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#MeToo: 'प्रिया रमानी अकेली नहीं हैं'...20 महिला पत्रकार समर्थन में उतरीं

एमजे अकबर द्वारा मानहानि का केस दर्ज कराने के बाद प्रिया रमानी के समर्थन में 20 महिला पत्रकार सामने आई हैं।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Wed, 17 Oct 2018 12:27 PM (IST)Updated: Wed, 17 Oct 2018 12:54 PM (IST)
#MeToo: 'प्रिया रमानी अकेली नहीं हैं'...20 महिला पत्रकार समर्थन में उतरीं
#MeToo: 'प्रिया रमानी अकेली नहीं हैं'...20 महिला पत्रकार समर्थन में उतरीं

नई दिल्ली, पीटीआइ। यौन शोषण के आरोपों से घिरे विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर के खिलाफ पत्रकार प्रिया रमानी समेत कई महिलाओं ने मोर्चा खोल दिया है। एमजे अकबर द्वारा मानहानि का केस दर्ज कराने के बाद प्रिया रमानी के समर्थन में 20 महिला पत्रकार सामने आई हैं। ये सभी महिला पत्रकार 'द एशियन एज' अखबार में काम कर चुकी हैं। इन महिला पत्रकारों ने एक संयुक्त बयान में रमानी का समर्थन करने की बात कही है। साथ ही, अदालत से आग्रह किया है कि अकबर के खिलाफ उन्हें सुना जाए।

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'प्रिया रमानी अकेली नहीं हैं....'
संयुक्त बयान में दावा किया गया है कि उनमें से कुछ (महिला पत्रकारों) का अकबर ने यौन उत्पीड़न किया है, जबकि कई अन्य इसकी गवाह हैं। महिला पत्रकारों ने अपने हस्ताक्षर वाले संयुक्त बयान में कहा है, 'इस लड़ाई में प्रिया रमानी अकेली नहीं हैं। हम मानहानि के मामले सुनवाई कर रही माननीय अदालत से आग्रह करते हैं कि याचिकाकर्ता (एमजे अकबर) के हाथों हममें से कुछ के यौन उत्पीड़न को लेकर और अन्य हस्ताक्षरकर्ताओं (महिला पत्रकारों) की गवाही पर विचार किया जाए, जो इस उत्पीड़न की गवाह थीं।’

इन महिला पत्रकारों ने जारी किया संयुक्त बयान
'द एशियन एज' अखबार में काम कर चुकीं पत्रकारों जिन्होंने संयुक्त बयान पर दस्तखत किए हैं, उनमें मीनल बघेल (1993-1996), मनीषा पांडेय (1993-1998), तुषिता पटेल (1993-2000), कणिका गहलोत (1995-1998), सुपर्णा शर्मा (1993-1996), रमोला तलवार बादाम (1994-1995), होइहनु हौजेल (1999-2000), आयशा खान (1995-1998), कुशलरानी गुलाब (1993-1997), कनीजा गजारी (1995-1997), मालविका बनर्जी (1995-1998), ए टी जयंती (1995-1996), हामिदा पार्कर (1996-1999), जोनाली बुरागोहैन, मीनाक्षी कुमार (1996-2000), सुजाता दत्ता सचदेवा (1999-2000), रेशमी चक्रवाती (1996-98), किरण मनराल(1993-96) और संजरी चटर्जी शामिल हैं। डेक्कन क्रॉनिकल की एक पत्रकार क्रिस्टीना फ्रांसिस (2005-2011) ने भी इस बयान पर हस्ताक्षर किए हैं।

#MeToo के जाल में फंसे अकबर 
बयान में कहा गया है, 'जब रमनी ने उनके खिलाफ (अकबर) सार्वनिजक तौर पर बात की, तो उन्होंने न केवल अपने व्यक्तिगत अनुभव के बारे में बात की, बल्कि कई ऐसे मुद्दे की उठाए जो महिलाएं के साथ घटते आए हैं। उन्होंने बताया कि 'द एशियन एज' में महिलाओं के साथ एमजे अकबर कैसा व्यवहार करते थे।' बता दें कि कई मीडिया संगठनों से जुड़ी कई महिला पत्रकार यौन दुर्व्यवहार के खिलाफ सोशल मीडिया अभियान '#MeToo' के तहत एमजे अकबर के खिलाफ उत्पीड़न की कहानियों के साथ आगे आईं हैं। सबसे पहले पत्रकार प्रिया रमानी ने एमजे अकबर के खिलाफ सोशल मीडिया पर #MeToo अभियान के साथ यौन शोषण के आरोप लगाए थे।

अकबर ने आरोपों को बताया झूठा, रमानी लड़ने को तैयार 
हालांकि एमजे अबकर ने इन सभी आरोपों को गलत बताया है और सोमवार को रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि की शिकायत दायर की थी। उन्होंने इन आरोपों को राजनीतिक षडयंत्र बताया। इसके जवाब में प्रिया रमानी ने भी केस को स्वीकारते हुए मंगलवार को कहा कि अकबर द्वारा अपने ऊपर लगाए गए मानहानि के आरोपों का सामना करने और लड़ने के लिए तैयार हूं, क्योंकि सिर्फ सच ही मेरा बचाव है।


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