सोची में पुतिन से मुलाकात और मजबूत करेगी आपसी रणनीतिक रिश्ते: पीएम मोदी
ट्रंप के फैसले से भारत व रूस दोनों की अर्थव्यवस्था पर विपरीत असर होने के आसार जताये जा रहे हैं।h
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रूस के शहर सोची रवाना होने से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा है कि राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन से उनकी होने वाली मुलाकात दोनों देशों की विशेष रणनीतिक रिश्तों को और मजबूत करेगी। वैसे तो इस मुलाकात को दोनो पक्षों की तरफ से अनौपचारिक बताया जा रहा है लेकिन पीएम मोदी ने एक तरह से मुलाकात के एजेंडे की झलक दे दी है। जानकारों की मानें तो दोनो नेताओं की मुलाकात निकट भविष्य में भारत-रूस के द्विपक्षीय सहयोग की दशा व दिशा तय करेगी।
सोची में तैयार होगा भविष्य के एजेंडा का आधार
सोची से शुरु होगी मोदी-पुतिन के बीच मुलाकातों का सिलसिला
मोदी और पुतिन के बीच दिसंबर, 2018 तक चार और द्विपक्षीय मुलाकातों की तैयारी है। आगे किन मुद्दों पर दोनों देशों को सहमति बनाई है, इसका फैसला सोची में कर लिया जाएगा। इरान से अफगानिस्तान व मध्य एशिया होते हुए रूस तक रेल व सड़क मार्ग का एक बड़े नेटवर्क को तैयार करने व आपसी सहयोग से तीसरे देशों में परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने पर खास जोर दिया जाएगा।
पीएम मोदी ने रूस रवानगी से पहले सोशल मीडिया साइट ट्विटर के जरिए अपनी यात्रा की जानकारी दी है। उन्होंने कहा है कि मुझे भरोसा है कि रूस के राष्ट्रपति के साथ मुलाकात को लेकर उत्सुक हूं। उनसे मिलने में हमेशा प्रसन्नता होती है। मुझे भरोसा है कि पुतिन के साथ बातचीत भारत व रूस के बीच के विशेष रणनीतिक रिश्ते को और मजबूत करेगा।
विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया है कि यह मुलाकात राष्ट्रपति पुतिन के आग्रह पर तय की गई है और इस बार ज्यादा ध्यान वैश्विक मामलों पर होगा। चूंकि बगैर पूर्व निर्धारित एजेंडा के यह मुलाकात हो रही है इसलिए दोनो नेताओं की तरफ से भी अपने अपने मद्दे उठाये जाने की छूट होगी।
विदेश मंत्रालय की तरफ से पहले ही संकेत दिए जा चुके हैं कि मोदी और पुतिन के मुलाकात में इरान से परमाणु करार तोड़ने का मुद्दा काफी अहम होगा। अभी यह मुद्दा अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में सबसे गर्म है। एक दिन पहले सोची में ही पुतिन की जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल के साथ मुलाकात हुई है जिसमें इरान-अमेरिका विवाद काफी प्रमुखता से उठा है। रूस के सामने यह मौका है कि वह दुनिया के प्रमुख देशों के सामने इस बारे में अपना पक्ष रखे।
जानकारों के मुताबिक भारत खुल कर भले ही अभी नहीं बोल रहा हो, लेकिन वह इरान के परमाणु मुद्दे पर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के फैसले से बेहद असहज है। ट्रंप के फैसले से भारत व रूस दोनों की अर्थव्यवस्था पर विपरीत असर होने के आसार जताये जा रहे हैं। ऐसे में दोनों नेताओं के बीच उन उपायों पर चर्चा होगी जिससे आर्थिक दबाव को कम किया जा सके।
यह भी बताते चलें कि मोदी और पुतिन के बीच सोची के बाद भी दिसंबर, 2018 तक चार बार द्विपक्षीय मुलाकात होगी। अगले महीने दोनों नेता चीन में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में हिस्सा लेंगे। उसके बाद दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स देशों के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक में मुलाकात करेंगे। उसके बाद ईस्ट एशियाई देशों के साथ सहयोग बैठक में इनकी मुलाकात होगी। फिर भारत में होने वाली भारत-रूस सालाना बैठक की अगुवाई ये दोनों करेंगे। इसलिए सोची में आगामी मुलाकातों में उठने वालों मुद्दों का आधार तैयार किया जाएगा।