मोदी सरकार ने बेल्जियम के साथ प्रत्यर्पण संधि के प्रस्ताव को दी स्वीकृति
प्रत्यर्पण संधि में उन्हीं अपराधों के आरोपियों को लिया-दिया जाता है जिनके लिए कानून में एक साल या इससे अधिक की सजा का प्रावधान होता है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्रीय कैबिनेट ने भारत और बेल्जियम के बीच प्रस्तावित प्रत्यर्पण संधि पर मुहर लगा दी। इस संधि के अमल में आने से दोनों देश अपने यहां अपराध करके फरार हुए भगोड़ों को एक-दूसरे को सौंप सकेंगे। कैबिनेट ने यह निर्णय शुक्रवार को लिया, शनिवार को इसकी घोषणा हुई है।
मानवाधिकारों का खयाल रखा जाता है
प्रत्यर्पण संधि में उन्हीं अपराधों के आरोपियों को लिया-दिया जाता है जिनके लिए कानून में एक साल या इससे अधिक की सजा का प्रावधान होता है। संधि में शामिल देश की अदालत प्रत्यर्पण की अर्जी पर विचार करने के बाद फैसला लेती है कि कहीं मामला फर्जी और आरोपित व्यक्ति के प्रति दुराग्रह वाला तो नहीं है। साथ ही मानवाधिकारों का भी खयाल रखा जाता है।
भारत के साथ बेल्जियम की प्रत्यर्पण की संधि 1901 में तब लागू हुई थी
राजनीतिक मामलों में आरोपित व्यक्ति के प्रत्यर्पण की अर्जी को भी अस्वीकार किया जा सकता है। भारत के साथ बेल्जियम की प्रत्यर्पण की संधि 1901 में तब लागू हुई थी जब भारत ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा था। इसके बाद 1958 में इसका नवीनीकरण किया गया, जो अभी तक प्रभावी है। लेकिन अब कुछ अपराधों को बढ़ाते हुए इसे नया रूप दिया गया है।
देश में 12 हजार 500 नए आयुष केंद्र खोले जाएंगे
केंद्रीय मंत्रियों रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावड़ेकर और मनसुख मांडविया ने शनिवार को कैबिनेट के फैसलों की जानकारी दी। देश में 12 हजार 500 नए आयुष केंद्र खोले जाएंगे। इन पर 34 करोड़ रुपए खर्च होंगे। वहीं, भारत ने अब बेल्जियम के साथ प्रत्यर्पण संधि कर ली है। इसके तहत भारत और बेल्जियम में छिपे अपराधियों को एक-दूसरे को सौंपा जाएगा। कपास के समर्थन मूल्य का सर्वेक्षण किया जाएगा। नुकसान की भरपाई के लिए करीब 2 हजार करोड़ रुपए के राहत पैकेज का ऐलान हुआ है।
कैबिनेट के अहम फैसले
इलेक्ट्रॉनिक में 2 लाख करोड़ का निवेश करेंगे
रविशंकर ने कहा- कल हुई कैबिनेट बैठक में देश को इलेक्ट्रॉनिक, फॉर्मा और मेडिकल डिवाइस के मामले में हब बनाने पर फैसले लिए गए। पहली बार जब हमारी सरकार बनी थी, तब से इलेक्ट्रॉनिक हब तैयार करने पर काम हुआ है। बीते सालों में भारत का इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस प्रोडक्शन 25% बढ़ा है। इसमें मोबाइल बनाने के मामले में सबसे ज्यादा काम हुआ है। प्रोडक्शन 18 हजार से 1 लाख ऊपर पहुंच गया है। करीब 20 लाख लोग इस सेक्टर में काम कर रहे हैं।
‘सरकार 2018 में नेशनल इलेक्ट्रॉनिक पॉलिसी लाई थी। हम आने वाले सालों में 20 लाख करोड़ का निवेश इस सेक्टर में करेंगे। 2025 तक 20 लाख नौकरियां पैदा करने का लक्ष्य रखा है। हमने तय किया है कि कंपनियों को 4-6% प्रोडक्शन लिंक इंसेंटिव देंगे। इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के कंपोनेट बनाने पर भी जोर देंगे। कंपनियों को कुल लागत पर 25% इंसेंटिव दिया जाएगा। देश में आने बड़ी कंपनियों के साथ काम करने वाली छोटी कंपनियों को भी इंसेंटिव दिया जाएगा।’
मेडिकल डिवाइस पार्क बनेगा
केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि देश में फार्मा कंपनी का बड़ा स्कोप है। हम दुनिया में फॉर्मुलेशन मेडिसिन का एक्सपोर्ट करते हैं। देश के 4 राज्यों में मेडिकल डिवाइस पार्क बनाएंगे। इनके लिए 100 करोड़ रुपए इंसेंटिव दिया जाएगा। देश में कैंसर, रेडियोलॉजी, एनेस्थीसिया और हार्ट से जुड़ी डिवाइस बनेंगी। इससे दूसरे देशों पर हमारी निर्भरता कम होगी और निर्यात बढ़ेगा।