CWC बैठक: एनडीए की चुनावी घेरेबंदी के लिए कांग्रेस ने तय किये ये 10 मुद्दे
राहुल ने कहा 'पार्टी वोट बेस का विस्तार हमारा सबसे बड़ा लक्ष्य है। हर चुनाव क्षेत्र में हमें उन लोगों से जुड़ना है जिन्होंने हमें वोट नहीं दिया।'
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कांग्रेस ने अगले लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार की सियासी घेरेबंदी के लिए दस मुद्दों की पहचान कर इस पर आक्रामक राजनीतिक अभियान चलाने का फैसला किया है। इन मुद्दों में किसानों को एमएसपी के छलावे से लेकर युवाओं को एनडीए सरकार में रोजगार नहीं मिलने से लेकर दलित उत्पीड़न व मॉब लिंचिग जैसे मसले शामिल हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने हर लोकसभा क्षेत्र में पार्टी का आधार बढ़ाने के साथ इन मुद्दों पर सरकार के दावों की पोल खोलने के लिए अपने नेताओं-कार्यकर्ताओं से पूरी शिद्दत से जुटने को कहा। अगले लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर चर्चा के लिए बुलाई गई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में व्यापक मंथन के बाद इन मुद्दों की पहचान की गई। बैठक के दौरान करीब 35 नेताओं ने सियासी हालातों से लेकर चुनावी मुद्दों पर अपनी बातें रखी। सूत्रों के मुताबिक राहुल ने तमाम नेताओं से हर लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस का आधार बढ़ाने पर जोर देने के लिए इन मुद्दों को प्रमुखता से उठाने की सलाह दी। साथ ही कहा कि पार्टी को उन वोटरों खासकर युवाओं पर फोकस कर पहुंचने की जरूरत है जिन्होंने अभी तक कांग्रेस को वोट नहीं दिया है। इसी दौरान राहुल ने कहा कि रणदीप सुरजेवाला के अलावा पार्टी के अधिकांश नेता सियासी व मीडिया मंचों पर कांग्रेस पार्टी के लिए लड़ते दिखाई नहीं देते। उन्होंने साफ तौर पर कांग्रेस के संवाद तंत्र को बेहतर और मुखर बनाने की बात कही।
कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि जिन दस मुद्दों की पहचान की गई है उस पर सरकार के दावों की पोल खोलते हुए व्यापक जनआंदोलन किया जाएगा। पार्टी की ओर से अगले चुनाव के लिए तय किये गए मुद्दों की चर्चा करते हुए उनका कहना था कि कृषि क्षेत्र गंभीर संकट में है और किसान आत्महत्या कर रहा है। एमएसपी एक छलावा है और इससे किसानों की हालत नहीं बदलेगी। इसी तरह पान या पकौड़ा बेचने को रोजगार की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। जबकि सरकार ने दो करोड़ रोजगार हर साल देने का वादा किया था जिस पर वह बुरी तरह फेल रही है। अर्थव्यवस्था की यूपीए के मुकाबले कम विकास दर भी कांग्रेस के अहम मुद्दे में शामिल है।
सुरजेवाला ने कहा कि जीडीपी दर घटी है तो औद्योगिक विकास की रफ्तार भी औंधे मुंह गिरी है। कांग्रेस के मुताबिक दलित, अल्पसंख्यकों व आदिवासियों के साथ अत्याचार और हिंसा की घटनाओं ने सारी हदें पार कर दी है। एसी-एसटी सब प्लान खत्म करने के साथ एससी-एसटी कानून को भी ध्वस्त कर दिया गया है। पिछड़े और अत्यंत पिछड़ों के विकास की सिर्फ जुबानी बातें हो रही है। सुरजेवाला ने कहा कि संवैधानिक और प्रशासनिक संस्थाओं को पंगु बना दिया गया है तो महिलाओं के साथ अत्याचार बढ़ गया है। महिला आरक्षण जैसे अहम मसले भी सरकार के एजेंडे में नहीं। विदेश नीति के मोर्चे पर जहां सरकार पाकिस्तान के आतंकी मसूंबों को रोकने में नाकाम साबित हुई है वहीं चीन का घुसपैठ लगातार बढ़ रहा है।
कांग्रेस ने अपने दसवें मुद्दे के रूप में आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने का मसला भी शामिल किया है।
कांग्रेस की जीत के लिए चिदंबरम का चुनावी गणित
अगले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के चुनाव अभियान में उम्मीदों का पंख लगाने के लिए पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने अपने चुनावी गणित का खाका कार्यसमिति की बैठक में पेश किया। पूर्व वित्तमंत्री ने पार्टी का फोकस बढ़ाने के लिए तैयार अपनी इस रपट में कहा कि कांग्रेस 12 राज्यों में अपने बूते करीब 140 से 150 लोकसभा सीटें जीत सकती है। चिदंबरम के आकलन का पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने समर्थन किया। चिदंबरम ने जिन राज्यों का हवाला दिया उसमें मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, असम, तेलंगाना आदि शामिल थे। इसके अलावा उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडू, कर्नाटक जैसे राज्यों में मजबूत गठबंधन के सहारे विपक्षी खेमे की सीटें बढ़ाने पर फोकस करने की बात उन्होंने कही।
चिदंबरम का कहना था कि कांग्रेस जहां 150 सीटें जीत सकती है वहीं विपक्षी खेमे के दलों के साथ 150 का आंकड़ा हासिल करना संभव है। चिदंबरम ने कहा कि इस तरह गठबंधन के सहारे कांग्रेस-यूपीए की सरकार बनने के आसार हैं।
बैठक में क्या बोली सोनिया गांधी
सूत्रों के मुताबिक सीडब्ल्यूसी की बैठक में सोनिया गांधी ने विपक्षी गठजोड़ पर जोर देते हुए उनसे व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं को अलग रखने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र बचाने के लिए साथ आना जरूरी है। सोनिया गांधी ने जोर देकर कहा कि समान विचारधारा वाले दल निजी महत्वकांक्षाएं छोड़कर साथ आएं। उन्होंने कहा कि आरएसएस का मुकाबला करने के लिए ऐसा करना जरूरी है।