पूर्व राष्ट्रपति नशीद ने मांगा मालदीव के लिए भारत से सैन्य सहयोग
पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने सीधे तौर पर भारत से न सिर्फ सहयोग मांगा है बल्कि सैन्य हस्तक्षेप की भी मांग की है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। भारत का पड़ोसी और हिंद महासागर में रणनीतिक लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण मालदीव के हालात लगातार बिगड़ रहे हैं। राष्ट्रपति अब्दुल्लाह यामीन की तरफ से इमरजेंसी लगाने और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की गिरफ्तारी के बाद हालात बेकाबू होते दिख रहे हैं। ऐसे में पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने सीधे तौर पर भारत से न सिर्फ सहयोग मांगा है बल्कि सैन्य हस्तक्षेप की भी मांग की है। भारत के लिए इस छोटे से देश में सैन्य हस्तक्षेप कर शांति बहाली करना कोई बड़ा मुद्दा नहीं है लेकिन इस तरह का कोई भी कदम उठाने से पहले भारत कूटनीतिक स्तर पर पूरी तैयारी पक्की कर लेना चाहता है।
मालदीव के हालात पर भारत सरकार ने जिस तरह की प्रतिक्रिया जताई है उससे भी पता चलता है कि भारत ज्यादा समय तक मूक दर्शक बन कर नहीं रहने वाला है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि, ''हम 01 फरवरी, 2018 को मालदीव के सुप्रीम कोर्ट की पूर्ण पीठ के फैसले को वहां की सरकार की तरफ से लागू नहीं करने और वहां आपातकाल की घोषणा व आम नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों के हनन से बेहद चिंतित हैं। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों और प्रमुख राजनीतिक हस्तियों की गिरफ्तारी भी चिंता का कारण है। हम पूरे हालात की बेहद सजगता के साथ निगरानी कर रहे हैं।'' कूटनीतिक लिहाज से बेहद अहम भारत की यह प्रतिक्रिया मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मो. नाशीद के हस्तक्षेप करने संबंधी अपील के कुछ ही घंटे बाद आई है।
नशीद ने ट्विट कर कहा है कि, मैं मालदीव के नागरिकों की तरफ से बेहद नम्रता से यह आग्रह करता हूं कि, ''भारत अपनी सैन्य मदद के साथ अपने राजदूत भेजे ताकि यहां बंदी बनाये गये मोहम्मद अब्दुल गयूम समेत राजनीतिक हस्तियों, न्यायाधीशों को मुक्त करवाया जा सके। हम किसी की उपस्थिति का आग्रह करते हैं।'' इसी ट्विट में नशीद ने अमेरिका से भी कहा है कि वह अमेरिकी बैंकों के माध्यम से मालदीव प्रशासन की हर लेन देन पर रोक लगा दे। पूर्व राष्ट्रपति ने सिर्फ भारत से सैन्य मदद करने की अपील की है जो इस बात की तरफ इशारा करता है कि अगर वहां हालात सामान्य बनाने में सिर्फ एक ही बाहरी देश की अहमियत है। नाशीद अभी श्रीलंका में है और वहीं से उन्होंने भारत और अमेरिका से मदद की गुहार की है।
भारत की तरफ से लगातार इस पूरे मामले में कूटनीतिक स्तर पर विचार विमर्श किया जा रहा है। चूंकि हाल के दिनों में मालदीव के राष्ट्रपति यामीन ने चीन के साथ बेहद करीबी रिश्ते बनाने की कोशिश की है उसे देखते हुए भारत के लिए मामला ज्यादा संवेदनशील है। बहरहाल, अमेरिका ने सार्वजनिक तौर पर मालदीव में वहां के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को बहाल करने की अपील कर भारत के पक्ष को मजबूत किया है। अमेरिकी सरकार ने वहां इमरजेंसी की घोषणा पर निराशा जताते हुए मालदीव की यामीन सरकार व वहां की सेना से आग्रह किया है कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करने की व्यवस्था करे ताकि वहां कानून सम्मत व्यवस्था हो सके। अमेरिका ने मालदीव में संसदीय व्यवस्था के पुनस्र्थापन और आम जनों के उनके संवैधानिक अधिकार बहाल करने की मांग की है। यूरोपीय संघ ने भी कहा है कि मालदीव में कानूनी फैसले को लागू किया जाना चाहिए।
सनद रहे कि मालदीव के विपक्षी नेताओं की तरफ से दायर एक मामले पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट के पूर्ण सदस्यीय खंडपीठ ने सभी राजनीतिक कैदियों को छोड़ने, संसद में उनकी सदस्यता बहाल कराने और निर्वासित पूर्व राष्ट्रपति नाशीद के स्वदेश वापसी का रास्ता खोल दिया था। राष्ट्रपति यासीन उसकी अनदेखी करते हुए सोमवार रात वहां इमरजेंसी लगा दी है। नाशीद मालदीव में लोकतांत्रिक तरीके से चुने गये पहले राष्ट्रपति थे जो वर्ष 2015 से निर्वासित जीवन जी रहे हैं।