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MVA Crisis: शिंदे गुट को 12 जुलाई तक 'सुप्रीम' राहत; बागियों के मनसे में शामिल होने की चर्चा, वेट एंड वाच की नीति पर भाजपा

शिवसेना के विद्रोही विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई। उनके सिर पर मंडराता अयोग्यता का खतरा फिलहाल टल गया है। सुप्रीम कोर्ट ने 16 विद्रोही विधायकों को डिप्टी स्पीकर द्वारा भेजे गए अयोग्यता नोटिस का जवाब देने की समय सीमा 12 जुलाई तक बढ़ा दी है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 27 Jun 2022 10:54 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jun 2022 06:53 AM (IST)
MVA Crisis: शिंदे गुट को 12 जुलाई तक 'सुप्रीम' राहत; बागियों के मनसे में शामिल होने की चर्चा, वेट एंड वाच की नीति पर भाजपा
शिवसेना के विद्रोही विधायकों को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। शिवसेना के विद्रोही विधायकों को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई। उनके सिर पर मंडराता अयोग्यता का खतरा फिलहाल टल गया है। सुप्रीम कोर्ट ने शिव सेना के 16 विद्रोही विधायकों को डिप्टी स्पीकर द्वारा भेजे गए अयोग्यता नोटिस का जवाब देने की समय सीमा 12 जुलाई तक बढ़ा दी है। इसके साथ ही विद्रोही गुट के मुखिया एकनाथ शिंदे और अन्य विद्रोही विधायकों की ओर से दाखिल याचिकाओं पर महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर, महाराष्ट्र सरकार, अजय चौधरी, सुनील प्रभु, केंद्र सरकार व महाराष्ट्र के डीजीपी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

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  • सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना के विद्रोही विधायकों को अयोग्यता मामले में दी राहत
  • डिप्टी स्पीकर ने 16 विधायकों से 27 जून तक मांगा था जवाब
  • कोर्ट ने एकनाथ ¨शदे और अन्य की याचिका पर नोटिस जारी किया
  • डिप्टी स्पीकर, महाराष्ट्र सरकार, केंद्र और अन्य से मांगा जवाब
  • सुप्रीम कोर्ट मामले पर 11 जुलाई को फिर करेगा सुनवाई

विद्रोही विधायकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश

अजय चौधरी और सुनील प्रभु उद्धव का साथ दे रहे शिवसेना विधायक हैं। शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र सरकार से 39 विद्रोही विधायकों की जानमाल की सुरक्षा सुनिश्चित करने को भी कहा है। कोर्ट मामले पर 11 जुलाई को फिर सुनवाई करेगा। यह निर्देश न्यायमूर्ति सूर्यकांत और जेबी पार्डीवाला की अवकाशकालीन पीठ ने एकनाथ शिंदे और भरत गोगावले व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई के बाद जारी किया।

बागियों को राहत

सुप्रीम कोर्ट के आदेश से महाराष्ट्र में शिवसेना के विद्रोही गुट के खिलाफ जा सकने वाली परिस्थितियां कुछ समय के लिए थम गई हैं। इस बीच उनके खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही नहीं हो पाएगी।

अयोग्यता नोटिस को चुनौती

शिवसेना के विद्रोही गुट के नेता एकनाथ शिंदे ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर उन्हें व अन्य बागी विधायकों को डिप्टी स्पीकर द्वारा भेजे गए अयोग्यता नोटिस को चुनौती दी है। इसके अलावा भरत गोगावले व अन्य बागी विधायकों ने अलग से याचिका दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट से राहत की गुहार लगाई है। दोनों याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई हुई। डिप्टी स्पीकर ने 16 विद्रोही विधायकों को अयोग्यता नोटिस जारी कर 27 जून तक जवाब मांगा था।

विद्रोही गुट ने कहा, जल्दबाजी में काम कर रहे डिप्टी स्पीकर

विद्रोही विधायकों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील नीरज किशन कौल ने कहा कि डिप्टी स्पीकर जल्दबाजी में काम कर रहे हैं। उन्होंने नोटिस का जवाब देने के लिए सिर्फ 48 घंटे दिए हैं, जिसकी समय सीमा 27 जून को शाम 5.30 पर खत्म हो रही है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व फैसले हैं, जिनमें कहा गया है कि जवाब के लिए तर्कसंगत समय या सात दिन दिया जाना चाहिए।

अदालत ने पूछा, विद्रोही विधायक पहले हाई कोर्ट क्यों नहीं गए

सुप्रीम कोर्ट ने विद्रोही विधायकों के वकील नीरज किशन कौल से सवाल किया कि वे लोग हाई कोर्ट क्यों नहीं गए? सीधे सुप्रीम कोर्ट क्यों आए? किशन कौल ने कहा कि मुंबई और महाराष्ट्र में विद्रोही विधायकों को खतरा है। वहां का माहौल ऐसा नहीं है कि वे वहां जा सकें। उन्हें धमकियां मिल रही हैं। संविधान में ऐसी कोई रोक नहीं है कि अगर हाई कोर्ट पहले नहीं गए तो सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 32 में दाखिल याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकती।

शीर्ष अदालत में इस तरह दी गई दलीलें

  • नीरज किशन कौल (विद्रोही विधायकों के वकील) : सुप्रीम कोर्ट के नबम राबिया मामले में दिए फैसले के मुताबिक डिप्टी स्पीकर को अयोग्यता याचिका पर सुनवाई का अधिकार नहीं है। विद्रोही विधायकों ने डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास नोटिस दिया है। नोटिस पर फैसला होने तक डिप्टी स्पीकर अयोग्यता मामले में सुनवाई नहीं कर सकते।
  • राजीव धवन (डिप्टी स्पीकर के वकील) : स्पीकर एक अर्धन्यायिक अथारिटी होता है। वह नोटिस की वास्तविकता और सत्यता देखेगा और उसे उसके प्रति संतुष्ट होना होगा।
  • सुप्रीम कोर्ट : सत्यता और वास्तविकता से आपका क्या अभिप्राय है?
  • राजीव धवन : पत्र या ईमेल से नोटिस नहीं भेजा जाता। नोटिस रजिस्टर्ड आना चाहिए। दूसरी बात हम देखेंगे कि नोटिस के 14 दिन कब पूरे हो रहे हैं?
  • सुप्रीम कोर्ट : ये तो विरोधाभासी बातें हैं। एक तरफ आप कह रहे हैं कि नोटिस वास्तविक नहीं है। दूसरी ओर 14 दिन की समयसीमा की बात कर रहे हैं। आप या आपका विधायी सचिव सारी बातें हलफनामा दाखिल कर कोर्ट के समक्ष रखे।
  • अभिषेक मनु सिंघवी (अजय चौधरी और सुनील प्रभु के वकील) : डिप्टी स्पीकर ने विधायकों की अयोग्यता पर अंतिम फैसला नहीं दिया है। कानून के मुताबिक डिप्टी स्पीकर का अंतिम फैसला आने के बाद ही कोर्ट को सुनवाई करनी चाहिए।
  • सुप्रीम कोर्ट : समस्या यही है कि अभी अंतिम फैसला नहीं आया है, बल्कि अयोग्यता नोटिस को चुनौती दी गई है। कहा गया है कि स्पीकर को अयोग्यता का मामला सुनने का अधिकार नहीं है।
  • देवदत्त कामथ (अजय चौधरी और सुनील प्रभु के एक अन्य वकील) : स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए कारण बताना पड़ता है, जो कि नहीं बताया गया है।
  • अभिषेक सिंघवी : स्पीकर को भेजा गया नोटिस भी वास्तविक नहीं है, क्योंकि वह अनजान ईमेल से भेजा गया था।
  • सुप्रीम कोर्ट : डिप्टी स्पीकर और अन्य प्रतिपक्षियों को याचिकाओं का जवाब दाखिल करने के लिए पांच दिन का समय दिया जाता है। उसके बाद याचिकाकर्ताओं के पास प्रति उत्तर देने के लिए तीन दिन का समय होगा।

फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने से इन्कार

सुनवाई के अंत में अजय चौधरी और सुनील प्रभु के वकील देवदत्त कामथ ने आग्रह किया कि कोर्ट आदेश दे कि जब तक अदालत में यह मामला तय नहीं होता, तब तक फ्लोर टेस्ट नहीं कराया जाएगा। अगर इस बीच फ्लोर टेस्ट हो गया और स्थिति बदल गई तो क्या होगा? इसलिए कोर्ट फ्लोर टेस्ट पर रोक लगा दे। लेकिन पीठ ने इस बारे में कोई भी आदेश देने से इन्कार कर दिया। बस इतना कहा कि अगर कुछ गैरकानूनी होता है, तो वे कोर्ट आ सकते हैं। कामथ ने कहा कि यह बात आदेश में दर्ज की जाए। लेकिन कोर्ट इसके लिए भी राजी नहीं हुआ।

शिंदे गुट ने समर्थन नहीं लिया है वापस

महाराष्ट्र के राजभवन ने स्पष्ट किया है कि शिंदे गुट ने अभी उद्धव सरकार से समर्थन वापस नहीं लिया है। इस तरह की रिपोर्टे थीं कि विद्रोही विधायकों ने इस बात का जिक्र सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में किया है। दूसरी तरफ, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने सरकार को विश्वास प्रस्ताव पेश करने का सुझाव दिया है।

देखो और इंतजार करो की नीति पर चलेगी भाजपा

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद स्थिति का जायजा लेने के लिए महाराष्ट्र भाजपा कोर कमेटी की बैठक हुई। भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि पार्टी ने देखो और इंतजार करो की नीति पर चलने का फैसला लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि अविश्वास प्रस्ताव लाने की कोई जरूरत नहीं है। शिंदे गुट बहुमत में है।

बागी विधायकों के मनसे में शामिल होने की चर्चा

राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि यदि शिंदे गुट को अलग समूह के रूप में मान्यता नहीं मिली, तो वे मनसे में शामिल हो सकते हैं। इस तरह वे दल-बदल विरोधी कानून से बच जाएंगे। एकनाथ शिंदे ने सोमवार को राजनीतिक स्थिति पर मनसे प्रमुख राज ठाकरे से बात भी की है। दोनों के बीच फोन पर दो बार बात हुई।


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