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वित्त मंत्री जेटली ने गिनाये नोटबंदी फायदे, राहुल गांधी को दिया करारा जवाब

नोटबंदी के बाद 18 लाख लोगों की पहचान की गयी है जिनके बैंक खाते में भारी भरकम राशि जमा हुई। इनमें से कई लोगों से टैक्स वसूला जा रहा है और पेनाल्टी लगायी जा रही है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 30 Aug 2018 07:52 PM (IST)Updated: Fri, 31 Aug 2018 07:47 AM (IST)
वित्त मंत्री जेटली ने गिनाये नोटबंदी फायदे, राहुल गांधी को दिया करारा जवाब
वित्त मंत्री जेटली ने गिनाये नोटबंदी फायदे, राहुल गांधी को दिया करारा जवाब

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद 500 रुपये और एक हजार रुपये के लगभग सभी पुराने नोट वापस बैंकों में जमा होने पर छिड़ी बहस और सरकार से पूछे जा रहे सवालों के बीच केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसका फायदा गिनाया है। जेटली ने कहा कि नोटबंदी का उद्देश्य कालेधन पर चोट कर अर्थव्यवस्था को संगठित बनाना था। नोटबंदी का व्यापक उद्देश्य भारत को टैक्स नियमों का पालन करने वाला समाज बनाना था। और यह उद्देश्य सफल रहा।

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विपक्ष और आलोचकों की ओर से सरकार को कठघरे में घेरा जा रहा है कि जब सभी नोट वापस जमा हो गए और कालाधन भी सफेद कर लिया गया तो फिर लोगों को क्यों परेशानी में डाला गया। जेटली ने अपने ब्लाग में कहा कि बैंक में जब नकदी जमा की जाती है तो पता चल जाता है कि यह कैश किसका है। नोटबंदी के बाद 18 लाख लोगों की पहचान की गयी है जिनके बैंक खाते में भारी भरकम राशि जमा हुई। इनमें से कई लोगों से टैक्स वसूला जा रहा है और पेनाल्टी लगायी जा रही है।

नोटबंदी के फायदे गिनाते हुए जेटली ने कहा कि मार्च 2014 में आयकर रिटर्न की संख्या 3.8 करोड़ थी जो 2017-18 में बढ़कर 6.86 करोड़ हो गयी। नोटबंदी के प्रभाव से आय कर रिटर्न में बीते दो साल में 19 प्रतिशत और 25 प्रतिशत वृद्धि हुई है। पहली बार रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या भी नोटबंदी के बाद गत दो वर्षो में लगभग दो करोड़ बढ़ गई।

जेटली ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में अग्रिम कर भुगतान के मामले में व्यक्तिगत करदाताओं की संख्या में 44.1 प्रतिशत तथा कारपोरेट करदाताओं की संख्या में 17.4 प्रतिशत वृद्धि हुई है। इसका असर यह हुआ है कि आयकर संग्रह का आंकड़ा 2013-14 में 6.38 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2017-18 में 10.02 लाख करोड़ रुपये हो गया है।

नोटबंदी से पूर्व के दो वर्षो में आयकर संग्रह में 6.6 प्रतिशत और 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी लेकिन नोटबंदी के बाद के दो वर्षो में इसमें 15 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। खास बात यह है कि तीसरे साल भी यही रुझान देखने को मिल रहा है।

जेटली ने कहा कि नोटबंदी के बाद एक जुलाई 2017 को जीएसटी लागू हुआ। पहले ही वर्ष में जीएसटी में पंजीकृत असेसी की संख्या में 72.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जीएसटी लागू होने से पहले असेसी का आंकड़ा 66.17 लाख था जो अब बढ़कर 114.17 लाख हो गया है।

जेटली ने कहा कि यह नोटबंदी का सकारात्मक असर है। इससे अर्थव्यवस्था अधिक संगठित हुई है और सिस्टम में अधिक धन आया है, टैक्स राजस्व में वृद्धि हुई है। शुरुआती दो तिमाही के बाद विकास दर में भी तेजी आयी है।

अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद रही नोटबंदी: कांत 

नोटबंदी ने न सिर्फ अर्थव्यवस्था को संगठित बनाया बल्कि इससे डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आए हैं। नोटबंदी के बाद भारत ने डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में लंबी छलांग भी लगायी है।

नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि भीम एप, यूपीआई आधारित पेमेंट सिस्टम और आधार एनेबल्ड पेमेंट सिस्टम इसके उदाहरण हैं। उन्होंने कहा कि आज भारत में डिजिटल लेन-देन का आंकड़ा एक अरब पार कर गया है जबकि इसके लिए होने वाले भुगतान की राशि एक लाख करोड़ रुपये से भी अधिक हो गई है।

कांत ने कहा कि नोटबंदी से अर्थव्यवस्था को संगठित बनाने में मदद मिली है। आजादी के बाद 70 वर्षो में सिर्फ 6.4 करोड़ उद्यम थे जबकि बीते वर्ष 47 नए उद्यम अर्थव्यवस्था में जुड़े हैं।


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