लिंचिंग रोकने के लिए कानून में संशोधन के सुझाव पर राजनाथ की अध्यक्षता में हुई मंत्रिसमूह की बैठक
राज्य सरकारों को लिंचिंग रोकने के लिए कई एहतियाती कदम उठाने को कहा गया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लिंचिंग पर लगाम लगाने के उद्देश्य से कानून में जरूरी संशोधनों पर विचार के गठित मंत्रिमंडलीय समूह की बैठक हुई। गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में गृह सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति की रिपोर्ट पर विचार किया गया। गृह सचिव की कमेटी ने लिंचिंग रोकने के लिए कानून में संशोधन का सुझाव दिया था।
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार मंत्रिमंडलीय समूह की यह दूसरी बैठक थी। इसबैठक में कोई फैसला नहीं हुआ है। सिर्फ गृह सचिव की समिति की रिपोर्ट के मोटे-मोटे पहलुओं पर चर्चा हुई। वैसे अधिकांश मंत्री इस बात को लेकर सहमत थे कि लिंचिंग की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करना जरूरी है। उनका कहना था कि लिंचिंग की अधिकांश घटनाएं गोहत्या जैसे संवेदनशील मुद्दे को लेकर हो रही है और इन्हें स्थानीय दबंग लोगों का संरक्षण होने के भी बातें आ रही है। ऐसे में कोई भी गवाह आरोपियों के खिलाफ सामने नहीं आ पाता है। इसी कारण आरोपियों का मनोबल ऊंचा रहता है।
मंत्रियों का कहना था कि यदि गवाहों को पूर्ण सुरक्षा का भरोसा हो, तो लिंचिंग के आरोपियों को कड़ी सजा सुनिश्चित की जा सकती है। बैठक में राजनाथ सिंह के अलावा विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, सामाजिक कल्याण व अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत शामिल थे।
गौरतलब है कि पिछले एक साल में लिंचिंग की घटनाओं में 40 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। यहां तक सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले में दिशानिर्देश जारी कर चुका है और गृहमंत्रालय ने राज्यों को एडवाइजरी भी भेजी है। इनमें राज्य सरकारों को लिंचिंग रोकने के लिए कई एहतियाती कदम उठाने को कहा गया है।