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महाराष्ट्र विधानसभा: कांग्रेस-NCP के बीच सीटों का बंटवारा, रास आ गया फिफ्टी-फिफ्टी का फार्मूला

सोमवार को दोनों दलों ने 125-125 सीटों पर लड़ने की घोषणा कर दी है। शेष 38 सीटें छोटे सहयोगी दलों को दी जाएंगी।

By Manish PandeyEdited By: Published: Mon, 16 Sep 2019 10:48 PM (IST)Updated: Mon, 16 Sep 2019 11:06 PM (IST)
महाराष्ट्र विधानसभा: कांग्रेस-NCP के बीच सीटों का बंटवारा, रास आ गया फिफ्टी-फिफ्टी का फार्मूला
महाराष्ट्र विधानसभा: कांग्रेस-NCP के बीच सीटों का बंटवारा, रास आ गया फिफ्टी-फिफ्टी का फार्मूला

मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस (NCP) महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में फिफ्टी-फिफ्टी के फार्मूले पर लड़ने को राजी हो गए हैं। सोमवार को दोनों दलों ने 125-125 सीटों पर लड़ने की घोषणा कर दी है। शेष 38 सीटें छोटे सहयोगी दलों को दी जाएंगी।

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कांग्रेस-एनसीपी के लिए महाराष्ट्र में अत्यंत कठिन समय चल रहा है। इन दोनों दलों से बड़ी संख्या में भाजपा-शिवसेना की ओर पलायन जारी है। सत्तारूढ़ भाजपा-शिवसेना में इस बार गठबंधन की पूरी संभावना है। लोकसभा चुनाव से ही इन दोनों दलों में तालमेल भी अच्छा हो गया है। संभावना जताई जा रही है कि यदि भाजपा-शिवसेना गठबंधन करके चुनाव लड़े तो राज्य में कांग्रेस-एनसीपी का सूपड़ा साफ हो सकता है।

कांग्रेस-NCP के लिए एक बड़ी समस्या
कांग्रेस-एनसीपी के लिए एक बड़ी समस्या प्रकाश आंबेडकर भी बने हुए हैं। लोकसभा चुनाव में प्रकाश आंबेडकर-असदुद्दीन ओवैसी के गठबंधन ने कांग्रेस-एनसीपी को करीब 10 सीटों पर हराने में बड़ी भूमिका निभाई है। विधानसभा चुनाव के लिए भी इन दलित-मुस्लिम नेताओं के बीच गठबंधन की पूरी संभावना है। ऐसे में कांग्रेस-एनसीपी के पास आपस में गठबंधन के सिवाय कोई चारा भी नहीं बचा था।

पार्टी छोड़ भाजपा के साथ जुड़े कई दिग्गज नेता
2014 के विधानसभा चुनाव में जिस प्रकार शिवसेना-भाजपा में गठबंधन नहीं हो सका था, उसी प्रकार कांग्रेस-एनसीपी भी अलग-अलग चुनाव लड़ी थीं। लेकिन इसका नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस 42, तो एनसीपी 41 पर सिमटकर रह गई थीं। पूर्ण बहुमत तो भाजपा को भी नहीं मिला था, लेकिन वह इन दोनों दलों की संयुक्त संख्या से भी 39 सीटें ज्यादा लाने में कामयाब रही थी। नुकसान शिवसेना को भी हुआ था, लेकिन वह सरकार बनने के कुछ समय बाद बिना किसी ना-नुकुर के सत्ता में शामिल हो गई थी। तब से अब तक कृष्णा-गोदावरी में काफी पानी बह चुका है। अब तक शहरी पार्टी कही जानेवाली भाजपा की पैठ अब गांवों तक हो चुकी है। जिला पंचायत एवं सरपंच स्तर तक के चुनावों में भाजपा ने अपनी जड़े मजबूत कर ली हैं। सहकारिता क्षेत्र से जुड़े कई दिग्गज नेता कांग्रेस-एनसीपी का साथ छोड़कर भाजपा में आ चुके हैं।

भाजपा की तातक कम करने के लिए गठबंधन
भाजपा की इस बढ़ती ताकत का अहसास करते हुए कांग्रेस एनसीपी ने इस बार मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। इसकी घोषणा आज पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण ने की। इसके साथ ही एनसीपी के मुंबई अध्यक्ष नवाब मलिक ने यह भी बताया कि जरूरत के अनुसार दोनों दल कुछ सीटों की अदला-बदली भी कर सकते हैं। बता दें कि एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार अपने दल से हो रहे पलायन दुखी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाते हुए कहा है कि जो जा रहा है, उसके बारे में सोचना छोड़कर काम पर लगो। सत्ता अपनी ही आएगी।


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