रणनीतिक रिश्ते को नया आयाम देने की तैयारी, आज भारत पहुंचेंगे मैटिस-पोम्पिओ
टू फ्लस टू वार्ता में शामिल होने आज भारत पहुंचेंगे अमेरिका के रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस और विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ।
नई दिल्ली (ब्यूरो)। भारत और अमेरिका अपने रणनीतिक रिश्ते को नया आयाम देने को तैयार है। जिसके चलते 6 सितंबर को दिल्ली में टू फ्लस टू वार्ता होने जा रही है। जिसमें शामिल होने अमेरिका के रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस और विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ आज भारत पहुंचेंगे। भारत और अमेरिका के बीच गुरुवार को होने वाले पहली 'टू फ्लस टू वार्ता' में द्विपक्षीय रणनीतिक रिश्तों को ज्यादा व्यापक व व्यवहारिक बनाने का रोडमैप तैयार होने की उम्मीद जताई जा रही है। इसके अलावा वार्ता में मुख्य मुद्दा ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान होगा।
बता दें कि 'टू प्लस टू वार्ता' का फैसला जून, 2017 में पीएम नरेंद्र मोदी व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई बैठक में किया गया था। इसमें भारत की अगुवाई विदेश मंत्री सुषमा स्वराज व रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन करेंगी, जबकि अमेरिका में इनके समकक्ष विदेश मंत्री माइकल पोम्पिओ और रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस वार्ता में शिरकत करने के लिए बुधवार को नई दिल्ली में पहुंच रहे हैं।
दो चरणों में होगी वार्ता
जानकारी के मुबातिक, यह वार्ता दो चरणों में होगी। पहले चरण में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों और रक्षा मंत्रियों की अलग-अलग बैठक होगी। दूसरे चरण में चारों अपने अधिकारियों के साथ संयुक्त बैठक करेंगे। उसके बाद इन चारों की पीएम नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात होगी।
भारत दौरे से पहले क्या बोले पोम्पिओ
इस बीच भारत के रूसी मिसाइल रक्षा सिस्टम खरीदने और ईरानी तेल का भारत में आयात के मामले पर यूएस सेक्रेट्री पोम्पिओ ने कहा है कि ये मामला जरूर आएगा लेकिन मुझे नहीं लगता है कि हम जो हासिल करना चाहते है उसमें इनपर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा, 'भारत के रूसी मिसाइल रक्षा सिस्टम खरीदने जैसे फैसले इस रिश्ते के लिए जरूरी हैं लेकिन इन रणनैतिक बैठकों के दौरान हमारी इन मामलों पर चर्चा करने की मंशा नहीं है और न ही हम करेंगे।'
वार्ता की अहमियत
'टू प्लस टू वार्ता' की अहमियत इस बात से समझी जा सकती है कि अमेरिका इस तरह का साझा विमर्श अभी तक सिर्फ आस्ट्रेलिया और जापान के साथ करता है। इन दोनों देशों को वह अपने रणनीतिक मामलों के लिए बेहद अहम मानता है। सूत्रों के मुताबिक, भारत को सबसे अहम रणनीतिक साझेदार घोषित करने के बाद हाल ही में अमेरिका ने अपने 90 फीसद रक्षा उपकरणों को भारत को बगैर लाइसेंस देने की घोषणा की है। अब रणनीतिक साझेदारी को लेकर लंबी अवधि के लक्ष्य तय करने की जरूरत है। खास तौर पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच किस तरह के सामंजस्य की जरूरत है।
यह बैठक भारत व अमेरिकी कंपनियों के सहयोग से तैयार होने वाले हथियारों के निर्माण का रास्ता साफ करेगी। दोनों देशों के अधिकारी इस बात से इन्कार करते हैं कि उनके बीच बढ़ती रणनीतिक साझेदारी के निशाने पर चीन या कोई अन्य देश है। लेकिन जिस तरह से दोनो पक्ष हिंद-प्रशांत महासागर को अपनी साझा रणनीति के केंद्र में बताते हैं कि उससे साफ है कि वह किस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। एक वृहद सैन्य सहयोग संधि की तैयारी भी चल रही है लेकिन संभवत: इस बैठक में उस पर अंतिम फैसला नहीं होगा। टू प्लस टू वार्ता में इसके अलावा भी अन्य द्विपक्षीय मुद्दे पर बातचीत होगी।
पहले यहीं अनुमान लगाया जा रहा था कि इस वार्ता में अमेरिका रूस से एस-400 सिस्टम खरीदने के भारत के फैसले को भी अमेरिका उठाएगा। हालांकि पोम्पिओ का जो बयान सामने आय़ा है, उसमें उन्होंने इस मुद्दे को उठाने से इंकार किया है। हालांकि, वार्ता में भारत की तरफ से भारतीय पेशेवरों के लिए कड़े नियम बनाने के अमेरिकी सरकार के फैसले का मुद्दा भी उठाया जा सकता है। अमेरिका व्यापार घाटे का मुद्दा उठाएगा तो भारत की तरफ से उसके कुछ उत्पादों पर हाल ही में ट्रंप प्रशासन की तरफ से लगाये गये सीमा शुल्क का मुद्दा रखा जाएगा। विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त कार्रवाई भी एजेंडे में काफी अहम है।