स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करने की तैयारी, जल्द हो सकता है बड़ा एलान
फसलों के डेढ़ गुना समर्थन मूल्य की सिफारिशें भले ही संप्रग सरकार के दौरान आई हों, लेकिन उसे लागू करने का श्रेय राजग सरकार को जाता है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। फसलों के डेढ़ गुना समर्थन मूल्य की सिफारिशें भले ही संप्रग सरकार के दौरान आई हों, लेकिन उसे लागू करने का श्रेय केंद्र की वर्तमान राजग सरकार को जाता है। कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए एम. स्वामीनाथन आयोग की ज्यादातर सिफारिशों पर अमल शुरु कर दिया गया है। खेती को घाटे से उबारने और किसानों की आमदनी को बढ़ाने के सुझाये उपायों को सरकार ने एक-एक कर लागू किया है। इनमें से अधिकतर के नतीजे दिखने भी लगे हैं।
- एक दशक बाद स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश लागू
- डेढ़ गुना समर्थन मूल्य के सुझाव पर अमल, आमदनी बढ़ाने पर जोर
- कृषि सुधार के उपाय लागू करने को केंद्र के साथ ज्यादातर राज्य सहमत
कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए बटाईदार कानून, मंडी कानून और कांट्रैक्ट खेती के लिए तैयार केंद्र के मॉडल कानून पर राज्य अमल करने को राजी हो गये हैं। फसलों की खेती की लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित करने की सिफारिश की गई थी। रिपोर्ट आते ही किसान आंदोलन हुए, लेकिन तत्कालीन सरकार ने उन्हें दरकिनार कर दिया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र की सत्ता संभालते ही स्वामीनाथन कमेटी रिपोर्ट को लागू करने की प्रक्रिया शुरु कर दी। फसलों के समर्थन मूल्य में डेढ़ गुना की वृद्धि का ऐलान ही नहीं बल्कि लागू भी कर दिया। चालू खरीफ सीजन से ही फसलों के समर्थन मूल्य इसके आधार पर घोषित किये जाएंगे।
केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने बताया कि स्वामीनाथन रिपोर्ट में कई अहम बुनियादी सुझाव थे, जिसे तब ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
सिंचाई के साधन बढ़ाकर कृषि उत्पादकता बढ़ाने की स्वामीनाथन की सिफारिश को प्रधानमंत्री मोदी ने गंभीरता से लिया और 'प्रति बूंद अधिक पैदावार' नारा देकर खेती को नई ऊंचाई पर पहुंचाने का वीड़ा उठाया है। सिंह ने कहा कि इसके तहत बीते साल में ही लगभग 10 लाख हेक्टेयर असिंचित भूमि तक सिंचाई पहुंचा दी गई। अगले तीन चार सालों में देश की 15 से 20 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि को सिंचित कर दिये जाने का लक्ष्य है।
किसानों की आमदनी को बढ़ाने के लिए विस्तार से सिफारिश की गई थी। मोदी सरकार ने इसे उच्च प्राथमिकता देते हुए कृषि वानिकी नीति बनाई। 21 राज्यों ने अपने वन कानून में संशोधन किया, जिससे लकडि़यों की आवाजाही पर लगाई गई, पाबंदियां हट गईं। मोदी का काफी प्रचलित नारा 'मेड़ पर पेड़' जमीन पर उतरने लगा। इसी के तहत बांस की कटाई पर लगी रोक हट गई। राष्ट्रीय बांस मिशन को रफ्तार मिल गई।
मिट्टी की उर्वरता को संरक्षित करने और जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग के मद्देनजर सरकार ने परंपरागत कृषि विकास योजना की शुरुआत की है। सरकार ने स्वामीनाथन की इस सिफारिश पर अमल करने के लिए इसे प्रोत्साहित किया। पूर्वोत्तर के राज्यों की अलग-थलग पड़ी खेती को नया जीवनदान मिला और समूचा पूर्वोत्तर जैविक खेती का अगुवा बन चुका है।
कृषि उपज का उचित मूल्य दिलाने को मोदी सरकार ने उच्च प्राथमिकता दी है। इसके लिए राज्यों के सहयोग से मंडी कानून में संशोधन करने और ई-प्लेटफार्म पर मंडी विकसित की जा रही हैं। इससे किसानों के साथ बिचौलिये ठगी नहीं कर सकते हैं। बटाईदार कानून में संशोधन के लिए राज्यों की सहमति के साथ केंद्र सरकार आगे बढ़ रही है। दलहन व तिलहन की खरीद में पूर्ववर्ती सरकार जान बचाती थी तो राजग सरकार ने थोड़े समय में ही इन जिंसों की 64 लाख टन से भी अधिक खरीद कर चुकी है।