Maharashtra Political Crisis: अपनी सरकार को गंवाने वाले कमलनाथ को कांग्रेस ने नियुक्त किया पर्यवेक्षक
महाराष्ट्र में हालिया राजनीतिक घटनाक्रम के मद्देनजर कांग्रेस ने मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता कमलनाथ को महाराष्ट्र में पार्टी का पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। मध्य प्रदेश में ऐसे ही राजनीतिक संकट में राज्य की सरकार चली गई थी।
नई दिल्ली, एएनआइ। महाराष्ट्र में हालिया राजनीतिक घटनाक्रम के मद्देनजर कांग्रेस ने मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता कमलनाथ को महाराष्ट्र में पार्टी का पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। मध्य प्रदेश में ऐसे ही राजनीतिक संकट में राज्य की सरकार चली गई थी।
Congress appoints Kamal Nath as the party's Observer to Maharashtra "in wake of recent political developments in the state." pic.twitter.com/TIcf8OwMjV
— ANI (@ANI) June 21, 2022
आप को बता दें कि इस बार उद्धव सरकार पर खतरा मंडरा रहा है। सरकार के दिग्गज मंत्री एकनाथ शिंदे 32 विधायकों के साथ गुजरात के सूरत में एक होटल में पहुंच गए है। बताया जा रहा है शिंदे के साथ 5 मंत्री भी हैं। इससे महाराष्ट्र से दिल्ली तक हलचल तेज हो गई है।
जानें मध्य प्रदेश में गिरी कमल नाथ की सरकार
2019 में कर्नाटक की जेडीएस और कांग्रेस सरकार के गिरने के बाद आशंका थी कि मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर भी कभी भी संकट गहरा सकता है। दरअसल, कुल 230 सदस्यों वाली मध्य प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस के पास 114 विधायक थे। विधानसभा में बहुमत के लिए 116 विधायकों की जरूरत थी। कांग्रेस को 4 निर्दलीय, बीएसपी के 2 और एसपी के 1 विधायक का समर्थन हासिल था। इस तरह कुल 121 विधायक उसके पास थे। इस तरह उसके पास बहुमत से कुछ ही ज्यादा वह दूसरों के समर्थन पर ही टिकी थी। दूसरी तरफ़ भाजपा के पास 108 विधायक थे।
ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाराजगी कांग्रेस के लिए पड़ी भारी
2020 की शुरुआत में खबरें आई थीं कि मध्य प्रदेश में काफी संख्या में विधायक भाजपा के संपर्क में हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया को मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने और बाद में राज्यसभा सदस्यता का पद उन्हें न देकर दिग्विजय सिंह को दे दिया गया। इससे उनकी नाराजगी काफी बढ़ गई। बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने और 22 विधायकों के मध्य प्रदेश विधानसभा से इस्तीफ़ा देने के बाद कमलनाथ सरकार मुश्किल में आ गई थी। इन विधायकों के इस्तीफ़े के बाद कांग्रेस के पास 92 विधायक रह गए थे।
इसके बाद 20 मार्च 2020 को कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा सौंप दिया था। कमलनाथ ने कहा था कि भाजपा ने 22 विधायकों को बंधक बनाया और पूरा देश यह जानता है। दल बदल विधेयक के कारण इन विधायकों की सदस्यता चली गई थी। उसके बाद हुए उपचुनाव में ज्यादातर विधायक विजयी हुए। उनमें से कई मंत्री बनाए गए।