प्रख्यात वैज्ञानिक माशेलकर ने कहा- टेलेंट, टेक्नोलॉजी, ट्रस्ट से होगा देश में विज्ञान का विकास
आज हमें देश में साहसिक तथा नवाचारी सार्वजनिक खरीद नीति की जरुरत है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत में समावेश विकास की बात लंबे समय से चर्चा में है, देश में विज्ञान के माध्यम से किस तरह समावेश विकास को आश्वस्त किया जा सकता है, इस विषय पर विचार मंथन जारी है। प्रख्यात वैज्ञानिक डॉ. आरए माशेलकर ने रविवार को यहां राजधानी दिल्ली में इंटरनेशनल गुडविल सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित तीसरा जस्टिस नागेंद्र सिंह मेमोरियल लेक्चर में अपना संबोधन दिया। जहां उन्होंने कहा कि शिक्षा, शोध और इनोवेशन तीन महत्वपूर्ण कडि़यां हैं। शिक्षा से ज्ञान का विस्तार, शोध से नया ज्ञान और इनोवेशन से भौतिक संपन्नता मिलती है।
उन्होने कहा कि विज्ञान के विषय में दुनिया में बेहतर बनने की कोई सीमा नहीं होती। यह एक सतत प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि आज की हमारी जरुरत त्वरित समावेशी विकास है। आरए माशेलकर ने अपनी किताब लीप 'फ्रॉगिंग टू पोल वॉल्टिंग' का जिक्र करते हुए कहा कि आज के समय में यह जरूरी नहीं कि हम कदम दर कदम आगे बढ़े। बल्कि आज जरूरत है कि हम कुछ ऐसा करें जिससे दुनिया में हमें एक अलग उछाल मिल सके और हमारी अलग पहचान बन सके।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दुर्गा शंकर मिश्रा ने बताया कि भारत सरकार किस प्रकार विज्ञान के माध्यम से स्वच्छ भारत अभियान को सफल बना रही है, और सभी मंत्रालयों और बनाई जा रही सरकारी नीतियों में विज्ञान का उपयोग किया जा रहा है।
डा. माशेलकर ने देश के वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा कि आज हम स्वास्थ्य के संबंध में कई ऐसे संसाधन विकसित कर चुके है जो दुनिया से कई मायनों में बेहतर और सस्ते है। साथ ही इस बात पर अपनी चिंता जाहिर की कि देश में आय में समानता एक बड़ा मुद्दा है। लेकिन इसके बावजूद लोगो को अवसर और शिक्षा में समानता पाने की कोशिश करनी चाहिए।
डा. माशेलकर ने कहा कि आज देश में टेलेंट, टेक्नोलॉजी, ट्रस्ट के माध्यम से विज्ञान में बहुत तरक्की की जा सकती है, बहुत से युवाओं को हमे बढावा देने की जरुरत है और उन पर विश्वास करने की जरुरत है। अपने संबोधन में इस बात पर भी जोर दिया कि आज हमें देश में साहसिक तथा नवाचारी सार्वजनिक खरीद नीति की जरुरत है। समारोह में मौजूद युवा वैज्ञानिकों का भी डॉ. आरए माशेलकर ने हौसला बढ़ाया।