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मोदी सरकार ने नीली क्रांति को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने की ठानी, मनरेगा निभाएगी बड़ी भूमिका

भारत में मत्स्य उत्पादन की सालाना वृद्धि दर पांच फीसद है। मछली कारोबार से जुड़े 1.5 करोड़ परिवारों को रोजगार मिलता है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक बन गया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 08 Sep 2019 09:04 PM (IST)Updated: Sun, 08 Sep 2019 09:04 PM (IST)
मोदी सरकार ने नीली क्रांति को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने की ठानी, मनरेगा निभाएगी बड़ी भूमिका
मोदी सरकार ने नीली क्रांति को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने की ठानी, मनरेगा निभाएगी बड़ी भूमिका

सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के मार्फत नीली क्रांति को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने की योजना है। खासकर देश के भीतर जलाशयों में मछली पालन को बढ़ावा देने में इस योजना की अहम भूमिका होगी। केंद्रीय ग्रामीण विकास व पंचायती राज और कृषि व किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि मत्स्य पालन जैसे परंपरागत उद्यम से किसानों की आमदनी को बढ़ाने में मदद मिलेगी।

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'जागरण' से बातचीत में तोमर ने कहा कि मनरेगा समेत अन्य ग्रामीण विकास योजना को भी किसानों के कल्याण में लगाया जाएगा, जिसके लिए सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन को भी इसमें शामिल किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि देश के सभी ग्राम पंचायतों के तालतलैया, पोखर और झील जैसे प्राकृतिक और कृत्रिम जलाशयों का उपयोग मछली पालन में किया जाएगा। उन्होंने एक अनुमान के आधार पर बताया कि फिलहाल देश में केवल 10 से 15 फीसद ऐसे जलाशयों का ही उपयोग मछली पालन में होता है, जबकि इस क्षेत्र में जबर्दस्त संभावनाएं हैं।

ग्रामीण विकास मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक मनरेगा में अब तक कुल 40 लाख तालाबों की खुदाई या उनकी मरम्मत हो चुकी है। जबकि पांच लाख से अधिक चेक डैम का निर्माण किया जा चुका है।

ग्रामीण विकास मंत्री तोमर ने बताया कि मनरेगा में सालाना औसतन 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च किया जाता है। इसका 67 फीसद धनराशि जल संरक्षण के उपायों पर खर्च होती है। इसे राज्यों में संचालित जल संरक्षण में जोड़कर भी चलाया जाता है। लेकिन इन जलाशयों का शत प्रतिशत उपयोग मत्स्य पालन में नहीं हो रहा है, जिसे बढ़ाने की सख्त जरूरत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील जल शक्ति कार्यक्रम के तहत इन जलाशयों का पूरा उपयोग किया जाएगा, जिसमें राज्यों की भूमिका अहम होगी।

कृषि व किसान कल्याण मंत्री तोमर ने जोर देकर कहा कि केवल फसलों की खेती से किसानों की दशा सुधरने वाली नहीं है। खेती से जुड़े उद्यमों पर जोर देना होगा, जिसमें मत्स्य पालन सबसे मुफीद साबित होगा। मत्स्य फीड से जुड़े उद्यमी अमित सरावगी का कहना है कि देश में परंपरागत तरीके से जलाशयों में मछली पालन होता है, जिसमें केवल 10 फीसद दोहन ही हो पाता है। इसे लेकर लोगों में जागरुकता की भारी कमी है, जिसे बढ़ाने की जरूरत है।

केंद्रीय पशुधन, डेयरी व मत्स्य पालन मंत्री गिरिराज सिंह का कहना है कि नीली क्रांति को सफल बनाने के लिए सरकार ने योजना तैयार कर ली है। इसके लिए देशव्यापी जागरुकता अभियान शुरु किया जाएगा। कुछ राज्यों में तालाबों को पट्टा देने के नियमों में बदलाव की जरूरत के लिए उन्हें निर्देश भेज दिये गये हैं। चालू मानसून सीजन में अच्छी बारिश हुई है, जिससे तालाब व जलाशय भर गये हैं। उसका उपयोग किया जा सकेगा।

भारत में मत्स्य उत्पादन की सालाना वृद्धि दर पांच फीसद है। मछली कारोबार से जुड़े 1.5 करोड़ परिवारों को रोजगार मिलता है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक बन गया है।

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