नौकरशाही को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने की मोदी सरकार की नई मुहिम, जानें क्या उठाया कदम
केंद्र में बैठी मोदी सरकार ने नौकरशाही को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए नई मुहिम छेड़ दी है।
नई दिल्ली, आइएएनएस। केंद्र में बैठी मोदी सरकार ने नौकरशाही को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए नई मुहिम छेड़ दी है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने केंद्र सरकार के सभी विभागों से खर्चीले और भ्रष्ट अधिकारियों की सूची हर कुछ महीने पर मुहैया कराते रहने को कहा है, ताकि व्यवस्था को साफ-सुथरा बनाया जा सके।
हाल के दिनों में आयकर विभाग से लेकर तमाम अन्य विभागों के भ्रष्ट और संदिग्ध चरित्र वाले अधिकारियों को जबरन रिटायर किया गया है। लेकिन सरकार ने यह देखा है कि सख्त कार्रवाई के बावजूद भ्रष्टाचार को लेकर शिकायतें बढ़ती ही जा रही हैं। पीएमओ ने यह भी देखा है कि पहले जिन अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतें थीं, उनके खिलाफ न सिर्फ शिकायतों में वृद्धि हुई है, बल्कि उनका रैंक भी बढ़ते गया है।
सरकार इस हालात से व्यथित हो गई है, क्योंकि पिछले पांच साल से मोदी सरकार ने नौकरशाही में भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान छेड़ रखा है। लेकिन हालात में ज्यादा बदलाव होते नहीं देख अब सरकार ने जीरो टालरेंस की नीति अपना ली है। संदिग्ध रिकॉर्ड वाले कम से कम 1007 अधिकारियों की सघन छानबीन की जा रही है। इसके लिए कई तरीके अपनाए जा रहे हैं। इन अधिकारियों की संपत्तियों में अचानक बेतहाशा बढ़ोत्तरी, उनके बड़े-बडे़ खर्चो इत्यादि की जांच पड़ताल की जा रही है।
सभी विभागों के सतर्कता इकाइयों को सक्रिय कर दिया गया है। 21 आइएएस और समूह 'क' के नौ अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच की जा रही है। इसके अलावा समूह 'ख' और 'ग' के 1,815 अधिकारियों के खिलाफ जांच तेज कर दी गई है। रेल मंत्रालय के 14, कोयला मंत्रालय के 12 और उड्डयन मंत्रालय के छह अधिकारियों के साथ ही जहाजरानी मंत्रालय के कई अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति के एफआर 56 (जे) नियम के तहत बाहर का रास्ता दिखाने के लिए जांच चल रही है। इस नियम के तहत सरकार को 30 की नौकरी या 50 साल की आयु पूरी करने के वाले भ्रष्ट अधिकारियों को जबरन रिटायर करने का अधिकार प्राप्त है।
हाल ही में 37 भ्रष्ट अधिकारियों को हटाने की सिफारिश करने वाले केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआइसी) की जांच समिति की इस महीने के तीसरे हफ्ते में इस तरह के और अधिकारियों के नाम तय करने के लिए बैठक होने वाली है। 600 से ज्यादा केंद्रीय स्वायत्त निकायों को भी इस तरह की समीक्षा करने के सख्त निर्देश जारी किए गए हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि इन स्वायत्त निकायों द्वारा की गई कार्रवाइयों की प्रत्येक मंत्रालय और विभाग द्वारा समीक्षा की जाएगी, जिसके तहत वो निकाय आते हैं, ताकि समयबद्ध तरीके से आगे की कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।