21 साल बाद ब्रू समुदाय के लोगों की घर वापसी, मिलेगा मताधिकार
उत्तर पूर्व के अन्य सभी राज्यों में सत्ता में आ चुकी भाजपा इस बार यहां भी गठबंधन के साथ उतरने की तैयारी में है।
शिवांग माथुर, नई दिल्ली। भारत के पूर्वोत्तर भाग में बसे छोटे से राज्य मिजोरम मे 35 हजार ब्रू समुदाय की वापसी को चुनावी नजरों से भी देखा जा रहा है। 40 सदस्यीय मिजोरम विधानसभा में जीत हार का अंतर काफी कम होता है। ऐसे में इनका रुख इकतरफा हुआ तो नतीजों में भी फेरबदल दिख सकता है। चुनाव आयोग ने राज्य से मतदाता-सूची को संशोधित करने और उसमें विस्थापित समुदाय के सदस्यों को शामिल करने के लिये कहा है।
क्यों हुआ पलायन
मिजो ब्रू जनजाति को बाहरी मानते थे। 1995 में यंग मिजो एसोसिएशन और मिजो स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने ब्रू जनजाति को बाहरी घोषित कर दिया। ब्रू लोगों को निशाना बनाया जाने लगा। इसके बाद ब्रू उग्रवादियों ने ब्रू नेशनल लिबरेशन फ्रंट और ब्रू नेशनल यूनियन पार्टी भी बनाई गई। अक्टूबर 1997 को ब्रू उग्रवादियों ने यहां के एक वन अधिकारी की हत्या कर दी। इससे दोनों समुदायों में हिंसा बढ़ गई। ब्रू समुदाय के लोगों के घरों को जलाया जाने लगा। जान बचाने के लिए इन लोगों ने मिजोरम से पलायन शुरू कर दिया। ब्रू समुदाय के हजारों लोग उत्तरी त्रिपुरा के कंचनपुर और पानी सागर में बने राहत शिविरों में रह रहे हैं।
मिलेगा मताधिकार
ब्रू समुदाय को त्रिपुरा से मिजोरम जाने के लिए मुफ्त यातायात, शिक्षा, मूल निवासी और जाति प्रमाणपत्र के साथ आधार कार्ड भी बनाए जाएंगे। 21 साल बाद अब इन्हें मिजोरम में वोट डालने का अधिकार भी मिलेगा। हालांकि सरकार मिजोरम के मूल निवासियों को ही दोबारा मिजोरम में बसाएगी। मूल निवासियों की पहचान के लिए सरकार ने 1996 की वोटर लिस्ट को आधार बनाया है।
बता दे कि पिछले दो दशकों से विस्थापित जिदंगी जीने को मजबूर मिजोरम के ब्रू समुदाय के सभी शरणार्थी अब त्रिपुरा से अपने घर मिजोरम वापस लौट रहे है। गृह मंत्रालय और चुनाव आयोग की मदद से अब इन्हें इनके घर वापस भेजा जा रहा है। इसी साल मिजोरम में विधानसभा के चुनाव होने है।
त्रिपुरा में रह रहे यह सभी शरणार्थी अपने घर मिजोरम वापस लौट सके इसके लिए कुछ वक्त पहले केंद्र सरकार ने दोनों ही राज्य मिजोरम और त्रिपुरा के साथ मिलकर एक समझौता किया था। ताकि वर्तमान में त्रिपुरा के अस्थायी शिविरों में रहने वाले 5,407 परिवारों के विस्थापित लोगों को इस साल 30 सितंबर से पहले मिजोरम वापस भेजा जा सके।
प्रत्येक विस्थापित परिवार को वापस आने पर सावधि जमा के रूप में 4 लाख रुपए की वित्तीय सहायता दी जाएगी, लेकिन इस राशि को तीन वर्ष के बाद ही निकाला जा सकेगा। ब्रू समुदाय के परिवारों को आवासीय सहायता के लिए भी 1.50 लाख रुपये की मदद दी जाएगी। वापस लौटने वाले सभी ब्रू परिवारों के प्रत्येक सदस्य को हर महीने 5,000 रूपए और दो वर्ष तक के लिए निशुल्क राशन दिया जाएगा।
मिजोरम विधानसभा का कार्यकाल 15 दिसंबर 2018 को खत्म हो रहा है। चुनावी आकड़े बताते है कि 2013 के चुनाव में 40 सदस्यीय मिजोरम विधानसभा में कांग्रेस को 34 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि 5 सीटों पर मिजो नेशनल फ्रंट ने कब्जा जमाया था, वही एमपीसी ने 1 सीट पर जीत दर्ज की थी। उत्तर पूर्व के अन्य सभी राज्यों में सत्ता में आ चुकी भाजपा इस बार यहां भी गठबंधन के साथ उतरने की तैयारी में है।
पूर्वोत्तर के मुख्यरूप से मिजोरम में बसने वाली ब्रू एक जनजाति है। इसकी करीब बारह उप जातियां हैं। इनकी भाषा ब्रू है। मिजोरम में ब्रू लोगों को आदिवासी जबकि त्रिपुरा में रियांग कहा जाता है। ये बंजारों की तरह अपनी आजीविका चलाते हैं। किसी स्थान पर पहुंचकर वहां रहते हैं और जीविकोपार्जन के लिए छोटे-मोटे काम करते हैं।