Coronavirus: मोदी सरकार को भरोसा, कोरोना मरीजों में बढ़ोतरी के बावजूद काबू में रहेंगे हालात
लव अग्रवाल ने कहा कि मास्क वहीं पहनने की जरूरत है जहां कोरोना का एक्पोजर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। भारत में फिलहाल ऐसी स्थिति नहीं है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। तब्लीगी जमात की आपराधिक लापरवाही के कारण कोरोना के मरीजों में अचानक बढ़ोतरी के बावजूद सरकार को भरोसा है कि वह कोरोना के कहर को थाम लेगी। आइसीएमआर के डाक्टर रमन गंगाखेड़कर के अनुसार सामने आ रहे नए मामले लॉकडाउन के पहले के हैं और इसके आधार पर कोई अनुमान लगाना गलत होगा।
भारत में दूसरे देशों जैसे हालात नहीं होंगे
डाक्टर गंगाखेड़कर ने भरोसा दिया कि भारत में दूसरे देशों जैसे हालात नहीं होंगे और बड़े पैमाने पर कोरोना के लिए विशेष अस्पतालों के बनने और अन्य तैयारियों को देखकर डरने की जरूरत नहीं है। यह सिर्फ भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए है। उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण ही सही देश में स्वास्थ्य आधारभूत संरचना का निर्माण अच्छी बात है।
मोदी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से कोरोना को थामने में सफलता मिलना तय
डाक्टर गंगाखेड़कर की आशावादी सोच देश के लिए राहत की बात है। दरअसल अब तक बार-बार अनिश्चितता ही जताई जा रही थी, लेकिन मंगलवार को उन्होंने पश्चिमी देशों की तरह भारत में कोरोना के बड़े पैमाने पर आउटब्रेक होने की आशंका को निर्मूल करार दिया। उन्होंने भरोसा दिया कि सरकार ने अभी तक जो कदम उठाए हैं, उससे कोरोना वायरस के प्रसार को थामने में सफलता मिलना तय है।
गंगाखेड़कर ने कहा- अभी जो कोरोना के केस आ रहे हैं, वे लॉकडाउन के पहले के हैं
कोरोना वायरस के फैलने के लिए कई तरह के अनर्गल अनुमानों की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि 'इस समय सभी लोग स्टेटिशियन बन गए हैं और यह बताने में जुटे हैं कि कोरोना का ट्रेंड किधर जाने वाला है। लेकिन ये लोग यह भूल रहे हैं कि कोरोना वायरस के लक्षण सामने आने में 14 दिन लग जाते हैं और अभी जो मामले सामने आ रहे हैं, वे लॉकडाउन के पहले के हैं। इसीलिए अभी ट्रेंड की बात करना सही नहीं है।'
भारत में कोरोना का ट्रेंड उन देशों जैसा नहीं होगा जिन्होंने समय रहते कदम नहीं उठाए
उनके अनुसार जब लॉकडाउन के पहले कोरोना वायरस से ग्रसित होने वालों के केस दिखने बंद हो जाएंगे, तभी पता चलेगा कि भारत में कोरोना का ट्रेंड क्या है, लेकिन यह निश्चित है कि यह दुनिया के उन देशों जैसे नहीं होंगे, जिन्होंने समय रहते कदम नहीं उठाए। डाक्टर गंगाखेड़कर ने कहा कि लोगों को बड़े पैमाने पर कोरोना के लिए विशेष अस्पतालों के बनने और अन्य तैयारियों को देखकर डरने की जरूरत नहीं है। यह किसी भी स्थिति से निपटने के लिए है।
कुछ लोगों द्वारा जानकारी छुपाने के कारण समस्या बढ़ी जरूर, रोकने के लिए सरकार तैयार
स्वास्थ्य मंत्रालय के लव अग्रवाल ने भी डाक्टर गंगाखेड़कर का समर्थन करते हुए कहा कि कुछ लोगों द्वारा जानकारी छुपाने के कारण समस्या बढ़ी जरूर है, लेकिन उसे रोकने के लिए सरकार पूरी तैयार है। उनके अनुसार अभी चुनौती किसी मॉडल द्वारा कोरोना के मरीजों का अंदाजा लगाने की नहीं है, बल्कि इसे रोकने के लिए जारी गाइडलाइंस के शतप्रतिशत पालन की है।
भारत ने विश्व स्वास्थ्य संगठन से पहले कोरोना खतरे को भांप कर कदम उठाने शुरू कर दिए थे
उन्होंने कहा कि भारत में कोरोना के कहर का मॉडल बताने वाले यह भूल रहे हैं कि भारत अकेला देश है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन से भी पहले इसके खतरे को भांप कर कदम उठाना शुरू कर दिया था। उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना को 31 जनवरी को अंतरराष्ट्रीय पब्लिक हेथ इमरजेंसी घोषित किया था, लेकिन भारत ने उससे 13 दिन पहले इसे रोकने के लिए कदम उठाने शुरु कर दिए थे।
लव अग्रवाल ने कहा- आम लोगों को कोरोना से बचने के लिए मास्क पहनना जरूरी नहीं
कोरोना को फैलने से रोकने के लिए सरकार की जीरो टालरेंस की नीति बताते हुए लव अग्रवाल ने देश में इसके हॉटस्पॉट बताने से इनकार कर दिया। लव अग्रवाल ने कहा कि जहां एक भी कोरोना का मामला आता है, सरकार के लिए वह स्थान हॉटस्पॉट बन जाता है। यह बात है कि कोरोना के अधिक मामले की स्थिति में उसी अनुपात में सरकार का रिस्पांस भी बढ़ जाता है। लव अग्रवाल ने कहा कि फिलहाल देश में आम लोगों को कोरोना से बचने के लिए मास्क पहनने की जरूरत नहीं है। मास्क वहीं पहनने की जरूरत है, जहां कोरोना का एक्पोजर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। भारत में फिलहाल ऐसी स्थिति नहीं है। यदि ऐसी नौबत आई तो सरकार तत्काल मास्क के लिए नए गाइडलाइंस जारी करेगी।
पीएम के आह्वान पर सीएसआइआर, डीबीटी, डीआरडीओ कोरोना को लेकर अनुसंधान में जुटे
डाक्टर गंगाखेड़कर ने कहा कि प्रधानमंत्री के आह्वान पर सीएसआइआर, डीबीटी और डीआरडीओ जैसी कई वैज्ञानिक संगठन कोरोना को लेकर संयुक्त अनुसंधान में जुटे हैं। इनमें कोरोना के लिए वैक्सीन और दवाई बनाने से लेकर तत्काल जांच करने वाले किट भी शामिल हैं। उन्होंने अगले एक-डेढ़ महीने में इसके नतीजे सामने आने की उम्मीद जताई।