कई राज्यों ने विश्वविद्यालयों की परीक्षा कराने में जताई असमर्थता, पीएम मोदी से दखल देने की मांग
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और गृह मंत्रालय के दिशा निर्देशों से असहमति जताते हुए कई राज्य विश्वविद्यालयों की परीक्षाएं नहीं कराने की बात कर रहे हैं। जानें किसने क्या कहा...
नई दिल्ली, जेएनएन। कोरोना संकट के कारण पहले विश्वविद्यालयों में पढ़ाई नहीं हो सकी और अब परीक्षाओं को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और गृह मंत्रालय के दिशा निर्देशों से असहमति जताते हुए कई राज्य परीक्षा नहीं कराने की बात कर रहे हैं। दिल्ली, पंजाब और बंगाल के मुख्यमंत्रियों ने प्रधानमंत्री को अलग-अलग पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप का आग्रह किया। दिल्ली सरकार ने तो घोषणा कर दी कि वह राज्य के विश्वविद्यालयों की परीक्षा नहीं कराएगा। इसमें स्नातक एवं स्नातकोत्तर की अंतिम वर्ष की परीक्षा भी शामिल है।
अमरिंदर ने पीएम को लिखा दूसरा पत्र
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर ने पीएम को इस मुद्दे पर दूसरा पत्र लिखा है। उनका कहना है कि कोरोना के बढ़ते केसों को देखते हुए परीक्षा कराना संभव नहीं है। ऑनलाइन परीक्षा भी नहीं कराई जा सकती, क्योंकि बहुत से विद्यार्थियों के पास न तो लैपटॉप-कंप्यूटर इत्यादि की सुविधा है और न ही इंटरनेट की। राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा ने केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल को शुक्रवार को पत्र लिखा था।
ममता बोलीं, पुनर्विचार किया जाए
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पीएम को लिखे पत्र में कहा कि यूजीसी के 6 जुलाई का दिशानिर्देश छात्र हितों पर प्रतिकूल असर डालेगा। इसलिए मामले पर तुरंत पुनर्विचार किया जाए..। बंगाल के कुलपतियों ने भी यूजीसी को पत्र लिखकर अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाएं कराने से हाथ खड़ा कर दिया है।
केजरीवाल बोले, रद की जाएं परीक्षाएं
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अनुरोध किया कि दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) समेत अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों के आखिरी सेमेस्टर की परीक्षाएं रद की जाएं। उन्होंने पत्र में लिखा है कि आइआइटी और नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में भी आखिरी सेमेस्टर के छात्रों को आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर डिग्री दी जा रही है तो अन्य के लिए भी यह नियम लागू क्यों नहीं हो सकता है।
सिसोदिया बोले, अन्याय होगा
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने पत्रकारवार्ता कर कहा कि लॉकडाउन के कारण इस पूरे सेमेस्टर में पढ़ाई नहीं हो पाई है। लैब, लाइब्रेरी, प्रैक्टिकल, रिसर्च इत्यादि पूरी तरह बंद रहे। पढ़ाई के बिना परीक्षा कराना अन्याय होगा। छात्रों को डिग्री व प्रोन्नति पूर्व की सेमेस्टर परीक्षाओं में मिले नंबरों के आधार पर दी जाएगी। पूर्व के आंतरिक कार्य के अलावा अन्य उचित मानदंडों के आधार पर मूल्यांकन का फार्मूला तलाशा जाएगा। इससे लाखों बच्चों को राहत मिलेगी।
बिहार, मध्य प्रदेश निर्देशों का पालन करेंगे
बिहार, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश और केंद्र शासित चंडीगढ़ ने यूजीसी के दिशा-निर्देशों का पालन करने का फैसला किया है। जम्मू-कश्मीर के जम्मू विश्वविद्यालय ने अभी कोई फैसला नहीं किया है। कश्मीर विश्वविद्यालय ने भी अंडर ग्रेजुएट और पीजी की फाइनल परीक्षाएं नहीं की हैं, लेकिन कुछ सेमेस्टर की परीक्षाएं ऑनलाइन कराई जा रही हैं।
यूपी में परीक्षा की तैयारी
उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों में स्नातक व परास्नातक की परीक्षा को लेकर चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एनके तनेजा की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी ने सभी विद्यार्थियों को पिछली कक्षा के अंकों के आधार पर अगली कक्षा में प्रोन्नत करने की सिफारिश की थी। इस पर राज्य सरकार ने सैद्धांतिक सहमति भी दे दी थी लेकिन यूजीसी ने स्नातक व परास्नातक अंतिम वर्ष व अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाएं सितंबर में करवाने के सुझाव बीते दिनों दिए। उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा का कहना है कि सभी विकल्पों पर विचार किया जा रहा है।