MP Political Crisis: विधायकों के गायब होने से सिंधिया के इस्तीफे तक, जानें आठ दिन का पूरा घटनाक्रम
मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार संकट में है। उसका बचना मुश्किल है। कांग्रेसी नेता भी इस बात को मानते हैं। इस पूरे ड्रामे कि शुरुआत 3 मार्च को शुरू हुई।
नई दिल्ली, जेएनएन। मध्य प्रदेश में कमलनाथ की सरकार संकट में है। उसका बचना मुश्किल है। कई कांग्रेसी नेता भी इस बात को मानते हैं। इस पूरे ड्रामे कि शुरुआत 3 मार्च को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के ट्वीट से हुई। इस ट्वीट में उन्होंने भाजपा नेता और राज्य के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान से सवाल किया था कि बसपा विधायक रामबाई को आपके नेता चार्टर्ड प्लेन से दिल्ली ले गए हैं या नहीं? इसके बाद कई विधायकों के गायब होने और भाजपा के संपर्क में होने की बात सामने आई। इन्हें वापस लाने की कवायद शुरू हुई। कई विधायकों को हरियाणा के होटल से निकालकर लाया गया। इसके बाद भी सियासी ड्रामा थमा नहीं।
मंगलवार 10 मार्च को अपने पिता माधवराव सिंधिया की जयंती पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद बेंगलुरु में मौजूद 19 कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफा दिया। अभी तक कुल 22 विधायक इस्तीफा दे चुके हैं। पिछले आठ दिनों में कब क्या हुआ इसके बारे में जानिए।
3 मार्च : कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का ट्वीट कर शिवराज से सवाल- भाजपा ने मप्र के कांग्रेस बसपा समाजवादी विधायकों को दिल्ली लाने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है। बसपा की विधायक श्रीमती रामबाई को क्या भाजपा के पूर्व मंत्री भूपेन्द्र सिंह जी कल चार्टर फ़्लाइट में भोपाल से दिल्ली नहीं लाए? शिवराज जी कुछ कहना चाहेंगे?लेकिन हमें श्रीमती राम बाई पर पूरा भरोसा है वे कमल नाथ जी की प्रशंसक हैं और उनका समर्थन करती रहेंगी। दिग्विजय ने इस दौरान शिवराज सिंह चौहान और नरोत्तम मिश्रा लगाते हुए कहा कि दोनों ने यह तय किया है कि एक मुख्यमंत्री और दूसरा उप मुख्यमंत्री बनेगा। इसलिए दोनों विधायकों तोड़ने में लगे हैं। शिवराज ने साफ इन्कार कर दिया। उन्होंने कहा कि दिग्विजय यह सब कमलनाथ को ब्लैकमेल करने के लिए कर रहे हैं। यह उनकी पुरानी आदत है।
4 मार्च: 3 और 4 मार्च की दरमियानी रात खबर आई कि गुरुग्राम के मानेसर के आईटीसी होटल में 10 विधायक ठहरे थे। कांग्रेस ने दावा किया कि भाजपा इन विधायकों को यहां लेकर आई थी। वह कमलनाथ सरकार को अस्थिर करने की कोशिश में है। होटल में देर रात दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन और जीतू पटवारी पहुंचे और विधायकों को वापस लेकर आए। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि पूरे खेल में शिवराज सिंह चौहान और भाजपा के नेता शामिल हैं। वहीं भाजपा ने इससे साफ इन्कार किया। शिवराज ने कहा कि यह कांग्रेस का आतंरिक मामला है। इससे भाजपा का कोई लेना देना नहीं है। वह सरकार को गिराना नहीं चाहते।
5 मार्च : विधायक हरदीप सिंह डंग के कांग्रेस से इस्तीफे की खबर सामने आई। कांग्रेस ने कहा कि यह उनका बयान है। सीएम कमलनाथ से बात करने पर उनकी समस्याएं हल होंगी। इस दौरान कांग्रेस ने भी भाजपा विधायकों को तोड़ने की कोशिश की। मैहर से विधायक नारायण त्रिपाठी और शरद कौल कमलनाथ से मिलने पहुंचे। इस दौरान श्रम मंत्री महेंद्रसिंह सिसौदिया ने कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया की उपेक्षा होगी तो सरकार संकट में आएगी।
6 मार्च : भाजपा विधायक संजय पाठक और विश्वास सारंग ने मध्य प्रदेश सरकार से जान को खतरा बताया। इसी दिन मंत्रियों ने सीएम कमलनाथ से बिगड़ते हालात के मद्देनजर इस्तीफा लेकर नए सिरे से मंत्रिमंडल का गठन करने की बात कही।
7 मार्च : निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा बेंगलुरु से लौटे और परिवार सहित कमलनाथ से मिले। उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस के साथ थे और रहेंगे। नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने राज्यपाल लाल जी टंडन से भाजपा विधायकों की सुरक्षा हटाने को लेकर शिकायत की। टंडन ने इसे लेकर कमलनाथ को पत्र लिखकर जवाब मांगा।
8 मार्च : बिसाहूलाल सिंह बेंगलुरु से लौटे। उन्होंने कहा कि वह यहां तीर्थ पर गए थे। कांग्रेस ने कहा कि भाजपा ने उन्हें बंधक बनाया था। इसी बीच कमलनाथ दिल्ली रवाना हुए और बड़े नेताओं से मुलाकात की।
9 मार्च : ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाराजगी की खबर सामने आई। सिंधिया गुट के 19 मंत्री और विधायक बेंगलुरू पहुंचे। सिंधिया को मनाने की जिम्मेदारी सचिन पायलट और कर्ण सिंह जिम्मेदारी मिली। सिंधिया नहीं माने। नए सिरे से मंत्रिमंडल गठन के लिए 20 मंत्रियों ने कमलनाथ को इस्तीफा सौंप दिया। सिंधिया और शिवराज सिंह चौहान की भूमिका को लेकर अमित शाह के निवास पर चर्चा हुई। सुरेंद्र सिंह शेरा ने राज्य में गृह मंत्री बनने की इच्छा जताई।
10 मार्च : अमित शाह के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया पीएम मोदी से मिलने उनके आवास पर पहुंचे। मुलाकात के कुछ देर बाद उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद बेंगलुरु में मौजूद सिंधिया समर्थक 19 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया। इनमें 6 मंत्री थे। इस दौरान 2 और विधायकों बिसाहूलाल सिंह और ऐंदल सिंह कंषाना ने भी इस्तीफा दे दिया। इसके बाद सिंधिया गुट के कई विधायकों ने इस्तीफा दिया। कुल 22 विधायक इस्तीफा दे चुके हैं।