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Maharashtra Political Crisis: सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी- अपने खिलाफ प्रस्ताव में कैसे जज बने डिप्टी स्पीकर, 11 जुलाई को होगी अगली सुनवाई

maharashtra political crisis सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर की ओर से पेश वकील राजीव धवन से सवाल किया कि यदि विधायकों की ओर से नोटिस मिला था तो फिर उसे खारिज क्यों किया गया। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी किया है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Mon, 27 Jun 2022 01:37 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jun 2022 03:25 PM (IST)
Maharashtra Political Crisis: सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी- अपने खिलाफ प्रस्ताव में कैसे जज बने डिप्टी स्पीकर, 11 जुलाई को होगी अगली सुनवाई
महाराष्ट्र में जारी सियासी संकट के बीच सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, एजेंसी। महाराष्ट्र में जारी सियासी संकट के बीच सुप्रीम कोर्ट में डिप्टी स्पीकर की भूमिका पर ही सवाल खड़े हो गए हैं। एकनाथ शिंदे गुट की ओर से 15 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के नोटिस के खिलाफ दायर अर्जी पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर के रोल पर सख्त टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि यदि बागी विधायकों ने उनके ही खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था तो कैसे उन्हें नोटिस जारी किया गया। जस्टिस सूर्यकांत ने सवाल किया कि अपने खिलाफ दायर अर्जी पर कैसे डिप्टी स्पीकर खुद ही जज बन गए। इस पर डिप्टी स्पीकर की ओर से पेश वकील राजीव धवन ने कहा कि उनके खिलाफ जो नोटिस आया था, वह अनवेरिफाइड ईमेल से भेजा गया था।

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अब इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर को हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर की ओर से पेश वकील राजीव धवन से सवाल किया कि यदि विधायकों की ओर से नोटिस मिला था तो फिर उसे खारिज क्यों किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि अपने खिलाफ मामले में उन्होंने कैसे खुद ही सुनवाई की और खुद ही जज बन गए। इसके साथ ही अदालत ने डिप्टी स्पीकर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस, शिवसेना विधायक दल के नए नेता अजय चौधरी और चीफ व्हिप बनाए गए सुनील प्रभु को भी नोटिस जारी किया है।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी किया है और पूछा है कि ऐसे मामलों में आखिर संसद के नियम क्या कहते हैं। अदालत ने सभी पक्षों से 5 दिनों के अंदर नोटिस का जवाब मांगा है। यही नहीं इन पक्षों की ओर से नोटिस का जवाब मिलने के बाद एकनाथ शिंदे गुट को आदेश दिया गया है कि वे तीन दिन के अंदर इस पर जवाब दें। यही नहीं अदालत ने कहा है कि अब अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी।

MVA सरकार से हमने समर्थन वापस लिया: शिंदे

इस बीच सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में एकनाथ शिंदे ने कहा कि महा विकास आघाड़ी (MVA) गठबंधन ने सदन में बहुमत खो दिया है, क्योंकि शिवसेना विधायक दल के 38 सदस्यों ने अपना समर्थन वापस ले लिया है और इस तरह सदन में बहुमत से नीचे आ गया है।

एकनाथ शिंदे ने ट्वीट कर साधा उद्धव पर निशाना

इससे पहले एकनाथ शिंदे ने फिर ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा कि क्या आपको सरकार में छगन भुजबल के साथ बैठने में पीड़ा नहीं होती? जिस शख्स ने हिंदू हृदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे को कैद किया था। यह सवाल पूर्व विधायक सुभाष सबने ने सीएम और शिव सेना के मुखिया उद्धव ठाकरे से पूछा। सबने को विधानसभा में यह सवाल पूछने पर सस्पेंड कर दिया गया था।

​​​​​शिंदे गुट के विधायक सुप्रीम कोर्ट क्यों गए

महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर ने एक नोटिस जारी कर शिवसेना के बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया। इस नोटिस के खिलाफ शिंदे गुट के विधायक सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। बागी विधायकों का तर्क है कि शिवसेना विधायक दल के 2 तिहाई से ज्यादा सदस्य हमारा समर्थन करते हैं। यह जानने के बाद भी डिप्टी स्पीकर ने 21 जून को पार्टी के विधायक दल का नया नेता नियुक्त कर दिया।


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