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मेघालय सरकार को सुप्रीम कोर्ट से फटकार, पूछा- सेना को अभी तक क्‍यों नहीं बुलाया?

मेघालय सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया, राज्य सरकार फंसे हुए खनिकों को बचाने के लिए कदम उठा रही है। एनडीआरएफ के 72, भारतीय नौसेना के 14, तथा कोल इंडिया के कर्मचारी 14 दिसंबर से ही इसके लिए काम कर रहे हैं।

By Tilak RajEdited By: Published: Thu, 03 Jan 2019 12:18 PM (IST)Updated: Thu, 03 Jan 2019 02:47 PM (IST)
मेघालय सरकार को सुप्रीम कोर्ट से फटकार, पूछा- सेना को अभी तक क्‍यों नहीं बुलाया?
मेघालय सरकार को सुप्रीम कोर्ट से फटकार, पूछा- सेना को अभी तक क्‍यों नहीं बुलाया?

नई दिल्‍ली, एएनआइ। सुप्रीम कोर्ट ने मेघालय सरकार से पूछा है कि उसने उन 15 खनिकों को बचाने के लिए क्या-क्या कदम उठाए हैं, जो पिछले साल 13 दिसंबर से पूर्वी जयंतिया हिल्स इलाके में बाढ़ से घिरी एक गैरकानूनी कोयला खदान में फंसे हुए हैं। इसके जवाब में मेघालय सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया, 'राज्य सरकार फंसे हुए खनिकों को बचाने के लिए कदम उठा रही है। एनडीआरएफ के 72, भारतीय नौसेना के 14, तथा कोल इंडिया के कर्मचारी 14 दिसंबर से ही इसके लिए काम कर रहे हैं।' इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया, 'फिर वे कामयाब क्यों नहीं हुए हैं...?'

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सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में याचिका पर सुनवाई करते हुए गुरुवार को राज्य सरकार को फटकार लगाई है। जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की बेंच ने कहा कि अगर सरकार कदम उठा रही है तो खदान के मजदूरों का क्या हुआ? बेंच ने कहा, 'मजदूरों को खदान में फंसे हुए कितने दिन हो गए? क्या इस मामले में केंद्र, राज्य और एजेंसियों के बीज समन्वय नहीं है? क्या कोर्ट सेना को कदम उठाने के लिए आग्रह नहीं कर सकता? हम अभी तक उठाए गए कदमों से संतुष्ट नहीं हैं। मजदूरों को बाहर निकालने के लिए तुरंत कदम उठाने की जरूरत है। अगर ये भी माना जा रहा है कि वो जिंदा हैं या नहीं तो भी उन्हें बाहर निकाला जाना चाहिए।'

मेघालय की पूर्वी जयंतिया हिल जिले के लुमथारी गांव में स्थित कोयला खदान में फंसे 15 मजदूरों के बचाव अभियान का जारी है। खदान में पानी भर जाने के कारण 13 दिसंबर से मजदूर फंसे हुए हैं। 370 फीट गहरी खदान से पानी निकालने के लिए किर्लोस्कर ब्रदर्स लिमिटेड और कोल इंडिया ने संयुक्त रूप से 18 पंपों की व्यवस्था की है।

कोर्ट ने कहा कि वो खदान में इतने दिनों से फंसे हैं ऐसे में एक-एक सेकेंड कीमती है। केंद्र को कुछ कदम उठाना है, जरूरत पड़े तो सेना को बुलाया जाए। साथ ही कोर्ट ने कहा कि जब थाईलैंड में हाईपावर पंप भेजे जा सकते हैं तो यहां क्यों नहीं?

गौरतलब है कि यह दुर्घटना 13 दिसंबर को हुई थी। अवैध खदान में प्रवेश करने वाले खनिकों की टीम के एक जीवित सदस्य ने कहा कि 22 लोग इस चूहे की बिल जितने छोटे से खदान में घुस गए थे। इसमें मुश्किल से एक आदमी जा सकता है। असम के चिरांग जिले के साहिब अली ने दावा किया कि वह उन पांच लोगों में से एक है जो पास की एक नदी के पानी आने से ठीक पहले खदान से बाहर आने में कामयाब रहे थे।

बता दें कि हादसे की सूचना मिलते ही कोयला खदान के मालिक जरीन उर्फ कृप चुलेट को नरवन गांव से गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने कहा कि वे अवैध कोयला खदान के प्रबंधक सहित और लोगों की तलाश कर रहे हैं।


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