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मप्र ने गुजरात से शेर दिलाने को केंद्र से मांगी मदद, रास्ते आ रही ये अड़चन

सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2013 में उसी साल अक्टूबर तक गिर से मध्य प्रदेश में कुछ शेरों को भेजने का आदेश प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाने के लिए दिया था।

By TaniskEdited By: Published: Sun, 27 Jan 2019 07:24 PM (IST)Updated: Sun, 27 Jan 2019 07:24 PM (IST)
मप्र ने गुजरात से शेर दिलाने को केंद्र से मांगी मदद, रास्ते आ रही ये अड़चन
मप्र ने गुजरात से शेर दिलाने को केंद्र से मांगी मदद, रास्ते आ रही ये अड़चन

नई दिल्ली, प्रेट्र। गुजरात के गिर से एशियाई शेर दिलाने की मध्य प्रदेश सरकार ने केंद्र से गुहार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2013 में उसी साल अक्टूबर तक गिर से मध्य प्रदेश में कुछ शेरों को भेजने का आदेश दिया था। शीर्ष अदालत का मानना था कि प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाने के लिए उनके पास एक अतिरिक्त घर होना चाहिए। खास बात यह है कि गुजरात सरकार मध्य प्रदेश के इस कदम का विरोध कर रही है।

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पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को लिखे पत्र में राज्य सरकार ने कहा है कि प्रदेश का वन विभाग और देहरादून स्थित भारतीय वन्यजीव संस्थान का यह मानना है कि शेरों को स्थानांतरित करने का काम अब तुरंत शुरू किया जा सकता है। ऐसे में केंद्र सरकार को गुजरात से मध्य प्रदेश शेर स्थानांतरित करने के संदर्भ में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किया जाना चाहिए।

यह पत्र वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे द्वारा सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी के बाद मिला है। हालांकि, गुजरात सरकार इस बात पर कायम है कि वह शेरों को वहां भेजने से पहले इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर के स्थानांतरण दिशानिर्देशों के अध्ययन के पूरा होने का इंतजार करेगी।

दरअसल, मध्य प्रदेश सरकार ने ग्वालियर संभाग के श्योपुर जिले के पालपुर-कूनो में वन्यजीव अभयारण्य बनाया है। यहां पर 500 से अधिक एशियाई शेरों को रखा जा सकता है। मध्य प्रदेश सरकार ने यहां के 24 गांवों के 1543 परिवारों को स्थानांतरित करने के लिए 14.84 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।


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