Madhya Pradesh: प्रवर्तन निदेशालय की घेराबंदी में उलझेंगे कांग्रेस के कई बड़े नेता, आइएएस और आइपीएस
दस्तावेजों में लोक निर्माण विभाग (PWD) ऊर्जा नगरीय विकास व प्रशासन लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (PHE) महिला बाल विकास और एमपी एग्रो जैसे विभागों से भी लेन-देन का जिक्र किया गया है। ऐसे में इन विभागों के दर्जनभर तत्कालीन आइएएस अधिकारियों की भूमिका भी जांच के दायरे में आएगी।
भोपाल, राज्य ब्यूरो। कमल नाथ सरकार के कार्यकाल में पड़े आयकर विभाग के छापों के दौरान जब्त दस्तावेजों की आंच में कांग्रेस के मध्य प्रदेश के कई बड़े नेता, आइएएस और आइपीएस अधिकारी झुलसेंगे। अभी चुनाव आयोग ने चार वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) में प्रकरण दर्ज कराने को कहा है। तैयारी यह है कि ईओडब्ल्यू में प्रकरण दर्ज होते ही ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) इसमें शामिल होगा और इसके बाद कांग्रेस के कई नेताओं की घेराबंदी की जाएगी।
दस्तावेजों में लोक निर्माण विभाग (PWD), ऊर्जा, नगरीय विकास व प्रशासन, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (PHE), महिला बाल विकास और एमपी एग्रो जैसे विभागों से भी लेन-देन का जिक्र किया गया है। ऐसे में इन विभागों के दर्जनभर तत्कालीन आइएएस अधिकारियों की भूमिका भी जांच के दायरे में आएगी। जिन पुलिस अधिकारियों का नाम सामने आ चुका है, वे पुलिस मुख्यालय से किसी न किसी रूप में संबद्ध रहे हैं, ऐसे में आइपीएस अधिकारियों से भी पूछताछ की जा सकती है।
गौरतलब है कि आयकर छापों के दौरान जब्त दस्तावेजों को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने चुनाव आयोग को भेजा था। वहां से राज्य सरकार के पास रिपोर्ट आ गई है। इसमें तीन आइपीएस वी. मधुकुमार, सुशोवन बनर्जी, संजय माने और राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरण मिश्रा के खिलाफ ईओडब्ल्यू में प्रकरण दर्ज कराने को कहा गया है।
कांग्रेस मुख्यालय के साथ कई नेताओं को भी भेजे गए करोड़ों रुपये
अभी मामला सरकार स्तर पर विचाराधीन है, लेकिन यह तय है कि जब भी प्रकरण दर्ज कराया जाएगा और जांच आगे बढ़ेगी, कई अधिकारियों की जवाबदेही तय होगी। जिन लोगों के यहां आयकर के छापे पड़े थे, वे पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के करीबी रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि ईडी की जांच में छापों की जद में आए कमल नाथ के करीबी प्रवीण कक्कड़, राजेंद्र मिगलानी, अश्विन शर्मा आदि पर शिकंजा कसेगा। इनसे तत्काल पूछताछ शुरू की जा सकती है। उनकी संपत्ति जब्त की जा सकती है। संपत्ति बचाने के लिए वे उन लोगों के नाम बता सकते हैं, जिनके इशारे पर वे काम कर रहे थे। कहा जा रहा है कि कांग्रेस मुख्यालय के साथ कांग्रेस के कई नेताओं को भी करोड़ों रुपये भेजे गए हैं। इनमें से कई नेता कांग्रेस छोड़कर अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं।
उधर, दस्तावेजों में दागी ठहराए गए पुलिस अधिकारियों के बचाव में कांग्रेस आ गई है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि जिन चार पुलिस अधिकारियों पर आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) में प्रकरण दर्ज कराने को कहा गया है, वे ई-टेंडरिंग घोटाले की जांच में शामिल रहे हैं। भाजपा इस जांच का बदला ले रही है। कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता भाजपा सरकार के इस तरह के दबावों से डरने वाले नहीं हैं। सरकार चाहे जिस एजेंसी से जांच करा ले। उन्होंने चुनाव आयोग की भूमिका पर भी सवाल उठाए।
ये नेता भी मुश्किल में
बिसाहूलाल सिंह, प्रद्युम्न सिंह तोमर, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, ऐदल सिंह कंषाना, गिर्राज डंडौतिया, रणवीर जाटव, कमलेश जाटव, रक्षा संतराम सिरौनिया, प्रद्युम्न लोधी, राहुल लोधी, नारायण सिंह पटेल, सुमित्रा देवी कास्डेकर, मनोज चौधरी, रामबाई, संजीव सिंह, अजय सिंह, कंप्यूटर बाबा, रणदीप सूरजेवाला, दिग्विजय सिंह, अभिषेक मिश्रा, फुंदेलाल मार्को, विजय राघवेंद्र सिंह, ओमकार सिंह मरकाम, संजय उइके, भूपेंद्र मरावी, सज्जन सिंह, बाबू जंडेल, बैजनाथ कुशवाह, प्रवीण पाठक, घनश्याम सिंह, गोपाल सिंह चौहान, तनवर लोधी, नीरज दीक्षित, विक्रम सिंह नातीराजा, शिवदयाल बागरी, सिद्धार्थ कुशवाह, संजय यादव, शशांक भार्गव, आरिफ मसूद, गोर्वधन सिंह दांगी, बापूसिंह तोमर, महेश परमार, राजेश कुमार, राणा विक्रम सिंह, देवेंद्र पटेल, रामलाल मालवीय, झूमा सोलंकी, सचिन बिड़ला, रवि जोशी, केदार डावर, ग्यारसीलाल रावत, चंद्रभागा किराड़े, महेश रावत पटेल, कलावती भूरिया, वीरसिंह भूरिया, बालसिंह मेढ़ा, प्रताप ग्रेवाल, पांचीलाल मेढ़ा, हर्षविजय सिंह गेहलोत, मीनाक्षी नटराजन, कमल मरावी, प्रमिला सिंह, मधु भगत, देवाशीष जरारिया, शशि कर्णावत, शैलेंद्र सिंह दीवान, कविता नातीराजा, मुकेश श्रीवास्तव, ब्रजेश पटेल आदि। बताया जा रहा है कि इनके नाम लेनदेन को लेकर दस्तावेजों में सामने आए हैं।