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Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में अभी बाकी है पिक्‍चर; विद्रोहियों पर लटकी अयोग्‍यता की तलवार, शिवसेना के मुख्य सचेतक ने दिए बड़े संकेत

Maharashtra Political Crisis महाराष्‍ट्र में जारी सियासी संकट के लंबा खिंचने के आसार हैं। शिवसेना के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु का कहना है कि पार्टी के व्हिप का उल्लंघन करने वाले विधायकों पर आयोग्‍यता की कार्रवाई की जाएगी...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 03 Jul 2022 04:15 PM (IST)Updated: Sun, 03 Jul 2022 04:15 PM (IST)
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में अभी बाकी है पिक्‍चर; विद्रोहियों पर लटकी अयोग्‍यता की तलवार, शिवसेना के मुख्य सचेतक ने दिए बड़े संकेत
Political Crisis in Maharashtra: महाराष्‍ट्र की सियासी लड़ाई सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिक गई है।

मुंबई, एजेंसियां। महाराष्‍ट्र की सियासत में अभी पिक्‍चर बाकी है। भले ही भाजपा के राहुल नार्वेकर को महाराष्ट्र विधानसभा का अध्यक्ष चुन लिया गया है लेकिन सियासी लड़ाई के लंबी चलने के साफ संकेत नजर आ रहे हैं। शिवसेना के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु ने रविवार को कहा कि कुछ विधायकों ने स्पीकर चुनाव में मतदान के दौरान शिवसेना के व्हिप का उल्लंघन किया है। पीठासीन अधिकारी से शिकायत की गई है। नतीजतन उन्हें अयोग्य घोषित किया जा सकता है।

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मुख्य सचेतक सुनील प्रभु ने यह भी कहा कि पार्टी के 12 सदस्यों के निलंबन का मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। जाहिर है सूबे में एकनाथ शिंदे की अगुवाई में नई सरकार का गठन भले ही हो गया हो... भले ही नए विधानसभा अध्‍यक्ष का चयन हो गया हो... भले ही नई सरकार बहुमत परीक्षण में भी पास हो जाए लेकिन मामला अदालत तक जाएगा। ऐसे में नजरें अब सुप्रीम कोर्ट के रुख पर जाकर टिक गई हैं। सुप्रीम कोर्ट 12 जुलाई को शिवसेना की याचिका पर सुनवाई करेगा।

उल्‍लेखनीय है कि विधानसभा अध्‍यक्ष के चुनाव को लेकर शिवसेना के चीफ व्हिप (मुख्य सचेतक) सुनील प्रभु ने विधायकों को व्हिप जारी कर राजन साल्वी के पक्ष में मतदान करने को कहा था। दूसरी ओर एकनाथ शिंदे गुट ने भरत गोगावले को मुख्य सचेतक नियुक्त कर राहुल नार्वेकर के पक्ष में मतदान करने के निर्देश दिए थे। सवाल यह भी कि कानून के लिहाज से किस पक्ष के व्हिप को सही माना जाएगा। यह फैसला भी मौजूदा सरकार के स्‍थाइत्‍व का निर्धारण करेगा।

कौन से मुख्य सचेतक का व्हिप प्रभावी माना जाएगा, यह मसला भी सर्वोच्च न्यायालय के पास विचाराधीन है। जानकारों की मानें तो अब सर्वोच्च न्यायालय कोई लकीर सामने आएगी जिसके जरिए सूबे सियासी भविष्‍य तय होगा। यदि 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट शिवसेना के दावे पर मुहर लगाता है तो शिंदे की अगुवाई वाली सरकार संकट में घिर जाएगी। जाहिर है महाराष्‍ट्र का सियासी भविष्‍य कानूनी पेंच में उलझा हुआ है और सर्वोच्‍च अदालत से ही संकट का समाधान निकलेगा...  


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