Maharashtra Crisis: एकनाथ शिंदे और शिवसेना के बागी विधायकों के खिलाफ बांबे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल, जानें पूरा मामला
Maharashtra Political Crisis महाराष्ट्र की महा विकास आघाड़ी में बगावत का बिगुल बजाने वाले एकनाथ शिंदे और उनको समर्थन देने वाले विधायकों के खिलाफ पीआईएल दाखिल हुई है। बांबे हाईकोर्ट से बागी विधायकों से कार्यालय का काम फिर से शुरू करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है।
मुंबई, एएनआइ। महाराष्ट्र में जारी सियासी संग्राम कोर्ट पहुंच गया है। बांबे हाईकोर्ट में एकनाथ शिंदे और शिवसेना के बागी विधायकों के खिलाफ पीआईएल दाखिल की गई है। पीआईएल में बागी विधायकों से कार्यालय का काम फिर से शुरू करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है। ये याचिका बागी विधायकों के अपने आधिकारिक कर्तव्यों की उपेक्षा करने के लिए दाखिल की गई। गौरतलब है कि शिंदे ने 40 से ज्यादा विधायकों के साथ गुवाहाटी के होटल में डेरा डाला हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई
उधर, शिवसेना के बागी विधायकों के नेता एकनाथ शिंदे ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। शिंदे ने महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर की ओर से भेजे गए अयोग्यता नोटिस और अजय चौधरी को शिवसेना विधायक दल का नेता चुने जाने को चुनौती दी है। याचिका में शिंदे ने खुद की और समर्थन देने वाले विधायकों तथा सभी के परिवारों को सुरक्षा दिए जाने की भी मांग की है। शिंदे के अलावा भरत गोगावले ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।
अयोग्यता नोटिस रद करने की मांग
बताया जा रहा है कि इन दो याचिकाओं के अलावा शिवसेना के कुछ बागी विधायकों ने अलग से भी याचिकाएं दाखिल की हैं। शिंदे ने सुप्रीम कोर्ट से अयोग्यता नोटिस रद करने की मांग की है। याचिका में कहा गया कि उन लोगों को अयोग्य ठहराने की शिकायत पर संज्ञान लेकर डिप्टी स्पीकर द्वारा उन्हें 25 जून को भेजा गया अयोग्यता नोटिस असंवैधानिक है इसलिए कोर्ट उसे रद करें।
शिंदे ने यह भी कहा है कि बीते 21 जून को शिवसेना के ज्यादातर विधायकों ने प्रस्ताव पारित कर उन्हें विधायक दल का नेता चुना था और भरत गोगावले को शिवसेना विधायक दल का चीफ व्हि्प नियुक्त किया था। संविधान की दसवीं अनुसूची के मुताबिक व्हिप सदन में वोट के लिए जारी किया जा सकता है। सदन के बाहर बुलाई गई बैठक के लिए व्हिप जारी नहीं किया जा सकता। उन्हें जारी अयोग्यता नोटिस इस बात का उदाहरण है कि डिप्टी स्पीकर सरकार के साथ मिलकर उन्हें और उनके समर्थकों को जल्दबाजी में अयोग्य ठहराना चाहते हैं।
अयोग्यता नोटिस भेजने में महाराष्ट्र विधानसभा के अयोग्यता नियमों का उल्लंघन किया गया है। नोटिस का जवाब देने के लिए याचिकाकर्ता को मात्र 48 घंटे का समय दिया गया जबकि नियमों के मुताबिक कम से कम सात दिन का समय मिलना चाहिए था।