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अब नजर मास्को में जयशंकर-वांग यी की मुलाकात पर टिकीं, तेहरान होते हुए मास्को पहुंचे विदेश मंत्री

पैंगोंग त्सो झील के दक्षिणी हिस्से में चीनी सैनिकों के घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम करने के बाद समूचे एलएसी का माहौल और गरम हो गया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 08 Sep 2020 09:16 PM (IST)Updated: Tue, 08 Sep 2020 09:16 PM (IST)
अब नजर मास्को में जयशंकर-वांग यी की मुलाकात पर टिकीं, तेहरान होते हुए मास्को पहुंचे विदेश मंत्री
अब नजर मास्को में जयशंकर-वांग यी की मुलाकात पर टिकीं, तेहरान होते हुए मास्को पहुंचे विदेश मंत्री

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। पैंगोंग त्सो झील के दक्षिणी हिस्से में चीनी सैनिकों के घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम करने के बाद समूचे एलएसी का माहौल और गरम हो गया है। ऐसे में सभी की नजर मास्को की तरफ हैं जहां भारत और चीन के विदेश मंत्री शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेने के लिए पहुंच चुके हैं। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच होने वाली मुलाकात से तय होगा कि पूर्वी लद्दाख सेक्टर में तैनात दोनों देशों की सेनाओं के बीच जारी तनाव और बढ़ता है या नहीं।

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एलएसी पर स्थिति बहुत गंभीर, सियासी वार्ता की जरूरत : जयशंकर

वैसे मास्को में ही चार दिन पहले ही दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों के बीच द्विपक्षीय मुलाकात हुई थी, लेकिन उसका कोई खास नतीजा नहीं निकला था। भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच मुलाकात को लेकर आधिकारिक तौर पर अभी दोनों पक्षों की तरफ से कुछ नहीं कहा गया है। जयशंकर ने मास्को रवाना होने से एक दिन पहले यह कहा है कि एलएसी पर स्थिति बहुत गंभीर है और राजनीतिक स्तर पर गहरी बातचीत की जरूरत है।

चीनी सेना के घुसपैठ के बाद से वार्ता हो रही है, लेकिन सार्थक परिणाम नहीं निकला 

सनद रहे कि 4 सितंबर को राजनाथ सिंह के चीन के रक्षा मंत्री से मुलाकात से कुछ घंटे पहले तक आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया था। वैसे मई के पहले हफ्ते में चीनी सेना के घुसपैठ के बाद से शीर्ष राजनीतिक स्तर को छोड़ कर अन्य सभी स्तरों पर बातचीत हो रही है, लेकिन उसका कोई सार्थक परिणाम अभी तक नहीं निकला है।

चीनी सेना एलएसी को लेकर शांति के माहौल को बिगाड़ चुकी है

चीनी सेना अभी तक एलएसी को लेकर पिछले चार दशकों से चल रहे शांति के माहौल को पूरी तरह से बिगाड़ चुकी है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने मंगलवार को भी अभी तक के घटनाक्रम की पूरी जिम्मेदारी भारत पर ही डालने की कोशिश की है।

तेहरान पहुंचकर जयशंकर ने विदेश मंत्री जरीफ के साथ की द्विपक्षीय संबंधों पर बातचीत

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर मंगलवार सुबह नई दिल्ली से विशेष विमान से रवाना हुए। पहले वह तेहरान पहुंचे जहां उनकी ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर बातचीत हुई है। यह भी उल्लेखनीय है कि पिछले शनिवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी तेहरान पहुंचे थे।

तेहरान से मास्को पहुंचे विदेश मंत्री जयशंकर, एससीओ की बैठक में लेंगे हिस्सा

बहरहाल, तेहरान से दोपहर बाद जयशंकर मास्को के लिए रवाना हुए। मास्को में गुरुवार को वो एससीओ की बैठक में हिस्सा लेंगे और साथ ही एससीओ के कुछ दूसरे सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय मुलाकात करेंगे। रूस के विदेश मंत्री के साथ भी उनकी द्विपक्षीय मुलाकात करेंगे।

भारत और चीन के बीच सैन्य व कूटनीतिक स्तर हॉटलाइन से संपर्क बना हुआ है

विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि सोमवार को देर शाम रेजांग ला स्थित एलएसी पर चीनी सेना की घुसपैठ को नाकाम करने के बाद भी कूटनीतिक संपर्क बना हुआ है। जयशंकर और वांग यी के बीच होने वाली मुलाकात को लेकर भी दोनो पक्षों में संपर्क बना हुआ है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भी इस बात की पुष्टि की है कि ताजे घटनाक्रम के बावजूद दोनों देशों के बीच सैन्य व कूटनीतिक स्तर हॉटलाइन से संपर्क बना हुआ है। हालांकि इसके कोई सकारात्मक नतीजा निकालना जल्दबाजी होगी।

चीन की तरफ से जमीनी तौर पर कोई कदम नहीं उठाया गया

वैसे भी दोनों देशों के बीच 15 मई, 2020 से ही लगातार किसी न किसी स्तर पर बातचीत हो रही है। 15 जून, 2020 को गलवन नदी घाटी में दोनो तरफ के सैनिकों के बीच खूनी झडप होने के अगले दिन भी जयशंकर व वांग यी के बीच बातचीत हुई थी। बातचीत में एक दूसरे पर दोषारोपण के बावजूद यह सहमित बनी थी कि पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफिंग के पूर्व के निर्देश के मुताबिक अब हालात को और बिगड़ने नहीं दिया जाएगा। यह बात दूसरी है कि चीन की तरफ से इसे जमीनी तौर पर लागू करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया।


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