मध्य प्रदेश: अनुपयोगी हो चुके 250 से ज्यादा कानून खत्म करने की तैयारी, शासन को जल्द भेजेगा ड्राफ्ट
मध्य प्रदेश सरकार राज्य में अनुपयोगी हो चुके 250 से ज्यादा कानूनों को खत्म करने की तैयारी कर रही है जिसको लेकर शासन को जल्द ड्राफ्ट बनाकर भेजा जाएगा।
भोपाल, जेएनएन। मध्य प्रदेश सरकार राज्य में एक कड़ा कदम उठाने की तैयारी कर रही है। सरकार का यह फैसला कानून से संबंधित है, जिससे राज्य में कानून को बेहतर ढंग से व्यवस्थित किया जाएगा। मध्य प्रदेश सरकार राज्य में अनुपयोगी हो चुके 250 से ज्यादा कानूनों को खत्म करने की तैयारी कर रही है। इसके लिए राज्य विधि आयोग कानूनों का अध्ययन कर ऐसे कानूनों को खत्म करने का प्रस्ताव तैयार कर रहा है, जो समय के साथ अपनी उपयोगिता खो चुके हैं। आयोग अब तक करीब 800 कानूनों का अध्ययन कर चुका है। इनमें से 200 से ज्यादा कानून अनुपयोगी पाए गए हैं। यह आंकड़ा 250 या उससे ज्यादा भी हो सकता है। आयोग अगस्त अंत तक यह काम पूरा करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। इससे पहले केंद्र सरकार ऐसा कर चुकी है।
पिछले साल गठित प्रदेश का तीसरा विधि आयोग पुराने और अनुपयोगी कानूनों को खत्म करने और वर्तमान परिस्थितियों के हिसाब से नए कानून बनाने पर काम कर रहा है। आयोग ने जनवरी से काम शुरू किया है। प्रदेश में कुछ कानून सीमित अवधि के लिए थे। उनकी अवधि समाप्त हो चुकी है, तो ज्यादातर वर्तमान परिस्थिति में अप्रभावी हो गए हैं। आयोग इन्हें रद करने की सिफारिश का ड्राफ्ट तैयार कर रहा है, जो अगले एक माह में राज्य सरकार को सौंपा जा सकता है।
विधि विभाग करेगा विचार
विधि आयोग के ड्राफ्ट पर पहले विधि विभाग काम करेगा। विभाग यह देखेगा कि जिन कानूनों को खत्म करने की सिफारिश की गई है, वे वाकई अनुपयोगी हो गए हैं या नहीं। यदि विभाग की जांच में भी यह कानून अनुपयोगी पाए जाते हैं, तो विभाग अपनी रिपोर्ट के साथ आयोग की सिफारिश शासन को भेज देगा। इसके बाद सरकार इन कानूनों को रद करने का फैसला लेगी।
ये हैं कुछ अनुपयोगी कानून
द मप्र एग्रीकल्चरिस्ट लोन एक्ट 1984, द भोपाल गैस त्रसदी (जंगिन संपत्ति के विक्रयों को शून्य घोषित करना) अधिनियम 1985(जंगिन संपत्ति यानी गैस पीड़ित जो संपत्ति छोड़कर भाग गए),मप्र कैटल डिसीजेज एक्ट 1934, मप्र हॉर्स डिसीजेज एक्ट 1960 'मप्र ग्रामीण ऋण विमुक्ति अधिनियम 1982।
मध्य प्रदेश विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस वेद प्रकाश का कहना है कि प्रदेश में एक हजार से ज्यादा कानून हैं। इनमें से करीब 800 से ज्यादा का हम अध्ययन कर चुके हैं। इनमें से पहली नजर में 200 कानून अनुपयोगी पाए गए हैं। जिनका ड्राफ्ट तैयार कर रहे हैं, जो जल्द ही शासन को भेजा जाएगा।
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