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Mann Ki Baat: पीएम मोदी बोले- आयुष्मान भारत योजना ने गरीबों के लगभग 14 हजार करोड़ रुपये बचाए

प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम में कहा कि आयुष्मान भारत योजना लागू नहीं होती तो गरीबों को इलाज के लिए अपनी जेब से लगभग 14000 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते।

By TaniskEdited By: Published: Sun, 31 May 2020 01:52 PM (IST)Updated: Sun, 31 May 2020 01:52 PM (IST)
Mann Ki Baat: पीएम मोदी बोले- आयुष्मान भारत योजना ने गरीबों के लगभग 14 हजार करोड़ रुपये बचाए
Mann Ki Baat: पीएम मोदी बोले- आयुष्मान भारत योजना ने गरीबों के लगभग 14 हजार करोड़ रुपये बचाए

नई दिल्ली, एएनआइ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम में कहा कि अगर आयुष्मान भारत योजना लागू नहीं होती, तो गरीबों को चिकित्सा के लिए अपनी जेब से लगभग 14,000 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ता। पीएम मोदी ने कहा, 'हमारे देश में, दशकों से, करोड़ों गरीब नागरिक लगातार इस चिंता में डूबे हुए अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं कि अगर वे बीमार पड़ गए तो क्या होगा? क्या वे बीमारी का इलाज कराएंगे या परिवार के लिए रोटी कमाने की चिंता करेंगे? इस संकट को महसूस करते हुए और चिंता को दूर करने के लिए लगभग डेढ़ साल पहले 'आयुष्मान भारत' योजना शुरू की गई थी।'

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प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के 65 वें संस्करण में कहा, 'कुछ दिनों पहले 'आयुष्मान भारत' योजना के लाभार्थियों की संख्या एक करोड़ से अधिक हो गई। एक करोड़ से अधिक रोगियों का अर्थ है कि हमारे देश के एक करोड़ से अधिक परिवारों की सेवा की गई है।'

आयुष्मान भारत योजना ने गरीबों को बड़ी राशि खर्च करने से बचाया

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'यदि गरीबों को उपचार के बाद पैसा देना होता और उन्हें मुफ्त इलाज नहीं मिलता, तो एक मोटे अनुमान के अनुसार, 14,000 करोड़ रुपये से अधिक उन्हें अपनी जेब से देने पड़ते। आयुष्मान भारत योजना ने गरीबों को बड़ी राशि खर्च करने से बचाया है। मैं न केवल 'आयुष्मान भारत' के लाभार्थियों को गी नहीं , बल्कि उन सभी डॉक्टरों, नर्सों और चिकित्सा कर्मचारियों को भी बधाई देता हूं, जिन्होंने इस योजना के तहत मरीजों का इलाज किया है।

पोर्टेबिलिटी सुविधा 'आयुष्मान भारत' योजना की महत्वपूर्ण विशेषता 

पीएम मोदी ने आगे कहा कि 'आयुष्मान भारत' योजना के साथ एक महत्वपूर्ण विशेषता इसकी पोर्टेबिलिटी सुविधा है। इस योजना की पोर्टेबिलिटी ने देश को एकता के रंग में रंगने में भी मदद की है, जिसका मतलब है, बिहार के एक अल्पपोषित व्यक्ति को कर्नाटक में वही चिकित्सा सुविधा मिलेगी, जो उसे अपने गृह राज्य में मिलती थी। इसी तरह, अगर महाराष्ट्र का एक वंचित व्यक्ति चिकित्सा उपचार की आवश्यकता है, तो उसे तमिलनाडु में उपचार की समान सुविधा मिलेगी। इस योजना के कारण, किसी भी क्षेत्र का वंचित देश के किसी भी कोने में सर्वोत्तम चिकित्सा उपचार प्राप्त करने में सक्षम हैं।

एक करोड़ लाभार्थियों में से 80 प्रतिशत लोग देश के ग्रामीण क्षेत्रों से

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह जानकर आश्चर्य होगा कि एक करोड़ लाभार्थियों में से 80 प्रतिशत लोग देश के ग्रामीण क्षेत्रों से हैं। इन लाभार्थियों में लगभग 50 प्रतिशत हमारी माताएं और बहनें और बेटियां हैं। इनमें से अधिकांश लाभार्थी उन बीमारियों से पीड़ित थे, जिनका इलाज मानक दवाओं से नहीं किया जा सकता था। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कैसे इन लोगों ने अपनी मुसीबत से छुटकारा पाया है।

मणिपुर के एक बच्चे का उदाहरण दिया

प्रधानमंत्री ने आगे मणिपुर के एक बच्चे का उदाहरण दिया, जिसे आयुष्मान भारत योजना से नया जीवन मिला। उन्होंने कहा कि मणिपुर के चुरा-चांदपुर में छह साल के बच्चे केलनसांग को भी आयुष्मान योजना से नया जीवन मिला। यह बच्चा इतनी कम उम्र में मस्तिष्क की गंभीर बीमारी से पीड़ित हो गया। केलनसांग के पिता, एक दिहाड़ी मजदूर और एक बुनकर के रूप में काम करने वाली मां को एक ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा जहां उनके बच्चे का इलाज करना बहुत मुश्किल हो रहा था। लेकिन अब 'आयुष्मान भारत' योजना के कारण, उनके बेटे को मुफ्त इलाज मिला।


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