Mike Pompeo to visit India: मोदी-ट्रंप वार्ता की जमीन तैयार करेंगे पोंपियो-जयशंकर
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो तीन दिन के भारत दौरे पर अगले हफ्ते आएंगे। यह दौरा 25-27 जून तक होगा। गौरतलब है कि पोंपियो 24 से 30 जून तक हिंद-प्रशांत क्षेत्र के दौरे पर रहेंगे।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। अमेरिका और भारत के रिश्तों में नित्य नए तनाव आने की खबरों के बीच विदेश मंत्री माइकल पोंपियो 25 जून, 2019 को नई दिल्ली पहुंच रहे हैं। यह केंद्र में मोदी सरकार की दोबारा वापसी के बाद किसी भी बड़े देश के विदेश मंत्री की पहली यात्रा होगी। पोंपियो पीएम नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री एस जयशंकर समेत सरकार के कुछ अन्य वरिष्ठ लोगों से भी मिलेंगे। पोंपियो और जयशंकर की द्विपक्षीय वार्ता में कारोबार, रक्षा व कूटनीति समेत हर महत्वपूर्ण मुद्दों पर वार्ता होगी, लेकिन इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है कि आने वाले दिनों में पीएम मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच होने वाली द्विपक्षीय मुलाकात की जमीन तैयार करने पर खास जोर होगा। मोदी व ट्रंप की 28-29 जून, 2019 को जापान में होने वाली समूह-20 बैठक में मुलाकात होनी है।
पिछले एक महीने में भारत और अमेरिका के कारोबारी रिश्तों में काफी तनाव आ चुका है। पहले अमेरिका ने भारतीय आयात को वरीयता वाले राष्ट्रों की सूची से बाहर कर दिया तो उसके जवाब में भारत ने कई अमेरिकी उत्पादों पर सीमा शुल्क बढ़ा दी है। अब यह सूचना आ रही है कि अमेरिका ने भारत से आने वाले पढ़े लिखे लोगों की संख्या घटाने का फैसला किया है। इसके लिए एचवन-बी वीजा की सीमा तय की जाएगी।
अमेरिकी मीडिया का कहना है कि यह कदम इसलिए उठाया जा रहा है कि भारत की डाटा लोकलाइजेशन नीति की वजह से उसकी कंपनियों को घाटा हो रहा है। वैसे भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि, यह सूचना पक्की नहीं है। अभी आधिकारिक तौर पर भारत को इस बारे में कुछ नहीं बताया गया है। लेकिन भारत की डाटा लोकलाइजेश या ई-कामर्स नीतियों को लेकर अमेरिका सार्वजनिक तौर पर अपनी चिंता जताता रहा है। पोंपिओ की यात्रा के दौरान ट्रंप प्रशासन का एक विशेष दल भी आ रहा है जो उक्त मुद्दों पर अलग से बात करेगा।
अमेरिका की तरफ से भारत की कई व्यापारिक नीतियों की खुली आलोचना के बावजूद विदेश मंत्रालय मान रहा है कि द्विपक्षीय रिश्तों में कोई बड़ी अड़चन नहीं है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार के मुताबिक, 'वर्ष 2001 के बाद से दोनो देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार सात गुणा बढ़ कर 150 करोड़ डॉलर तक पहुंच गया है। यही नहीं अमेरिका ने भारत को नाटो सदस्य की तरफ ही भारत को अपना रणनीतिक साझेदार देश घोषित किया है। अमेरिका भारत को संयुक्त राष्ट्र का स्थाई सदस्य बनाने की कोशिश में हैं। कारोबार को लेकर हाल के दिनों में जो समस्याएं हैं वे बहुत महत्वपूर्ण नहीं है।'
दूसरी तरफ अमेरिका लगातार यह कह रहा है कि भारत उसके व्यापारिक हितों के खिलाफ काम कर रहा है। राष्ट्रपति ट्रंप भारत में मोटरसाइकिल समेत कई उत्पादों पर ज्यादा सीमा शुल्क लगाने के खिलाफ सार्वजनिक बयान दे चुके हैं।
पोंपिओ और जयशंकर के बीच होने वाली बातचीत दोनो देशों के आगामी रिश्तों की दिशा तय करन में काफी अहम भूमिका निभाएगी। खास तौर पर तब जब मोदी और ट्रंप के बीच एक व्यक्तिगत केमिस्ट्री अब और प्रगाढ़ होने के आसार है। दोनो के बीच जापान के बाद सितंबर, 2019 में भी द्विपक्षीय बातचीत की तैयारी हो रही है।
इसके अलावा दोनो देशों के रक्षा व विदेश मंत्रियों की टू प्लस टू वार्ता की तैयारियां भी शुरु हो गई हैं। पोंपिओ इस श्रीलंका, भारत, जापान व दक्षिण कोरिया की यात्रा पर निकले हैं जिसे अमेरिका की हिंद-प्रशांत रणनीति के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह भी ध्यान रखने वाली बात है कि उक्त चारों देश चीन की बढ़ती ताकत को लेकर संशकित हैं।
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