Maharashtra Crisis: चुनाव से लेकर राष्ट्रपति शासन तक राज्य के सियासी ड्रामे पर एक नज़र
Maharashtra Crisis चुनाव परिणाम के बाद से राज्य में सरकार बनाने को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है। कोई भी पार्टी सरकार नहीं बना सकी और अब राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है।
दिल्ली, जेएनएन। Maharashtra Politics Crisis: महाराष्ट्र में पिछले कुछ दिनों से सरकार बनाने को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है। गत 21 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव हुआ। चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिवसेना का गठबंधन रहा और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी(एनसीपी) और कांग्रेस एक साथ चुनाव लड़ीं। चुनाव के परिणाम 24 अक्टूबर को घोषित हुए।
इस दौरान राज्य में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। उसे 105 सीटें मिलीं और उसके साथी शिवसेना को 56 सीट। साफ था एनडीए की सरकार बननी तय थी,लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दोनों में सीएम पद को लेकर ऐसा गतिरोध हुआ कि 30 साल पुराना गठबंधन टूट गया। यही नहीं राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। आइए नजर डालते हैं राज्य के पूरे सियासी ड्रामे पर।
भाजपा-शिवसेना गतिरोध
चुनाव परिणाम आने के बाद शिवसेना ने कहा कि उसका भाजपा क साथ गठबंधन शर्तों के साथ हुआ था। शिवसेना ने कहा कि गठबंधन 50-50 फार्मूले के साथ हुआ। यानी ढाई साल भाजपा का सीएम और ढाई साल शिवसेना का सीएम। दूसरी ओर भाजपा ने इससे साफ इन्कार कर दिया। उसने कहा कि शिवसेना के साथ गठबंधन किसी शर्त के साथ नहीं हुआ। सीएम भाजपा का ही होगा। शिवसेना अपनी मांग पर अड़ी रही। वो इस शर्त को दोहराते रही।
एनसीपी ने कहा विपक्ष की भूमिका निभाएंगे
इस गतिरोध के बीच शिवसेना इशारों इशारों में दूसरे विकल्प के साथ सरकार बनाने की संकेत देती रही। यानी वो एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने की कवायद में थी। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने इस दौरान कई बार कहा कि जनता ने शिवसेना और भाजपा को बहुमत दिया है। उन्हें सरकार बनानी चाहिए। कांग्रेस और एनसीपी विपक्ष में बैठेंगे।
पवार ने इस दौरान यह भी कहा था कि भाजपा-शिवसेना कई वर्षों से साथ हैं आज या कल वे फिर साथ आएंगे। इसी दौरान खबर सामने आई कि एनसीपी शिवसेना को कुछ शर्तों के साथ समर्थन देना चाहती है। एनसीपी चाहती थी कि शिवसेना पूरी तरह से भाजपा से नाता तोड़ ले।
गडकरी को अगला सीएम बनाने की खबर
इसी दौरान 7 नवंबर को केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर में संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की। तभी यह खबर सामने आई कि गडकरी को राज्य का अगला सीएम बनाया जा सकता है। शिवसेना से गतिरोध खत्म करने के लिए भाजपा ऐसा कर सकती है। लेकिन गडकरी ने इससे साफ इन्कार कर दिया।
उन्होंने इसे बेबुनियाद बताते हुए कहा कि राज्य के अगले सीएम देवेंद्र फडणवीस ही होंगे। इसी दौरान विधायकों के खरीदफरोख्त की खबर सामने आई। शिवसेना ने अपने विधायकों को उद्धव ठाकरे से उनके आवास मातोश्री में मुलाकात के बाद होटल में शिफ्ट कर दिया।
फडणवीस का इस्तीफा
राज्य के विधानसभा का कार्यकाल 9 अक्टूबर को खत्म होना था। देवेंद्र फडणवीस ने 8 नवंबर को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। फडणवीस ने इस दौरान शिवसेना की काफी आलोचना की। इसके बाद राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने भाजपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। भाजपा को सरकार बनाने के लिए 48 घंटे का समय मिला। भाजपा संख्याबल (288 में से 145 सीट) जुटाने में असफल रही। उसने सरकार बनाने का दावा नहीं किया।
शिवसेना सरकार बनाने के लिए आमंत्रित
भाजपा के सरकार न बना पाने के बाद राज्यपाल ने शिवसेना को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। शिवसेना सरकार बनाने की कोशिश में लगी। इसी दौरान उसने 11 नवंबर को एनडीए से गठबंधन तोड़ लिया। मोदी कैबिनेट में उसके एक मात्र मंत्री अरविंद सावंत ने इस्तीफा दे दिया। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि एनसीपी ने उसे भाजपा के साथ संबंध खत्म करने पर समर्थन देने के संकेत दिए।
हालांकि, इसके बाद शिवसेना सरकार बनाने में असमर्थ रही। शिवसेना ने सरकार बनाने का दावा तो किया, लेकिन उसके पास संबंधित पार्टियों का समर्थन पत्र नहीं था। उसने राज्यपाल से और समय मांगा, पर राज्यपाल ने समय नहीं दिया।
एनसीपी को सरकार बनाने का मौका
राज्यपाल ने इसके बाद एनसीपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। उनके पास दावा साबित करने के लिए 12 नवंबर रात 8.30 बजे तक का समय था, लेकिन राज्यपाल ने छह घंटे पूर्व ही राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि राज्य में सरकार बनने की स्थिति नहीं दिख रही थी। एनसीपी,कांग्रेस और शिवसेना में सरकार बनाने को लेकर बातचीत होती रही, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला।
राष्ट्रपति शासन लागू
एनसीपी ने इससे कुछ समय पहले राज्यपाल को पत्र लिखकर समर्थन जुटाने के लिए और समय मांगा, लेकिन राज्यपाल ने मना कर दिया। शिवसेना राज्यपाल के फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। उसका आरोप है कि राज्यपाल केंद्र सरकार के इशारे पर काम कर रहे हैं।