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इंदिरा से लेकर राहुल गांधी तक...जब भी अदालत से लगा झटका, चट्टान की तरह खड़ी रही कांग्रेस पार्टी

Modi Surname Remark Case राहुल को सजा के बाद कांग्रेस और भाजपा में आरोप-प्रत्यारोप की झड़ी लग गई है। कांग्रेस नेता की संसद सदस्यता पर भी अब खतरा मंडराने लगा है। कांग्रेस ने भाजपा पर राहुल को फंसाने का आरोप लगाया है।

By AgencyEdited By: Mahen KhannaPublished: Thu, 23 Mar 2023 11:43 PM (IST)Updated: Thu, 23 Mar 2023 11:43 PM (IST)
इंदिरा से लेकर राहुल गांधी तक...जब भी अदालत से लगा झटका, चट्टान की तरह खड़ी रही कांग्रेस पार्टी
Modi surname remark Case राहुल को सजा पर कांग्रेस एकजुट।

सूरत (एएनआई)। Modi surname remark Case सूरत की अदालत में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को उनके 'मोदी सरनेम' वाले बयान पर मानहानि के मामले में दो वर्ष की सजा सुनाई गई है। इसके बाद भाजपा और कांग्रेस नेताओं में जुबानी जंग और आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज़ हो गया है। बता दें राहुल गांधी ने अप्रैल 2019 में कर्नाटक के कोलार में लोकसभा चुनाव रैली में कहा "सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?"

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अब अदालत द्वारा राहुल गांधी को सजा सुनाए जाने के बाद भाजपा कांग्रेस पर गैर-जिम्मेदार बयानबाजी का आरोप लगा रही है, वहीं कांग्रेस ने हमेशा की तरह अपने नेता का बचाव किया है। पार्टी का कहना है कि भाजपा राहुल गांधी और विपक्ष की आवाज दबा रही है। पार्टी नेताओं ने यहां तक आरोप लगाया कि न्यायपालिका दबाव में है।

भाजपा ने लगाया संस्थाओं के अपमान का आरोप

अगर भाजपा की बात करें तो केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि कांग्रेस नेताओं की प्रतिक्रियाओं से स्पष्ट है कि वे देश की संस्थाओं का सम्मान नहीं करते हैं। केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि राहुल गांधी अपने बयान से अपनी ही पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कानून व्यवस्था में अनर्गल आरोप लगाने की सजा है और राहुल गांधी को इससे सीखना चाहिए।

राहुल की आवाज दबा रही सरकार

उधर कांग्रेस नेताओं ने भी भाजपा और सरकार पर हमला बोला और कहा कि वे किसी दबाव में नहीं आएंगे। कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने बार-बार न्यायाधीश बदले जाने की बात कहकर अपरोक्ष रूप से न्यायपालिका पर सरकार के दबाव की तरफ इशारा किया। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तो यहां तक कह दिया, "न्यायपालिका को प्रभावित करने का प्रयास किया जा रहा है।"

वहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि न्यायपालिका, चुनाव आयोग और प्रवर्तन निदेशालय पर दबाव होने के कारण लोकतंत्र खतरे में है। बता दें कि राहुल गांधी ने फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं की और महात्मा गांधी के एक कथन का जिक्र करते हुए हिंदी में ट्वीट किया, "मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है। सत्य मेरा भगवान है, अहिंसा उसे पाने का साधन - महात्मा गांधी"। प्रियंका गांधी वाड्रा ने फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा “सत्ता की सारी डरी हुई मशीनरी ‘साम, दाम, दंड, भेद’ से राहुल गांधी की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है।” कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की और सूरत अदालत के फैसले को गलत बताया।

संसद सदस्यता पर खतरे के बादल

अगर कांग्रेस की कानूनी चुनौतियों की बात करें तो पार्टी के लिए यह फैसला एकमात्र मुश्किल नहीं है। पार्टी के नेता कई कानूनी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं और अतीत में इंदिरा गांधी तक अदालती फैसले से अपनी संसद सदस्यता गंवा चुकी हैं। इस फैसले के राहुल की राजनीति पर प्रभावों का जिक्र करें तो सबसे पहले उनकी संसद सदस्यता खतरे में है।

फैसला आने के कुछ घंटे बाद, सुप्रीम कोर्ट के वकील विनीत जिंदल ने लोकसभा अध्यक्ष के पास शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने सजा के बाद राहुल गांधी को सदन से अयोग्य ठहराने की मांग की है। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 (3) के अनुसार, किसी भी अपराध के लिए दो वर्ष से अधिक की सजा पाने पर सांसद/विधायक को सजा की तारीख से अयोग्य घोषित किए जाने की बात कही गई है। 

इंदिरा गांधी भी गंवा चुकी हैं संसद सदस्यता

राहुल गांधी की दादी इंदिरा गांधी को भी अदालत के प्रतिकूल फैसले का सामना करना पड़ा था। जून 1975 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उन्हें दोषी ठहराए जाने के बाद छह साल के लिए कोई भी निर्वाचित पद धारण करने से रोक दिया गया था। माना जाता है कि इस फैसले के कारण आपातकाल लगाया गया था। हालांकि, कांग्रेस पार्टी ने अपने  हर नेता का हर मौके पर बचाव किया और उसके लिए लड़ाई लड़ने का काम किया।


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