MP: दिग्विजय सिंह पर कमलनाथ सरकार गिराने की कोशिश का आरोप, मंत्री हुए आमने-सामने
विवादित बयानों के लिए मशहूर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री के निशाने पर हैं। मंत्री ने इस बारे में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा है।
भोपाल, एजेंसी। मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार और पार्टी में आरोप-प्रत्यारोप के चलते भूचाल आया हुआ है। दिग्विजय सिंह को लेकर कमलनाथ सरकार के मंत्री आमने-सामने आ खड़े हुए हैं। अपने विवादित बयानों के लिए मशहूर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री के निशाने पर हैं।
दरअसल, वन मंत्री उमंग सिंघार ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर सिंह पर कमलनाथ सरकार को अस्थिर करने की कोशिश का आरोप लगाया है। उमंग ने दिग्विजय सिंह पर रेत और शराब कारोबार का भी आरोप लगाया है। हालांकि, मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा भी सिंघार के साथ आ गए, मगर पांच मंत्रियों ने सिंह के समर्थन में मोर्चा खोल दिया।
इधर, मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि प्रदेश की जनता जानती है कि सरकार कौन चला रहा है। इतना ही नहीं भाजपा भी इसमें कूद पड़ी। उसने कांग्रेस हाईकमान से हस्तक्षेप की मांग की है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चुटकी लेते हुए कांग्रेस आलाकमान से मांग की है कि उसे हस्तक्षेप कर यह तय करना चाहिए कि सरकार कौन चलाए।
कमलनाथ सरकार को पटरी से उतारने की कोशिश
मंत्री ने दावा किया कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह कमलनाथ सरकार को पटरी से उतारने की कोशिश कर रहे हैं। पत्र में उन्होंने आरोप लगाया है कि दिग्विजय सिंह प्रदेश में खुद को पावर सेंटर स्थापित करने में लगे हैं। राज्य के वन मंत्री उमंग सिंघार ने इस बाबत पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र भी लिखा है।
पर्दे के पीछे से सरकार चलाने का आरोप
सिंघार ने सीधे तौर पर दिग्विजय सिंह पर पर्दे के पीछे से सरकार चलाने का आरोप लगाया है। इसके अलावा कई मंत्री भी दबे स्वर में दिग्विजय सिंह की दखलंदाजी पर सवाल उठा रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने बीते दिनों मंत्रियों के नाम एक पत्र लिखा था। पत्र में उन्होंने मंत्रियों से मुलाकात का समय भी मांगा था।
इसके जवाब में मध्य प्रदेश के वन मंत्री उमंग सिंघार ने कहा है कि यह पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह हैं, जो वास्तव में पर्दे के पीछे से राज्य सरकार चला रहे हैं। यह सबको पता है, जगजाहिर है। प्रदेश की जनता जानती है, कांग्रेस का कार्यकर्ता जानता है। उन्हें चिठ्ठी लिखने की आवश्यकता नहीं है, जब सरकार ही चला रहे हैं तो चिठ्ठी लिखने की आवश्यकता क्यों।
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उमंग बोले, यह आर- पार की लड़ाई
वन मंत्री सिंघार यहीं नहीं रुके बल्कि उन्होंने कहा कि आरपार की लड़ाई है। दिग्विजय सिंह खुद उल्टे--सीधे धंधे कर रहे हैं। उमंग सिंघार ने मीडिया से चर्चा के दौरान दिग्विजय सिंह के खिलाफ बड़ा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि वे रेत और शराब कारोबार को बढ़ावा दे रहे हैं। उनका होशंगाबाद से रेत का धंधा चल रहा है। भाजपा के समय से जमे अधिकारियों को अब तक नहीं हटाया गया है। परिवहन आयुक्त पद पर एक ही अधिकारी सात साल से जमा है।
कई मंत्रियों ने नहीं दी कोई प्रतिक्रिया
दिग्विजय सिंह के इस पत्र के बाद कई मंत्रियों ने कोई प्रतिक्रिया जाहिर करने से इंकार कर दिया वहीं दूसरी ओर बाला बच्चन, आरिफ अकील, विजयलक्ष्मी साधो, गोविंद सिंह राजपूत, सुखदेव पांसे सहित कई मंत्रियों ने दिग्विजय सिंह को अपना वरिष्ठ नेता बताते हुए कामकाज पर निगरानी रखने और समीक्षा का अधिकार होने की बात कही।
वनराज हैं, कहीं भी दहाड़ सकते हैं: वर्मा
वहीं, दिग्विजय सिंह के मंत्रियों को पत्र लिखने पर कमलनाथ के करीबी और वरिष्ठ मंत्री सज्जन सिंह वर्मा, उमंग सिंघार के साथ खड़े दिखाई दिए हैं। उन्होंने कहा कि वैसे उन्हें दिग्विजय सिंह का पत्र नहीं मिला है, मगर सिंह को पत्र लिखने की आवश्यकता नहीं थी। वे आदेश दे सकते हैं। वर्मा ने उमंग सिंघार के दिग्विजय सिंह के खिलाफ बयान देने और सोनिया गांधी को शिकायती पत्र लिखे जाने पर कहा कि हम लोगों ने उन्हें वनराज नाम दिया है। वे जहां चाहे वहां दहाड़ सकते हैं।
हस्तक्षेप करें कांग्रेस आलकमान-शिवराज
कांग्रेस में मचे घमासान पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी निशाना साधा है और कहा कि कांग्रेस हाईकमान को हस्तक्षेप कर यह तय करना चाहिए कि सरकार कौन चलाए। लगातार दो ट्वीट कर चौहान ने कहा कि सरकार कोई और चलाए और मुख्यमंत्री पद की शपथ कोई और ले, यह नहीं होना चाहिए। पर्दे के पीछे से सरकार नहीं चलनी चाहिए। सामने से चलनी चाहिए, पारदर्शी तरीके से चलनी चाहिए। ' दूसरे ट्वीट में चौहान ने कहा कि ' कांग्रेस को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मुख्यमंत्री पद की शपथ जिसने ली है, वही सरकार चलाए। अफसरों के लिए असमंजस की स्थिति निर्मित हो गई है कि वे किसकी मानें, किसकी नहीं।
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