। यह पीड़ादायी है और लोकतंत्र के लिए शुभ नहीं है। सदस्यों का समझना होगा कि संसद चर्चा के लिए है, गतिरोध के लिए नहीं। इस पूरे सत्र के दौरान लोकसभा की कुल 17 बैठकें ही हुईं, जिसके लिए 96 घंटे का समय निर्धारित था, लेकिन व्यवधान के चलते सिर्फ 21 घंटे ही काम हुआ। बिरला ने कहा कि सदस्यों का तख्तियां दिखाना और कूप में आकर नारेबाजी करना लोकसभा की परंपरा के अनुरूप नहीं है।
राज्यसभा हंगामे की भेंट चढ़ी
राज्यसभा भी हंगामे की भेंट चढ़ी। बावजूद इसके राज्यसभा में लोकसभा से ज्यादा काम हुआ है। राज्यसभा में मानसून सत्र के दौरान 28 फीसद काम हुआ है। राज्यसभा में भी सत्र के दौरान कुल 17 बैठकें हुईं जिसके लिए कुल 102 घंटे का समय तय किया गया था, लेकिन इनमें सिर्फ 28 घंटे ही काम हो पाया। हंगामे के चलते राज्यसभा का 74 घंटे का समय बर्बाद हुआ है। पीआरएस लेजिस्लिेटिव रिसर्च के मुताबिक, लोकसभा में इस सत्र में हुआ कामकाज 2016 के शीत सत्र के बाद सबसे कम है। तब निर्धारित समय के सिर्फ 15 फीसद में कामकाज हुआ था। वहीं, राज्यसभा ने पिछले 10 साल में पांच सत्रों में अपने निर्धारित समय के 25 फीसद से कम काम किया है।
लोकसभा अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित
इस बीच, बुधवार को लोकसभा को जहां सुबह-सुबह ही कार्यवाही शुरू होते ही अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित कर दिया गया, तो राज्यसभा में बुधवार का दिन काफी कामकाजी रही। इस दौरान सरकार ने संविधान संशोधन विधेयक सहित बीमा विधेयक और होम्योपैथी विधेयक को पारित कराया। मालूम हो कि संसद का मानसून सत्र 19 जुलाई, 2021 को शुरू हुआ था।
राज्यसभा में अभद्रता करने वाले सदस्यों पर कड़ी कार्रवाई तय, नेता सदन ने रखा प्रस्ताव
राज्यसभा में विपक्षी सदस्यों की अभद्रता पर सरकार ने बुधवार को कड़ा रुख दिखाया और सदस्यों के इस तरह के व्यवहार को अक्षम्य करार दिया। मानसून सत्र की समाप्ति के मौके पर सदन के नेता पीयूष गोयल ने इसे लेकर अपना दर्द बयां किया और कहा कि विपक्ष के कुछ सदस्यों ने सदन में जिस तरह का आचरण किया है, वह निंदनीय है। इन सदस्यों ने न सिर्फ सभापति की गरिमा का अपमान किया, बल्कि सदन के कर्मचारियों के साथ भी दुर्व्यवहार किया। उन्होंने सभापति से मांग की कि इन सदस्यों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए, जिससे सदन की गरिमा बनी रही। इसे लेकर एक स्पेशल कमेटी गठित की जाए जो पूरे मामले की गहराई से जांच करे।