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सांप्रदायिक तनाव और उन्मादी हिंसा पर मोदी सरकार ने विपक्ष को दिखाया आईना

नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो ने 2014 से सांप्रदायिक तनाव के घटनाओं को रिकार्ड करने का काम शुरु किया जो 2017 तक किया गया उसके बाद बंद कर दिया।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 24 Jul 2019 10:22 PM (IST)Updated: Thu, 25 Jul 2019 07:18 AM (IST)
सांप्रदायिक तनाव और उन्मादी हिंसा पर मोदी सरकार ने विपक्ष को दिखाया आईना
सांप्रदायिक तनाव और उन्मादी हिंसा पर मोदी सरकार ने विपक्ष को दिखाया आईना

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सांप्रदायिक तनाव और उन्मादी हिंसा पर घेरने की कोशिश में जुटे विपक्ष को सरकार ने बुधवार को आईना दिखाया है। साथ ही बताया है कि इनमें पहले के मुकाबले कमी आयी है। 2014 में जहां सांप्रदायिक तनाव से जुड़ी 820 घटनाएं रिपोर्ट हुई थी, जबकि 2018 में 708 घटनाएं रिपोर्ट हुई है। इसके साथ ही वह यह भी बताने से नहीं चूकी कि यह राज्य का विषय है और राज्यों को लगातार जरूरी दिशा-निर्देश दिए जाते रहते है।

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केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी कृष्णा रेड्डी बुधवार को राज्यसभा में विपक्ष से जुड़े सवालों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो ने 2014 से सांप्रदायिक तनाव के घटनाओं को रिकार्ड करने का काम शुरु किया, जो 2017 तक किया गया, उसके बाद बंद कर दिया।

बावजूद इसके उनके पास आईबी के रिकार्ड के तहत जो जानकारी है, उनमें देश में सांप्रदायिक तनाव में लगातार कमी आ रही है। राज्यों को ऐसी घटनाओं में कमी लाने के लिए लगातार दिशा-निर्देश दिए जाते है।

कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद की ओर से उन्मादी हिंसा को लेकर किए गए सवालों पर भी उन्होंने जवाब दिया और कहा कि ऐसे घटनाओं की कोई एक प्रकृति नहीं है। यह सभी राज्यों में अलग-अलग तरीके से देखने को मिलती है। इसमें कांग्रेस शासित राज्य भी शामिल है।

वैसे भी ऐसी घटनाओं का किसी पार्टी से कोई संबंध नहीं है। मेरे पास जो डाटा है, उसमें साफ है कि त्रिपुरा में जब सीपीएम की सरकार थी, तब भी उन्मादी हिंसा की घटनाएं हुई थी।

पश्चिम बंगाल में जब तृणमूल कांग्रेस का सरकार है। वहां भी ऐसी घटनाएं सामने आयी है। ऐसे में इसे सिर्फ इसका सिर्फ भाजपा या एनडीए से संबंध ठीक नहीं है। वैसे भी ऐसी घटनाएं ठीक नहीं है। केंद्र लगातार इस दिशा में एयवाइजरी जारी करता रहता है।


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