मी टू पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, सीजेआई की पीठ ने शीघ्र सुनवाई से किया इंकार
याचिका में राष्ट्रीय महिला आयोग और केंद्रीय गृह मंत्रालय को पक्षकार बनाया गया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। 'मी टू' मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट मे सोमवार को एक जनहित याचिका दाखिल हुई जिसमें मी टू का आरोप लगाने वाली महिलाओं के बयानों के आधार पर मामला दर्ज कर कार्रवाई किये जाने की मांग की गई है।
सोमवार को याचिकाकर्ता मनोहर लाल शर्मा ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई व न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ के समक्ष याचिका का जिक्र करते हुए मामले पर शीघ्र सुनवाई की मांग की, लेकिन कोर्ट ने मांग ठुकराते हुए कहा कि याचिका पर नियमित क्रम में ही सुनवाई की जाएगी।
याचिका में राष्ट्रीय महिला आयोग और केंद्रीय गृह मंत्रालय को पक्षकार बनाया गया है। मांग की गई है कि कोर्ट मी टू मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए पीडि़त महिलाओं के बयान दर्ज कराए और उसके आधार पर एफआइआर दर्ज करके आरोपितों के खिलाफ कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाए। यह भी मांग है कि ऐसे मामलों के ट्रायल के लिए फास्ट ट्रैक अदालतें गठित हों ताकि तय समय के भीतर न्याय मिल सके।
कहा गया है कि राष्ट्रीय महिला आयोग को निर्देश दिया जाए कि वह पीडि़ताओं को उनकी पहचान गोपनीय रखने के साथ शिकायत करने के लिए सुरक्षित प्लेटफार्म मुहैया कराए और आरोपितों पर मुकदमों के लिए उन्हें कानूनी संरक्षण और आर्थिक मदद भी उपलब्ध कराए। यह भी मांग की गई है कि राष्ट्रीय महिला आयोग को निर्देश दिया जाए कि वह आरोपित के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए मी टू प्लेटफार्म को यौन उत्पीड़न की शिकायत का पहला व्यवहारिक स्त्रोत माने।
मी टू अभियान की शुरूआत फिल्म इंडस्ट्री से हुई थी बाद में इसकी आंच मीडिया और राजनीति तक पहुंची। इन आरोपों के चलते ही विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर को पद छोड़ना पड़ा, हालांकि उन पर लगाए गए आरोप उस दौरान के थे जब वे संपादक हुआ करते थे। वैसे एमजे अकबर ने उन पर आरोप लगाने वाली महिला के खिलाफ अदालत में मानहानि का मुकदमा दाखिल कर दिया है।