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प्रस्तावित नई शिक्षा नीति पर मोदी सरकार नहीं चाहती किसी भी राज्य से कोई रार

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कहा कि प्रस्तावित नई शिक्षा नीति को अंतिम रूप देने बाद इसे सभी मंत्रालयों को भेजा जाएगा। जिसके बाद इसे कैबिनेट की मंजूरी के भेजा जाएगा।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 19 Aug 2019 10:14 PM (IST)Updated: Mon, 19 Aug 2019 10:19 PM (IST)
प्रस्तावित नई शिक्षा नीति पर मोदी सरकार नहीं चाहती किसी भी राज्य से कोई रार
प्रस्तावित नई शिक्षा नीति पर मोदी सरकार नहीं चाहती किसी भी राज्य से कोई रार

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रस्तावित नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अंतिम रूप देने की दिशा में सरकार ने तेजी से काम शुरु दिया गया है। इस कड़ी में मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने सोमवार को तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री के साथ इसे लेकर लंबी चर्चा की है।

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तमिलनाडु के साथ यह चर्चा इसलिए भी अहम है, क्योंकि नई शिक्षा नीति के सामने आने के बाद त्रिभाषा फार्मूले के तहत हिंदी की अनिवार्यता को लेकर विरोध के सबसे पहले सुर तमिलनाडु से ही उठे थे। हालांकि इस विवाद के तूल पकड़ने के बाद हिन्दी की अनिवार्यता से जुड़े सुझाव को सरकार ने हटा दिया था। साथ ही साफ किया था, कि किसी पर कोई भाषा नहीं थोपी जाएगी।

इस बीच नीति को लेकर आए डेढ़ लाख से ज्यादा सुझावों को लेकर भी काम शुरू कर दिया है। मंत्रालय ने यह कवायद नीति पर मांगे गए सुझावों की समय- सीमा खत्म होने के बाद शुरू किया है। फिलहाल नीति को लेकर मांगे गए सुझावों की अंतिम समय- सीमा 15 अगस्त तक की थी। इससे पहले इसे दो बार विस्तार भी दिया गया था।

नई शिक्षा नीति के सुझावों को जल्द अंतिम रूप

नई शिक्षा नीति के सुझावों पर काम रहे अधिकारियों के मुताबिक सभी सुझावों को जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा। इसके बाद नीति के अंतिम स्वरूप पर राज्यों के साथ एक दौर की फिर से चर्चा होगी। हालांकि एक वर्ग अभी भी नीति को लेकर लिए जाने वाले सुझावों की समयसीमा को बढ़ाने की मांग कर रहा है।

तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री की एचआरडी मंत्री निशंक से मुलाकात

मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री के ए सेंगोट्टैयन ने सोमवार को शास्त्री भवन पहुंचकर मानव संसाधन विकास मंत्री निशंक से मुलाकात की। साथ ही नई शिक्षा नीति में शामिल कई अहम बिंदुओं को लेकर लंबी चर्चा की है। इनमें त्रिभाषा फार्मूला से जुड़ा मुद्दा भी था।

तमिलनाडु प्रस्तावित नीति में इसे लेकर पूरी तरह से स्पष्टता चाहता है। इस बीच शिक्षा में शोध और तकनीक को बढ़ावा देने के मुद्दे पर भी चर्चा हुई है। प्रस्तावित नई शिक्षा नीति में भी इसे पर जोर दिया है।

मंत्रालयों से भी ली जाएगी राय

प्रस्तावित नई शिक्षा नीति को लेकर फिलहाल सभी मंत्रालयों से भी राय ली जाएगी। मानव संसाधन विकास मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक नीति को अंतिम रूप देने बाद इसे सभी मंत्रालयों को भेजा जाएगा। जिसके बाद इसे कैबिनेट की मंजूरी के भेजा जाएगा। माना जा रहा है कि इस पूरी प्रक्रिया में करीब एक महीने का समय लग सकता है।


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