आयातित खिलौनों की क्वालिटी पर मंत्रालय सख्त, जानें- क्या कहती है 'क्वालिटी कंट्रोल ऑफ इंडिया' की स्टडी रिपोर्ट
मंत्रालय खिलौना उद्योग के लिए कड़े गुणवत्ता नियम लागू करने की संभावनाएं खंगाल रहा है। नियमों का उल्लंघन न्यूनतम स्तर पर लाने के लिए खिलौनों की परिभाषा पूरी तरह स्पष्ट की जाएगी।
नई दिल्ली, प्रेट्र। आयातित खिलौनों की गुणवत्ता को लेकर वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय सख्त कदम उठाने की तैयारी कर रहा है। इन कदमों की बदौलत देश में केवल अच्छी क्वालिटी के खिलौनों की बिक्री सुनिश्चित होगी। एक अधिकारी के मुताबिक आयात के मामले में खिलौनों की खेप आधारित जांच अनिवार्य करने पर काम चल रहा है।
देश में खिलौनों की क्वालिटी सुनिश्चित करने के ये सभी नियम-कायदे 'क्वालिटी कंट्रोल ऑफ इंडिया' की एक अध्ययन रिपोर्ट के आधार पर लागू किए जा रहे हैं। इसकी जरूरत इसलिए है, क्योंकि देश में बिकने वाले लगभग 85 प्रतिशत खिलौने आयातित होते हैं।
क्वालिटी कंट्रोल ऑफ इंडिया की स्टडी रिपोर्ट
- 67 प्रतिशत खिलौने सुरक्षा मानकों की सभी जांच में फेल
- 30 प्रतिशत प्लास्टिक खिलौने सुरक्षा मानकों के अनुरूप नहीं
- 80 प्रतिशत खिलौने मैकेनिकल एवं फिजिकल सेफ्टी मानकों पर फेल
- 45 प्रतिशत सॉफ्ट टॉयज में स्वीकृत स्तर से ज्यादा हैवी मेटल
- 75 प्रतिशत इलेक्टि्रक खिलौने मैकेनिकल मानकों पर फेल
अधिकारी ने बताया कि मंत्रालय खिलौना उद्योग के लिए कड़े गुणवत्ता नियम लागू करने की संभावनाएं खंगाल रहा है। नियमों का उल्लंघन न्यूनतम स्तर पर लाने के लिए खिलौनों की परिभाषा पूरी तरह स्पष्ट की जाएगी। घरेलू बाजार में सस्ते और घटिया खिलौनों की बाढ़ रोकने में क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर एक प्रभावी तरीका साबित हो सकता है।
मंत्रालय ने कहा है कि देश में केवल अच्छी क्वालिटी के खिलौनों का आयात पक्का करने के लिए हर खेप में से अपनी इच्छा से कोई भी सैंपल ले लिया जाएगा और जांच एवं मंजूरी के लिए उसे मान्यता-प्राप्त लैब भेज दिया जाएगा। यदि सैंपल जरूरी मानदंडों पर खरा नहीं उतरेगा तो वह खेप या तो वापस भेज दी जाएगी या फिर उसे नष्ट कर दिया जाएगा। ऐसे खिलौनों को नष्ट करने के खर्च की वसूली आयातक से की जाएगी।