सुरक्षित ठिकाना ढूंढ रही हैं महबूबा, अनंतनाग को छोड़ अन्य सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी
जिला अनंतनाग दक्षिण कश्मीर के अन्य तीन जिलों कुलगाम, शोपियां व पुलवामा की तरह पीडीपी का मजबूत किला माना जाता है। लेकिन बीते तीन सालों के दौरान लोगों का मूड बदला है।
जम्मू, जेएनएन। पार्टी में मची भगदड़ रोकने की कवायद में जुटी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के लिए राह आसान नहीं है। लगातार बढ़ रहे विरोध को देखते हुए उन्हें अपनी विधानसभा सीट बदलने पर मजबूर होना पड़ सकता है। वह अपने लिए कोई सुरक्षित सीट को तलाश रही हैं और इसके लिए उन्होंने अपने कुछ खास नेताओं की एक टीम को इस काम पर लगाया है। ऐसे में चर्चा तेज है कि आगामी विधानसभा चुनाव वह शायद ही अनंतनाग विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ें। इस बात की पुष्टि यह तथ्य भी करता है कि वर्ष 1996 को रियासत की सियासत में सक्रिय महबूबा ने कभी भी एक विधानसभा क्षेत्र से लगातार दूसरी बार चुनाव नहीं लड़ा।
जिला अनंतनाग दक्षिण कश्मीर के अन्य तीन जिलों कुलगाम, शोपियां व पुलवामा की तरह पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी का मजबूत किला माना जाता है। लेकिन बीते तीन सालों के दौरान जिस तरह से लोगों का मूड बदला है, उससे पीडीपी के लिए आगामी विधानसभा चुनाव में राह अासान नहीं है। अनंतनाग विधानसभा क्षेत्र के लोगों में महबूबा को लेकर नाराजगी का आलम यह है कि वहां खुलेआम लोग उन पर कस्बे की उपेक्षा का आरोप लगा रहे हैं। आरोप है कि वर्ष 2016 में अनंतनाग विधानसभा का उपचुनाव जीतने के बाद अनंतनाग की कभी सुध नहीं ली है। वह कानून-व्यवस्था की स्थिति का बहाना बनाती रही और जिस तरह से उन्होंने इस इलाके में अपने एक नजदीकी रिश्तेदार को सर्वेसर्वा बनाया, उससे पीडीपी का आम कार्यकर्ता नाराज है। इसके अलावा जम्मू कश्मीर बैंक और खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग के अलावा अकाफ ट्रस्ट में उनके रिश्तेदारों की कथित नियुक्तियों को लेकर भी रोष साफ नजर आ रहा है।
दक्षिण कश्मीर से संबधित पीडीपी के एक पूर्व विधायक ने कहा कि भाजपा के साथ गठजोड़ और उसके बाद वर्ष 2016 में जिस तरह से यहां हालात ने करवट ली, उसके बाद से हम लोगों के लिए अपने वोट बैंक को पूरी तरह अपने साथ जोड़ना बहुत मुश्किल साबित हाे रहा है। कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस ने बीते चार सालों में अनंतनाग और इसके साथ सटे इलाकों में अपनी गतिविधियां तेज की हैं।
हमसे नाराज लोग कांग्रेस और नेकां की तरफ भी गए हैं। वर्ष 2016 में जिस तरह से लोकसभा उपचुनाव को स्थगित किया गया, उससे भी हमें नुकसान हुआ है और रही सही कसर निकाय व पचांयत चुनावों से दूरी ने पूरी कर दी। ऐसे में हमें अपने कार्यकर्ताओं का गुस्सा झेलना पड़ता है।महबूबा मुफ्ती द्वारा अनंतनाग से दोबारा चुनाव न लड़ने और किसी अन्य क्षेत्र से चुनाव लड़ने की अटकलों पर उन्होंने कहा कि वह पार्टी प्रमुख हैं, किसी भी सीट से चुनाव लड़ सकती हैं। हमारी नेता हैं, हम चाहेंगे वह जीतें और इसके लिए अगर कोई सीट किसी पूर्व विधायक को छोड़नी होगा तो छोड़ देगा।
यहां यह बताना असंगत नहीं होगा कि महबूबा मुफ्ती ने पहली बार 1996 में कांग्रेस की टिकट पर बीजबेहाड़ा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था। लेकिन वर्ष 2002 में वह पहलगाम विधानसभा क्षेत्र की उम्मीदवार बन गई थी। अगले चुनाव के लिए उन्हें फिर निर्वाचन क्षेत्र बदलना पड़ा। इसलिए वर्ष 2008 में जिला शोपियां के वाची में पहुंच गई। वाची में भी उन्होंने लोगों को रोजगार और विकास के वादे किए। वर्ष 2014 में वह चुनाव से दूर रही। लेकिन पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद वर्ष 2016 में उन्होंने अनंतनाग विधानसभा सीट से उपचुनाव लड़ा और विधानसभा पहुंच गई।