Move to Jagran APP

संघ प्रमुख बोले, देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने की जरूरत

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने की जरूरत है। कुटीर उद्योगों की गुणवत्ता पर भी बल दिया जाना चाहिए।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 16 Aug 2020 11:22 PM (IST)Updated: Mon, 17 Aug 2020 07:35 AM (IST)
संघ प्रमुख बोले, देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने की जरूरत
संघ प्रमुख बोले, देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने की जरूरत

रायपुर, पीटीआइ। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (RSS Chief Mohan Bhagwat) ने कहा है कि देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने की जरूरत है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छत्तीसगढ़ और महाकोशल प्रांत की राज्‍य ईकाई की बैठक को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि देश को स्वावलंबी और आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए सर्वत्र प्रयत्न हो रहे हैं। देश को आत्‍मनिर्भर बनाने के लिए देशवासियों में स्वदेशी के प्रति स्वाभिमान का भाव जगा है। इसके लिए कुटीर उद्योगों की गुणवत्ता पर भी बल देने की जरूरत है।

loksabha election banner

संघ प्रमुख ने कहा कि भारत की जलवायु, मिट्टी, मान्यताएं, परंपराएं और सामर्थ्य इतना है कि यदि हम सब संकल्प लें तो भारत को आत्मनिर्भर बनाने में कोई कठिनाई नहीं आएगी। देश को आत्मनिर्भर बनने के लिए एक व्यक्ति और एक संगठन के नाते हमारी जो जिम्मेदारी है उसका हम पालन करेंगे। देश को आत्मनिर्भर बनाने में सामूहिक जीवन में जरूरी बातों को अंगीकार करना मददगार रहेगा। संघ प्रमुख ने कहा कि यदि हम ऐसा करते हैं तो देश एकबार फ‍िर से उठ खड़ा होगा जिससे दुनिया को सही दिशा में चलने की प्रेरणा मिलेगी।  

आरएसएस के प्रांत प्रचार प्रमुख सुरेंद्र कुमार ने रविवार को बताया कि रायपुर स्थित आरएसएस कार्यालय जागृति मंडल में भागवत के नेतृत्व में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छत्तीसगढ़ और महाकोशल प्रांत की बैठक हुई। बैठक के दौरान प्रवासी श्रमिक, पर्यावरण, स्वदेशी, ग्राम विकास और सामाजिक समरसता पर चर्चा की गई। बैठक में दोनों प्रांतों की छोटी टोली के सभी अपेक्षित अधिकारी शामिल हुए। बैठक में सरकार के द्वारा व्यापक स्तर पर प्रवासी श्रमिकों के लिए चलाई जा रही योजनाओं का लाभ उन तक पहुंचाने के लिए स्वयंसेवकों की ओर से किए गए कार्यों का भी उल्लेख किया गया।

बीते दिनों भागवत ने कहा था कि स्वतंत्रता के बाद देश की जरूरतों के अनुरूप आर्थिक नीति नहीं बनी। कोरोना के अनुभवों से साफ है कि विकास का एक नया मूल्य आधारित मॉडल होना चाहिए। उन्‍होंने यह भी कहा था कि स्वदेशी का यह मतलब नहीं कि सभी विदेशी उत्पादों का बहिष्कार किया जाए। भागवत ने डिजिटल माध्यम से प्रो. राजेंद्र गुप्ता की दो पुस्तकों का विमोचन करते हुए उक्‍त बातें कही थीं। भागवत ने कहा था कि स्वतंत्रता के बाद जैसी आर्थिक नीति बननी चाहिए थी, वैसी नहीं बनी। अच्छा हुआ कि अब शुरू हो गया है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.