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जो लक्ष्य हासिल करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाता है, उसे ही दुनिया करती है सलाम

मोदी सरकार ने भी अपने चार साल के कार्यकाल के दौरान ऐसे कुछ फैसले किए जो उसके अहम पड़ाव साबित हुए।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 26 May 2018 11:51 AM (IST)Updated: Sat, 26 May 2018 02:47 PM (IST)
जो लक्ष्य हासिल करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाता है, उसे ही दुनिया करती है सलाम
जो लक्ष्य हासिल करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाता है, उसे ही दुनिया करती है सलाम

नई दिल्‍ली [स्‍पेशल डेस्‍क]। ज्यादातर सरकारें बड़े और कड़े फैसले शायद इसलिए नहीं ले पाती हैं क्योंकि इसमें पासा पलटने का खतरा भी रहता है। जनाधार खिसकने की स्थिति में कुर्सी खतरे में पड़ सकती है। जो नेतृत्व इस सोच से ऊपर उठकर जनहित में ऐसे फैसले लेता है और उसके लक्ष्य को हासिल करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा देता है, उसे ही दुनिया सलाम करती है। मोदी सरकार ने भी अपने चार साल के कार्यकाल के दौरान ऐसे कुछ फैसले किए जो उसके अहम पड़ाव साबित हुए।

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बायोमीट्रिक प्रणाली (जुलाई 2014)

सरकारी कार्यालयों में आधार सक्षम बॉयोमीट्रिक उपस्थिति प्रणाली शुरू की गई। इस प्रणाली में 714 सरकारी संगठन पंजीकृत हैं। सरकार कर्मचारियों और नौकरशाहों ने इस प्रणाली के बाद समय से दफ्तर पहुंचना शुरू कर दिया है। attendance.gov.in पर कर्मचारियों की उपस्थिति व अनुपस्थिति की जानकारी ली जा सकती है।

मकसद : सरकारी कर्मचारियों के कार्यालयों में देर से आने व गायब रहने की प्रवृत्ति पर नकेल कसने के लिए पर यह व्यवस्था लागू हुई।

योजना आयोग की जगह नीति आयोग (17 अगस्त 2014)

मोदी ने 2014 में स्वतंत्रता दिवस के अपने पहले भाषण में कहा था कि आज के युग में योजना आयोग की प्रासंगिकता खत्म हो चुकी है। 15 मार्च 1950 को गठित योजना आयोग को 17 अगस्त 2014 को खत्म कर दिया गया। इसकी जगह पर नीति आयोग का गठन हुआ।

मंशा : सरकार का मानना था कि मौजूदा परिवेश में योजना आयोग की पंचवर्षीय योजनाओं का महत्व नहीं रह गया है।

स्मार्ट सिटी (27 अगस्त 2015)

98 प्रस्तावित स्मार्ट सिटी की सूची जारी की गई थी। यह संख्या अब 99 हो गई है। स्मार्ट सिटी परियोजना की कुल लागत 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। चयनित शहरों को पहले वर्ष 200 करोड़ मिलते हैं। तीन वर्षों तक हर वर्ष 100 करोड़ मिलेंगे। इस परियोजना से करीब दस करोड़ शहरी जनसंख्या लाभान्वित होगी।

लक्ष्य : प्रधानमंत्री ने देश के सौ शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने का संकल्प लिया है। वह इन शहरों में बुनियादी सुविधाओं के अलावा वाई-फाई की सुविधा भी सौ फीसद घरों तक पहुंचाना चाहते हैं।

सर्जिकल स्ट्राइक (29 सितंबर, 2016)

उड़ी हमले के बाद भारतीय सेना ने पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकी ट्रेनिंग कैंपों पर देर रात दो से चार बजे के बीच सर्जिकल स्ट्राइक की। इसमें सेना ने मुख्य रूप से पांच से सात आतंकी कैंपों को निशाना बनाया था। पैंतीस से चालीस आतंकवादी ढेर हुए थे। सर्जिकल स्ट्राइक में दुश्मनों के एक से अधिक ठिकानों पर अचानक और पूरी ताकत के साथ हमला किया जाता है।

मकसद : पाकिस्तान परोक्ष रूप से आतंकवाद को समर्थन देता रहा है। पठानकोट और फिर उड़ी में हुए आतंकी हमले भी इसी का परिणाम थे। इन हमलों से देश को काफी नुकसान हुआ। इसके अलावा भारत द्वारा कई बार सुबूत देने के बाद भी आतंकवाद पर पाकिस्तान कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहा था।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत के प्रयासों का कोई ठोस परिणाम नहीं निकल रहा था। दूसरी ओर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से कश्मीर घाट में माहौल काफी बदल गया था।

आम में रेल बजट को मिलाने की घोषणा (सितंबर 2016)

वित्त वर्ष 2017-18 से रेल बजट को आम बजट में मिलाने के लिए बजटीय सुधारों को मंजूरी देने के बाद राष्ट्रपति ने संशोधन को मंजूरी दी । 93 साल बाद 2017 में रेल बजट का आम बजट में विलय कर दिया गया। साथ ही आम बजट को फरबरी माह की आखिरी तारीख के बजाय 1 फरबरी को पेश करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी मिली।

नजर मिलाकर बात करने वाली विदेश नीति

पीएम ने ऐसे देशों की यात्रा की जहां स्वाधीन भारत का कोई प्रधानमंत्री पहले नहीं गया। वहीं कुछ देशों में तीन-चार दशकों से कोई भारतीय पीएम नहीं पहुंचा। मंगोलिया (मई 2015), इजरायल (4-6 जुलाई 2017) और फलस्तीन (10 फरवरी 2018) जाने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। जब आयरलैंड (23 सितंबर 2015) पहुंचे तो 60 साल बाद और कनाडा (अप्रैल 2015) पहुंचे तो 42 साल बाद कोई भारतीय पीएम वहां पहुंचा। श्रीलंका (मार्च 2014) और स्पेन (मई 2017) में 29 साल बाद,ऑस्ट्रेलिया (नवंबर 2014) में 28 साल बाद भारतीय प्रधानमंत्री पहुंचा। भारत के पड़ोस में स्थित नेपाल में अगस्त 2014 में 17 साल बाद मोदी के रूप में कोई भारतीय पीएम पहुंचा।

वन रैंक वन पेंशन का तोहफा (3 फरवरी, 2016)

सशस्त्र सेनाओं से रिटायर हुए सैनिक 42 साल से एक सेवा अवधि में समान रैंक के लिए समान पेंशन (ओआरओपी) की मांग कर रहे थे। फरवरी 2016 में सरकार ने इसे लागू किया। 1 जुलाई 2014 से पूर्व सैनिकों को एरियर मिलेगा। 31 दिसंबर 2017 तक एरियर के रूप में 10739.09 करोड़ रुपये बांटे जा चुके हैं। इससे 65 लाख 37 हजार 474 पूर्व सैनिकों या उनके परिवारों को लाभ मिल चुका है।

नोटबंदी (08 नवंबर 2016)

दो साल पहले आठ नवंबर 2016 को रात आठ बजे अचानक पीएम मोदी ने टेलीविजन के जरिए पूरे देश को संबोधित किया। उन्होंने ऐलान किया कि गांधी सीरीज के 500 और 1000 रुपये के नोट आधी रात से बंद हो जाएंगे। बंद किए गए पुराने नोटों की जगह 500 के नए नोट और 1000 रुपये की जगह 2000 रुपये के नोट चलेंगे।

मकसद : सरकार ने दावा किया कि इस कदम से कालेधन पर पूरी तरह रोक लगेगी। यही नहीं, इससे गैरकानूनी गतिविधियों के लिए पैसे का इस्तेमाल रुकेगा, नकली नोट बाजार से बाहर हो जाएंगे और आतंकी फंडिंग थमेगी। शुरुआती दौर में आम लोगों को इससे थोड़ी दिक्कत जरूर हुई।

जीएसटी (01 जुलाई 2017)

आजादी के बाद इसे देश का सबसे बड़ा कर सुधार माना गया। एक देश एक कर की अवधारणा को मूर्त रूप देने के लिए तमाम अप्रत्यक्ष करों और शुल्कों को एकीकृत कर दिया गया।

मकसद : जीएसटी (गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स) से केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से अलग-अलग दरों पर लगाए जा रहे कई करों को हटाकर पूरे देश के लिए एक ही अप्रत्यक्ष टैक्स प्रणाली लागू करना इसका मकसद है। इससे भारत को एक साझा बाजार बनाने में मदद मिलेगी। जीएसटी लागू करने के लिए देश के संविधान में कई अहम बदलाव किए गए हैं। करीब 17 तरह के टैक्स इसमें समाहित हुए। इसमें शून्य से लेकर 28 फीसद तक की पांच दरें हैं। जीएसटी लागू होने से पहले किसी भी सामान पर 30 से 35 फीसद तक टैक्स देना पड़ता था।

डोकलाम समझौता (28 अगस्त, 2017)

भूटान के चुंबी घाटी में स्थित डोकलाम में भारत और चीन में तनाव तब बढ़ना शुरू हुआ जब चीन 16 जून को यहां सड़क बनाने की तैयारी करने लगा। 18 जून को भारतीय सैनिकों ने चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को सड़क बनाने से रोक दिया। इसके बाद 28 अगस्त 2017 को भारत और चीन के बीच वार्ता के बाद दोनों ने सेनाएं वहां से हटा ली। इस समझौते को पूरी दुनिया में भारत की कूटनीतिक जीत के रूप में देखा गया।

मकसद : भूटान स्थित डोकलाम सामरिक रूप से भारत, चीन और भूटान तीनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। चीन हमेशा से यह चाहता रहा है कि यहां उसका प्रभुत्व हो जबकि भारत और भूटान इसके पक्ष में नहीं हैं। 


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